Success Story:  सड़क किनारे अंडे बेचने वाला बन गया अफसर, सुनाई संघर्ष की कहानी
 

अगर मन में कुछ करने की लगन हो और सच्चे मन से मेहनत की गई हो तो सफलता एक दिन जरूर हाथ लगती है. कोशिश करने वालों की सफलता पाने का मार्ग परिस्थितियां कभी भी नहीं रोक सकतीं. इन बातों को एक बार फिर से साबित किया है वीरेंद्र कुमार ने। जो पहले कभी सड़क किनारे अंडे बेचा करते थे लेकिन आज वे अफसर बन गए है।   
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- अगर मन में कुछ करने की लगन हो और सच्चे मन से मेहनत की गई हो तो सफलता एक दिन जरूर हाथ लगती है. कोशिश करने वालों की सफलता पाने का मार्ग परिस्थितियां कभी भी नहीं रोक सकतीं. यह सभी बातें एक बार फिर से साबित हो गया है.

बिहार में सड़क किनारे अंडे के ठेले लगाने वाला आज बिहार में अफर के पद पर बैठ गया. उसकी इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके जुनून का ही था जिसने उसे हालातों से लड़ते हुए कुछ कर गुजरने के लिए आगे रखा.


हम बात कर रहे हैं बिहार के औरंगाबाद जिले में रहने वाले वीरेंद्र कुमार की. बीपीएसएससी 64वीं परीक्षा का परिणाम आया तो विरेंद्र की जिंदगी बदल गई और उनके अफसर बनने का सपना भी पूरा हो गया. उसे पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई. वीरेंद्र अब प्रदेश में आपूर्ति अधिकारी बने हैं. परीक्षा में सफलता मिलने के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.

जानकारी के अनुसार वीरेंद्र काफी गरीब परिवार से संबंध रखता है. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह किसी बड़े शहर में जाकर परीक्षा की तैयारी कर सकें तो इसके लिए उन्होंने अपने शहर में ही रहकर परीक्षा की तैयारी की. अपनी पढ़ाई के लिए उन्होंने सड़क किनारे अंडे के ठेले भी लगाए. वीरेंद्र ने बताया कि दिन में वह अंडे बेचते थे और रात मे परीक्षा की तैयारी करते थे.

2012 में पिता की हो गई थी मौत-


उन्होंने बताया कि उनके पिता जूते सिलने का काम करते थे लेकिन 2012 में पिता की मौत हो जाने पर परिवार की जिम्मेदारी तीनों भाइयों पर आ गई. तीनों भाई मां के साथ शहर आ कर बस गए. इसके बाद बड़े भाई जीतेंद्र ने किराए पर राशन की दुकान खोली. किसी तरह से इस दुकान से परिवार का गुजारा होने लगा. इसके बाद परिवार की मदद के लिए वीरेंद्र ने अंडे का ठेला लगाना शुरू कर दिया. दिन में वह अंडा बेचता और रात में समय निकालकर पढ़ाई करता.


भाई ने बंद करवा दिया ठेला-


जब परिवार की हालत थोड़ी सुधरी तो बड़े भाई ने ठेला बंद करवा दिया और सिर्फ पढ़ाई में ध्यान लगाने को कहा. इसके बाद वीरेंद्र पूरी लगन के साथ परीक्षा की तैयारी में जुट गए और आज उनकी मेहनत रंग लाई और अंडे बेचने से लेकर अफसर तक का सफर तय कर लिया.