Success Story - बेटे को पालने के लिए मजबूरी में करना पड़ा था तस्करी का काम, आज बेटे को बना दिया अफसर

आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें अपने बेटे को पालने व उसकी जिंदगी संवारने के लिए मां ने मजबूरी में तस्करी का काम किया और आज अपने बेटे को अफसर बना दिया। विडंबना देखिये जिस चीज की वजह से संगीता ने अपने पति को खो दिया था, नियति ने उसे अपने बेटे को पालने के लिए उसी धंधे में जाने को मजबूर किया. आइए खबर में जानते है इनकी पूरी कहानी। 
 

HR Breaking News, Digital Desk- आज हम आपको एक ऐसी महिली की कहानी बता रहे है जिसने अपने बेटी की जिंदगी सवांरने के लिए उस पेशे को अपना लिया जिसकी वजह से उसके पति की जान गई थी. यह कहानी है गुजरात की रहने वाली संगीता की, जिसका पति शराब की लत की वजह से जल्दी ही दुनिया से रुखसत हो गया था. फिर कुछ दिनों बाद ही उसके ससुर ने भी दुनिया छोड़ दी.

गुजरात के छारानगर की संगीता इंद्रेकर के पास अब अपने बेटे की जिंदगी को संवारने के लिए कोई विकल्प नहीं था. तो उसने शराब की तस्करी को चुना. विडंबना देखिये जिस चीज की वजह से संगीता ने अपने पति को खो दिया था, नियति ने उसे अपने बेटे को पालने के लिए उसी धंधे में जाने को मजबूर किया. इस काम के चलते संगीता को कई बार पुलिस हवालात में वक्त गुजारना पड़ा, यहां तक कि उसे जेल भी जाना पड़ा.


लेकिन एक बात उसके दिमाग में साफ थी कि उसके बेटे तुषार की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए और वह जितना पढ़ना चाहे, उतना पढ़ सके. आज 48 साल की संगीता का सपना सच हो गया है. उसका बेटा तुषार बापूनगर के ईएसआईसी अस्पताल में क्लास-2 ऑफिसर बन कर नौकरी कर रहा है.

संगीता के बेटे तुषार का कहना है कि वह जानता था कि उसकी मां उसे कुछ बनाने के लिए कितने संघर्ष कर रही है. कितने दुख झेल रही है. इसलिए उसने भी ठान लिया था कि उसे कुछ करना है. इसी के चलते पहले उन्होंनें अपना बी.फार्मा पूरा किया, फिर GPET में उनकी पूरे भारत में 98वीं रैंक आई. इसके बाद उन्हें एम. फार्मा में दाखिला मिल गया. पढाई पूरी करने के बाद तुषार ने कुछ वक्त तक स्थानीय दवा निर्माता कंपनी में काम किया, लेकिन अपने उद्देश्य से बगैर भटके वह लगातार प्रतियोगी परीक्षा देते रहे. इस तरह राष्ट्रीय चयन परीक्षा में उन्हें 26वीं रैंक हासिल हुई.

संगीता ने अब तस्करी छोड़ दी है और 2017-18 में सुरक्षा सेतु पुनर्वास कार्यक्रम के जरिए अब वह सिलाई कढ़ाई के अपने हुनर को निखार कर उसके जरिए काम कर रही है. और दूसरी महिलाएं जो इस काम में लिप्त हैं उन्हें इस धंधे से निकालने के लिए काम कर रही हैं.