खराब मौसम ने तोड़ा हिसार की दो बेटियों का माउंट ल्होत्से पर तिरंगा फहराने का सपना

HR BREAKING NEWS. बदलते व बिगड़ते मौसम ने हिसार जिले की दो बेटियों के सपने को तोड़ दिया है। माउंट एवरेस्ट सहित कई चोटियों को फतह कर चुकी हिसार के गांव फरीदपुर की बेटी एवं पर्वतारोही अनीता कुंडू पर मौसम की मार पड़ गई। अनीता का सपना था कि वह माउंट ल्होत्से पर तिरंगा फहराकर
 

HR BREAKING NEWS. बदलते व बिगड़ते मौसम ने हिसार जिले की दो बेटियों के सपने को तोड़ दिया है।   माउंट एवरेस्ट सहित कई चोटियों को फतह कर चुकी हिसार के गांव फरीदपुर की बेटी एवं पर्वतारोही अनीता कुंडू पर मौसम की मार पड़ गई। अनीता का सपना था कि वह माउंट ल्होत्से पर तिरंगा फहराकर देश को नई उपलब्धि दे, लेकिन खराब मौसम ने उसकी सभी उम्मीदें तोड़ दीं। वह अपना अभियान बीच में ही खत्म कर बेस कैंप लौट गईं। वहीं हिसार के सेक्टर 14 निवासी शिवांगी पाठक भी इसी चोटी को फतेह करने निकली थी। लेकिन मौसम ने उनके पैर भी पीछे ही रोक दिए।

वहीं बात करें अनिता की तो वे अब बेस कैंप से लुक्ला आएंगी। उसके बाद वह काठमांडू पहुंचेंगी। इसके बाद भारत के लिए रवाना होंगी। उम्मीद है कि पांच से छह दिन में अनीता हिसार पहुंच जाएंगी। बता दें कि अनीता कुंडू माउंट ल्होत्से की चढ़ाई पर थीं। अब वह कैंप 4 में पहुंच गई हैं, जोकि 8000 मीटर की ऊंचाई पर है। मौसम ज्यादा खराब होने के कारण अनीता माउंट ल्होत्से फतेह नहीं कर पाईं। वह वापस बेस कैंप आ गईं। माउंट ल्होत्से की हाईट 8516 मीटर है। अनीता कुंडू के सहयोगी रमेश कुमार ने बताया कि यदि मौसम साफ रहता तो अनीता 24 मई को सुबह माउंट ल्होत्से पर तिरंगा फहरा देती। उन्होंने बताया कि मंगलवार को दोपहर तीन बजे अनीता से बातचीत हुई थी। उन्होंने बताया कि अभी अनीता का चेहरा फटा हुआ है। ठीक ढंग से बोला नहीं जा रहा है। वह बेस कैंप आ चुकी है।

पहले माउंट ल्होत्से से मात्र 316 मीटर नीचे थीं अनीता

इससे पहले 12 मई को अनीता कैंप-4 पहुंच गई थी। खराब मौसम के कारण वह और ऊपर नहीं जा पाईं। इससे पहले अनीता माउंट ल्होत्से से मात्र 316 मीटर ही नीचे थी। उस समय भी खराब मौसम ने अनीता का रास्ता रोक दिया था। अब दोबारा अनीता कैंप-4 पहुंच गई हैं। मौसम ज्यादा खराब होने के कारण वह वापस बेस कैंप आ गईं।

शिवांगी का सपना भी टूटा….

शिवांगी पाठक भी माउंट ल्होत्से पर चढ़ाई कर रही थीं, लेकिन कोरोना ग्रस्त होने के बाद उन्हें अभियान को रोकना पड़ा था। कोरोना को मात देने के बाद दस मई को उसने दोबारा से बेस कैंप पहुंच गई थी। शिवांगी कैंप दो के लिए रवाना हुईं तो इसी बीच खराब मौसम के कारण उन्हें भी अपना अभियान खत्म कर वापस आना पड़ा। शिवांगी काठमांडू आ चुकी हैं।