PNB समेत इन 8 बैंकों की हालत सबसे ज्यादा खराब, 4 सरकारी और 4 प्राइवेट

PNB - हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि पीएनबी समेत इन आठ बैंकों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। दरअसल आपको बता दें कि एनपीए के कारण बैंकों को काफी नुकसान होता है. बैंकों पर जितना ज्यादा एनपीए होता है, उनकी हालत उतनी ही ज्यादा खराब होती है...
 

HR Breaking News, Digital Desk- एनपीए के कारण बैंकों को काफी नुकसान होता है. बैंकों पर जितना ज्यादा एनपीए होता है, उनकी हालत उतनी ही ज्यादा खराब होती है. 8 ऐसे बैंक हैं, जो सबसे ज्यादा एनपीए के बोझ तले दबे हैं. कई लोगों के मन में सवाल होता है कि कैसे लोन एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट में तब्दील होता है. आखिर एनपीए क्या है?

एनपीए क्या है?

एनपीए का अर्थ होता है फंसा हुआ कर्ज. यानी बैंकों पर डूबा हुआ लोन. जब कोई बैंक से लोन लेता है और उसे चुका नहीं पाता तो बैंकों द्वारा दी गई लोन की राशि फंस जाती है. जिसे बैंक एनपीए घोषित कर देते हैं. जितना अधिक एनपीए बैंक पर रहता है बैंकों की साख भी उतनी ही खराब होती है.


इन 8 बैंकों पर है एनपीए का सबसे ज्यादा भार-


8 बैंकों में 4 सरकारी और 4 बैंक प्राइवेट सेक्टर के बैंक शामिल हैं. इन बैंकों में से सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक की स्थिति सबसे खराब है. दूसरी तिमाही में इसका नेट एनपीए 1.46 फीसदी है. इसके साथ ही केरल बेस्ड प्राइवेट बैंक साउथ इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बंधन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बंधन बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक और सिटी यूनियन बैंक शामिल हैं.


 

लोन की रकम कब बनती है एनपीए-

जब बैंक से लोन लेने वाले ग्राहक लोन चुकाने की तिथि के बाद भी तीन महीने यानी 90 दिनों तक लोन नहीं चुकाते तो बैंक उस लोन को एनपीए घोषित कर देते हैं. जिसे फंसा हुआ कर्ज मान लिया जाता है.
 

तीन कैटेगरी में बांटते हैं एनपीए-

बैंक द्वारा एनपीए को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है.

सब स्टैंडर्ड असेट्स – सबसे पहले लोन नहीं चुका पाने वाले खातों को एक साल के लिए सब स्टैंडर्ड असेट्स की कैटेगरी में रखा जाता है.


डाउटफुल असेट्स – एक साल बाद सब स्टैंडर्ड असेट्स से लोन के खातों को डाउटफुल असेट्स में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
लॉस असेट्स – जब कर्ज वसूली की पूरी संभावना खत्म हो जाती है तो उसे लॉस असेट्स माना जाता है.


लोन नहीं चुकाने वाले ग्राहकों का क्या होता है?

जब कोई ग्राहक समय पर लोन का भुगतान नहीं कर पाता हो तो उसका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है. ऐसी स्थिति में ग्राहकों को अगली बार लोन लेने में परेशानी का सामना करना होगा. यदि ऐसी स्थिति में लोन मिलता भी है तो उसके लिए अधिक ब्याज का भुगतान करना होगा.