Supreme Court Decision : क्या 20 साल किराए पर रहने के बाद किराएदार की हो जाएगी प्रोपर्टी, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला
Landlord And Tenant Laws: अक्सर मकानमालिक को डर रहता है कि अगर कोई किराएदार लंबे समय तक उनके घर में रहता है तो वो उस पर पर्मानेंट कब्जा किया जा सकता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
HR Breaking News (नई दिल्ली)। अक्सर सुनने में मिलता है कि किसी किराएदार ने लंबे समय तक किराया देने के बाद मकान मालिक को घर खाली करने से मना कर दिया है. इससे मकान मालिकों को डर रहता है कि एक बार लंबे समय तक किराए पर रहने के बाद कोई भी किराएदार उनकी संपत्ति पर कब्जा कर सकता है. इससे संबंधित कई तरह की न्यूज रिपोर्ट्स भी सामने आती रहती हैं, जिनमें किराएदार के मकान खाली ना करने की बात सामने आती है.
यहां तक कि कानून भी कुछ परिस्थितियों में किराएदारों को यह अधिकार देता है कि लंबे समय तक एक प्रोपर्टी पर रहने के बाद वो उस पर कब्जा जमा कर सकता है. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कानून क्या कहता है, क्या सही में एक किराएदार कुछ समय बाद संपत्ति पर मालिकाना हक साबित कर सकता है. या फिर मकानमालिकों के पास भी कोई अधिकार होता है कि वो जब चाहें किराएदार से घर खाली करवा सकते हैं.
क्या कहता है कानून?
एडवोकेट चेतन पारीक के अनुसार, ‘वैसे तो कभी भी किसी भी ‘किराएदार’ का मकान मालिक की संपत्ति पर हक नहीं होता है. लेकिन कुछ परिस्थितियों में किराए पर रहने वाला व्यक्ति उस पर अपना जाहिर कर सकता है. लेकिन, ‘ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट के अनुसार, एडवर्स पजेशन में ऐसा नहीं होता है और इसमें जिस पर संपत्ति का कब्जा होता है, वो उसे बेचने का अधिकारी भी होता है. यानी अगर कोई 12 साल तक किसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन रखता है तो उसे संपत्ति पर अधिकार मिल जाता है.
उदाहरण के तौर पर समझे तो जैसे किसी व्यक्ति ने अपने जानकार को अपनी प्रोपर्टी रहने के लिए दे रखी है और वो वहां 11 साल से ज्यादा साल रह रहा है तो वो उस संपत्ति पर अधिकार जमा कर सकता है. इसके उलट अगर कोई किराएदार है और मकान मालिक समय-समय पर रेंट एग्रीमेंट बनवा रहा है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी. इस स्थिति में कोई भी व्यक्ति उनकी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था लिमिटेशन ऐक्ट 1963 के तहत निजी अचल संपत्ति पर लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि 12 साल जबकि सरकारी अचल संपत्ति के मामले में 30 वर्ष है. यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है. बता दें कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने अचल संपत्ति पर 12 वर्षों से अधिक से कब्जा कर रखा है. अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया तो उसके पास संपत्ति पर दोबारा अधिकार पाने के लिए कानून की शरण में जाने का अधिकार है.