haldiram success story Hindi : आठवीं पास लड़के की छोटी सी दुकान अब हर साल कमाती है 12000 करोड़, आपको भी मोटिवेट करेगी सफलता की ये कहानी
haldiram success story : सफलता की कहानी तो आपने बहुत सुनी होगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी के बारे में बताने वाले है जिसने कि कड़ी मेहनत कर अपने दम पर छोटी सी दुकान से पूरा एम्पायर खड़ा कर दिया है। आज बच्चे-बच्चे के मुहं पर इनके प्रोडक्टस का स्वाद चढ़ा हुआ है। इनके स्नैक्स आज देशभर में भारी डिमांड में रहते है। आइए जान लेते है छोटी सी दुकान से 12000 करोड़ के काराबार तक का पूरा सफर...
HR Breaking News,Digital Desk : अकसर हमने सुना है कि मेहनत और लगन कभी भी बेकार नहीं जाती। अगर दिल से मेहनत करो तो एक न एक दिन सफलता मिलती ही है। ऐसा ही कुछ बीकानेर के रहने वाले गंगा बिशनजी अग्रवाल के साथ भी हुआ है। देश के स्वीट्स व स्नैक्स बिजनेस में एक खास समुदाय का दबदबा रहा है. अग्रवाल कम्युनिटी का कहें तो इस क्षेत्र में एकछत्र राज (success story in hindi) है.
इसी समुदाय से निकले गंगाबिशन अग्रवाल ने देश की सबसे बड़ी स्नैक्स कंपनियों में से एक की स्थापना की थी. कैसे गंगाबिशन अग्रवाल ने अपनी एक छोटी सी दुकान से हल्दीराम तक का सफर तय किया. हल्दीराम की शुरुआत 1918 में एक छोटी सी दुकान के रूप में हुई थी. आज इस कंपनी का सालाना रेवेन्यू 12000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया (haldiram success story) है.
जानकारी के लिए बता दें कि गंगाबिशन अग्रवाल को उनकी मां हल्दीराम कहकर बुलाती थीं. उन्होंने अपनी मां के द्वारा दिए इस नाम को ही दुकान का नाम रखना तय किया. इसी नाम ने उन्हें देश-विदेश में ख्याति दिलाई. बता दें कि गंगाबिशन की पहली दुकान (Gangabishan's first shop) बीकानेर में खोली थी और वहां बीकानेरी भुजिया बनाते थे. लेकिन इससे पहले भी एक छोटी सी कहानी है जिसकी वजह से उन्हें अपनी अलग दुकान बीकानेर में जाकर खोलने की जरूरत पड़ी.
जान लें इसके पीछे क्या थी वजह?
गंगाबिशन अग्रवाल ने भुजिया बनाने की कला (art of making bhujiya) अपनी चाची से सीखी थी. वह अपने पिता की दुकान पर यह भुजिया बनाया करते थे. लेकिन किसी वजह उनके व परिवार के बीच मन-मुटाव हो गया. परिवार से विवाद होने के कारण उन्होंने घर ही छोड़ दिया और वहां से बीकानेर आ गए. यह उन्होंने 1937 में अपनी पहली दुकान शुरू की जहां वह भुजिया बेचते थे. उन्होंने अपनी रेसिपी में कई तरह के बदलाव भी किए जो लोगों को काफी पसंद आए.
पहले बीकानेर से कोलकाता और फिर गए दिल्ली
गंगाबिशन अग्रवाल, कोलकाता में किसी शादी में गए थे. वहां जाकर उन्हें ऐसा लगा कि उनका भुजिया का बिजनेस (Bhujia's business) वहां भी बहुत अच्छा चल सकता है. इसलिए उन्होंने कोलकाता में भी एक दुकान खोलने के बारे में विचार किया . इसके बाद वह अपने बिजनेस को राजधानी दिल्ली और महाराष्ट्र के नागपुर भी लेकर गए. दिल्ली में चांदनी चौक में उनकी पहली दुकान खुली. आज भारत के तो लगभग हर बड़े शहर में हल्दीराम (Haldiram's) है ही, साथ में यूएस में भी हल्दीराम के स्टोर हैं. हल्दीराम आज करीब 50 देशों में उपलब्ध है.
कंपनी का रेवेन्यू
जानकारी के लिए बता दें कि वित्त वर्ष 2023 (FY 2023) में हल्दीराम का रेवेन्यू लगभग 1.5 बिलियन डॉलर या 12000 करोड़ रुपये से अधिक रहा. कंपनी ने टाटा से डील के लिए कंपनी अपनी कंपनी का मार्केट कैप 10 बिलियन रखने की मांग की थी. हालांकि, टाटा ने हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने संबंधी खबरों का पूरी तरह खंडन कर दिया था. हल्दीराम कुछ सालों में अपना आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है.