Success Story - जूती ठीक करने वाले के बेटे ने रोशन किया अपने बाप का नाम
 

कहते हैं ना सपने गरीबी या अमीरी देखकर कहां आते हैं, लेकिन यह जरूर है कि कुछ लोग अपनी परेशानियों के आगे घुटने टेक देते हैं और कुछ अपने सपनों को मार देते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो परेशानियों से लड़ते हुए अपने सपने पूरे करते हैं। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसमें जूती ठीक करने वाले के बेटे ने रोशन किया है अपने बाप का नाम। 
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- हम क्या थे और क्या हैं यह मायने नहीं रखता। हमें जो बनना उसके लिए क्या कर रहें हैं, यह बेहद जरूरी है। अपने लक्ष्य में लिए अगर हम सही दिशा में चल रहे हैं तो एक ना एक दिन सफलता आपके साथ होगी। यह सिर्फ बातें नहीं, सच्चाई है और आज की दो प्रेरक कहानियों को पढ़ने के बात हम सबको माननी पड़ सकती है। अब चलते हैं राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव पादरू में जहां से यह दो कहानियां निकलकर सामने आईं हैं। 

हाल ही में देश की बहुप्रतीक्षित नीट परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए। जिसके कई लोगों को सफलता मिली, लेकिन इनमें कुछ लोग ऐसे हैं जिनके पास तमाम तरह की सुविधाएं थी, लेकिन कुछ गरीब परिवारों के बच्चे भी हैं। जिनके पास कभी-कभी तो दो वक्त के खाने की जुगाड़ करना भी मुश्किल हो जाता है। पहली कहानी है सिवाना उपखंड मुख्यालय पर रहने वाले महेंद्र कुमार की। महेंद्र के पिता रमेश कुमार महिलावास में जूती बनाने का काम करते हैं, लेकिन बेटे ने डॉक्टर बनने का सपना देख लिया। कहते भी हैं ना सपने गरीबी या अमीरी देखकर कहां आते हैं, लेकिन यह जरूर है कि कुछ लोग अपनी परेशानियों के आगे घुटने टेक देते हैं और अपने सपनों को मार देते हैं। 

वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो परेशानियों से लड़ते हुए अपने सपने पूरे करते हैं। ऐसी ही कहानी है महेंद्र की। उनके पिता जूती बनाकर परिवार का पेट भरते थे, ऐसे में बेटे को डॉक्टर बनाना उनके लिए आसान नहीं था। इसके बाद भी उन्होंने बेटे की पढ़ाई के लिए रुपयों की कमी नहीं होने दी, लेकिन उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि महेंद्र को कोचिंग करा सकें। ऐसे में महेंद्र ने घर पर ही नीट परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की। वह रोजाना 8-10 घंटे पढाई करता था। खुद की मेहनत के दम पर महेंद्र ने नीट परीक्षा परिणाम में ऑल इंडिया 45449वीं रैंक हासिल की है। अपनी सफलता को लेकर महेंद्र कहते हैं कि डॉक्टर बनने का सपना 10वीं क्लास में देखा था, जो अब पूरा होने वाला है। 

मेघवाल समाज की तरफ से सिवाना उपखंड में महिला डॉक्टर बनने वाली पहली बेटी है। उसे नीट के परीक्षा परिणाम में पूरे देश में 2195 रैंकिंग मिली है। बाला मेघवाल की शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल से हुई, लेकिन विज्ञान संकाय से 12वीं करने के लिए उसे घर से बाहर जाना पड़ा। इसके बाद वह अपने गांव से 171 किलोमीटर दूर बाड़मेर पहुंची और यहां से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद नीट की तैयारी करने के लिए सीकर चली गई। रोज 10-11 घंटे पढ़ाई करने के बाद उसे यह सफलता मिली। 

अब उसका डॉक्टर बनने का सपना पूरा होगा। बेटी की सफलता को लेकर बाला मेघवाल के पिताजी सांवला राम कहते हैं कि हमारे जमाने में पढ़ाई का माहौल नहीं था, इसलिए हम नहीं पढ़ पाए। अब बिना पढ़ाई के कुछ नहीं होता, इसलिए बाला को पढ़ने से कभी नहीं रोका। उसे जो करना था उसने किया, मैं जितना सहयोग कर सकता था, उतना मैंने किया।