Success Story : जब प्रेग्नेंट थी तो अस्पताल जाने के लिए नहीं मिला व्हीक्ल, यहीं से आया बिजनेस का आइडिया, और आज...
Success Story : आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने बिहार की छोटी गलियों से निकलकर बेंगलुरु की सड़कों पर चलने वाली महिलाओं की जिंदगी आसान कर दी। आइए जानते हैं मोनालिसा की कहानी उन्हीं की जुबानी-
HR Breaking News (नई दिल्ली) : मैं मोनालिसा ठाकुर बिहार की रहने वाली हूं। मेरा बचपन पटना में बीता जहां मेरे पिता पशुपालन विभाग में नौकरी करते थे। घर में शुरू से पढ़ाई-लिखाई का माहौल था तो मुझे भी इसका मौका मिला। लेकिन घर में अचानक हुए हादसे ने मुझे एक रास्ता चुनने को मजबूर किया। इस हादसे में मेरी मां की मौत हो गई और पापा आईसीयू में भर्ती थे। ऐसे में मैंने अपने लिए एक रास्ता चुना। यह रास्ता था आत्मबल और आत्मशक्ति का।
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बेंगलुरु में शुरू किया बिजनेस
इसके सहारे मैंने अपना परिवार संभालते हुए अपने मौजूदा शहर बेंगलुरु में एक बिजनेस खड़ा किया। आज यह सिस्टम आम लोगों को खासतौर पर महिलाओं को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की परेशानियों से बचा रहा है।
मां ने पढ़ना सिखाया, उन्होंने खुद शादी के बाद पीएचडी की थी
मेरी मां की शादी 17-18 साल की उम्र में ही हो गई थी। ऐसे में वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जल्द ही फिर से पढ़ना शुरू कर दिया। शादी के बाद पढ़ते हुए उन्होंने अपनी पीएचडी तक पूरी कर ली। पापा ने भी मां का पूरा साथ दिया। अपनी मां को देख कर हम दोनों बहनों को जीवन में कुछ करने की प्रेरणा मिली। मेरी मां ही मेरी पहली मेंटॉर थीं। जब हमारा परिवार संकट में था तो मां ने एक स्कूल में टीचिंग शुरू कर दी। अपनी मां को देख कर हमने काफी कुछ सीखा है।
करियर और परिवार दोनों को संभाला
मैंने प्रयागराज से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। इसके बाद मैं एमबीए करने बेंगलुरु गई। जहां इंटर्नशिप के दौरान ही घर में एक दर्दनाक हादसा हो गया। जिसमें मेरी मां की मौत हो गई। पापा आईसीयू में भर्ती थे। मां की मौत, अस्पताल में जीवन-मौत से जूझते पिता और छोटी बहन की जिम्मेदारी ने मुझे हार नहीं मानने दी। मैंने अपने परिवार और करियर दोनों को संभालने की कोशिश की। इसमें मैं काफी हद तक सफल भी रही। आज जब गुजरे हुए कल को देखती हूं तो खुद को काफी अच्छी स्थिति में पाती हूं।
मुश्किल में सबके पास होते हैं 2 रास्ते, मैंने दूसरा चुना
मेरा हमेशा से मानना रहा है कि चैलेंजिंग टाइम में आपके पास दो रास्ते होते हैं। पहला हार मानकर उसी में उलझ कर रह जाना और दूसरा उससे निकल कर आगे बढ़ना। मैंने दूसरा रास्ता चुना। हादसे के कुछ दिन बाद हुए एग्जाम में मैंने पूरे कॉलेज में टॉप किया। आगे चलकर मेरा प्लेसमेंट HCL में हुआ। धीरे-धीरे मेरा परिवार भी फिर से संभलने लगा। पापा की तबीयत भी ठीक होने लगी।
सफर में मिला जीवनसाथी
HCL में ही मेरी मुलाकात हिर्नमय से हुई। वहां वो मेरे सीनियर थे। जल्दी ही हम दोनों ने साथ जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया। लेकिन मैं शादी जल्दी नहीं करना चाहती थी। क्योंकि उस वक्त मेरी बहन की 12th की पढ़ाई चल रही थी। आगे चल कर फिर हम दोनों ने शादी कर ली। हिर्नमय ने जीवन के हर मुश्किल मोड़ पर मेरा साथ दिया। लेकिन उस वक्त HCL की एक पॉलिसी थी। जिसके मुताबिक कपल कंपनी में साथ काम नहीं कर सकते। इसी समय मेरे पास दूसरी कंपनी से बेहतर ऑफर आ गया। ऐसे में मैंने HCL छोड़ दी। इसके बाद मैं HIRMAN INN. में चली गई। जहां मैंने सीनियर रीजनल सेल्स मैनेजर फॉर साउथ इंडिया एंड श्रीलंका के बतौर काम किया।
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घटना जिसने बदल दी जिंदगी
बेंगलुरु में ही मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जिसने मुझे कुछ अलग हटकर करने को प्रेरित किया। प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे अक्सर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में दिक्कतों का सामना करना पड़ता। ऑटो या कैब वालों की यह आदत होती है कि वो कम डिस्टेंस की राइड कैंसल कर देते हैं। जिससे मैं भी दिक्कतों का सामना करती। एक दिन एक ऑटो वाले ने जाने से इनकार कर गुस्से में पैदल जाने की सलाह दे डाली। उस दिन मुझे दो किलोमीटर पैदल ही चल कर जाना पड़ा। यह बात मेरे दिल पर लग गई। न जाने कितनी महिलाओं को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता होगा।
ऐसे में मैंने कुछ करने की ठानी और पति के साथ मिलकर बेंगलुरु में ‘Tummoc’ को शुरू किया। इसके माध्यम से मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट को आसान बना रही हूं। ताकि मुझे जिस स्थिति का सामना करना पड़ा, वो और किसी महिला को न झेलना पड़े। ‘Tummoc’ के सहारे घर से ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट का टाइम पता किया जा सकता है और टिकट भी बुक किया जा सकता है। इसकी मदद से आज बेंगलुरु के आम लोगों को काफी फायदा हो रहा है। खासतौर पर वर्किंग वुमंस को।
‘Tummoc’ उस धारणा को बदल रहा है जिसमें कंफर्ट को लग्जरी समझा जाता है। हमारा बिजनेस लगातार बढ़ रहा है। हमने उबर के साथ भी टाई-अप किया है। हमारा लक्ष्य लाखों-करोड़ों आम लोगों और महिलाओं को आरामदायक पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराना है।