टूटे फोन से कोडिंग सीख Harvard University में लिया एडमिशन, जानें किसान के 12 साल के बेटे की सफलता की कहानी 

Kartik Jakhar Success Story: हरियाणा के झज्जर में रहने वाले 12 वर्षीय बच्चे ने टूटे फोन से कोडिंग सीखी। अब वह अमेरिका की बहुप्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी(Harvard University) में  कंप्यूटर साइंस की डिग्री कर रहा है। जानें इनकी सफलता की कहानी 
 

 HR Breaking News,(डिजिटल डेस्क): कहते हैं सफलता किसी चीज की मोहताज नहीं होती। अक्सर देखने को मिलता है कई बच्चों को सारी सुख सुविधाएं मिलने के बावजूद वे कुछ नहीं कर पाते। वहीं इसके विपरीत कई ऐसे बच्चे होते हैं जो बेहद कम संसाधन में भी कमाल कर जाते हैं। हाल में ही ये करिश्मा कर दिखाया है हरियाणा के झज्जर में रहने वाले 12 वर्षीय बच्चे ने। उसने टूटे फोन से कोडिंग सीखी और अब अमेरिका की बहुप्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी(Harvard University) में  कंप्यूटर साइंस की डिग्री कर रहा है। खास बात तो ये है ये 45000 जरूरतमंद बच्चों को फ्री में शिक्षा भी दे रहा है।  हम बात कर रहे हैं कार्तिक जाखड़(Kartik Jakhar) हरियाणा के झज्जर जिले के झांसवा गांव के रहने वाले 12 साल के कार्तिक की। 

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दरअसल आधुनिक दौर इंटरनेट का है और बढ़ते इस दौर में तकनीकी का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो गया ।आज हर काम मशीनों के माध्यम से किया जा रहा है। ऐसे में अब 12 साल के हरियाणा के गांव में रहने वाले कार्तिक ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कार्तिक ने टूटी हुई स्क्रीन वाले मोबाइल फोन से ऐसा कारनामा किया है जिसकी बदौलत उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया है।

8वीं कक्षा मे पढ़ता है कार्तिक 


हरियाणा के झज्जर जिले के झांसवा गांव के रहने वाले 12 साल के कार्तिक का नाम अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। इन्होंने तीन लर्निंग ऐप का इस्तेमाल किया जिसके माध्यम से कार्तिक ने कोडिंग सीखी है। केवल मोबाइल फोन पर वीडियो देखकर वहां कोडिंग सीखते थे। आठवीं कक्षा में पढ़ रहे कार्तिक ने जिस फोन के जरिए कोडिंग सीख कर ऐप बनाएं उस मोबाइल की स्क्रीन टूटी हुई थी।

ऑनलाइन क्लास के लिए मंगवाया था स्मार्ट फोन


बता दें कि कार्तिक के पिता अजीत सिंह मूल रूप से किसान हैं और खेती-बाड़ी करते हैं। उनके घर में तीन बहने हैं जिसमें वहां सबसे छोटे हैं ।पढ़ने के लिए ना टेबल चेयर है और ना ही उनके गांव में 24 घंटे बिजली की सुविधा मिलती है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपने दम पर फिर सफलता को हासिल की है।

 
कार्तिक बताते हैं कि तीसरी कक्षा से उन्हें कुछ अलग करने का मन था। ऐसे में उन्होंने महामारी के दौर में स्कूल जब बंद हो गए थे उस दौरान ऑनलाइन क्लास के लिए पिता से एंड्रायड फोन मंगवाया ।

इसके बाद कार्तिक ने यूट्यूब की सहायता से कोडिंग और ऐप डेवलपिंग के बारे में पढ़ा और इससे सीखकर खुद एप्लीकेशन बनाई है। हालांकि इस दौरान उन्होंने काफी परेशानियों का सामना किया है। फोन हैंग कर जाता था और कार्तिक को बार-बार कोडिंग करनी पड़ती थी।

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45 हजार जरूरतमंद बच्चों को दे रहे फ्री में शिक्षा
 
कार्तिक ने अब अपना खुद का लर्निंग सेंटर खोल लिया है । श्रीराम कार्तिक डिजिटल एजुकेशन है कि लर्निंग एप्लीकेशन के जरिए वहां एक संस्था से जुड़कर करीब 45000 जरूरतमंद बच्चों को फ्री में ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। 12 साल की उम्र में कई पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें चाइल्ड ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम शामिल है।

कार्तिक ने ओएमजी बुक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस एग्जाम पास होने के बाद स्कॉलर प्राप्त की है ।अब वहां इस यूनिवर्सिटी से बीएससी इन कंप्यूटर साइंस की डिग्री ले रहे हैं।