Old Pension Scheme : देश के लिए क्यों है खतरनाक पुरानी पेंशन योजना, आइये जानते है डिटेल में 

देश के कई राज्यों में सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को शुरू किया है पर कुछ एक्सपर्ट इसे देश के लिए खतरनाक मानते हैं पर ऐसा क्यों, इसके पीछे कई कारण है । आइये जानते हैं डिटेल में। 

 

HR Breaking News, New Delhi : पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) राजनीतिक पार्टियों की फेवरेट लॉलीपॉप बन गई है, जिससे वे जनता को रिझाते हैं। जब भी चुनाव आते हैं, ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा गर्मा जाता है। पिछले कुछ समय से हमने राज्यों के विधानसभा चुनावों में यह देखा है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगभग हर विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा कर रही है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में यह वादा किया था। राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे लागू कर दिया है और आप सरकार पंजाब में इस स्कीम को लागू करने की तैयारी कर रही है। गुजरात चुनावों में भी आप और कांग्रेस दोनों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया है।


भविष्य के करदाताओं पर पड़ेगा बोझ
लेकिन क्या पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करना अर्थव्यवस्था के लिहाज से सही है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि पहले से ही कर्ज में डूबे राज्यों के लिए यह योजना नई मुसीबत ला सकती है। इससे आगामी सरकारों पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ेगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) को दोबारा शुरू करने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, 'इससे भविष्य के करदाताओं पर बोझ पड़ेगा। इस देश की राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पुरानी पेंशन योजना के फिर से शुरू होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। मेरे खयाल से यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसका भार मौजूदा करदाताओं पर नहीं, बल्कि भावी करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।’

अप्रैल 2004 से बंद हुई थी पुरानी पेंशन स्कीम
पुरानी पेंशन योजना को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने एक अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था। नई पेंशन योजना (New Pension Scheme) के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं। जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान देती है। ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी। यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी। इस स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन का प्रावधान था। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था। इसकी जगह नई पेंशन योजना (New pension scheme) लागू की गई थी। इसके बाद राज्यों ने भी नई पेंशन योजना को अपना लिया।

राज्यों के कर राजस्व से कहीं अधिक होगी पेंशन देनदारी
पिछले महीने एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पुरानी पेंशन योजना आने वाले समय में इकनॉमी के लिए घातक साबित हो सकती हैं। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ऐसे खर्चों को राज्य की जीडीपी या राज्य के कर संग्रह के एक फीसदी तक सीमित कर दे। इस रिपोर्ट में तीन राज्यों का उदाहरण दिया गया। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों की लिखी इस रिपोर्ट में कहा गया कि गरीब राज्यों की श्रेणी में आने वाले छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में सालाना पेंशन देनदारी तीन लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। रिपोर्ट के अनुसार, इन राज्यों के कर राजस्व के प्रतिशत के रूप में अगर पेंशन देनदारी को देखा जाए तो यह काफी ऊंचा है। झारखंड के मामले में यह 217 फीसदी, राजस्थान में 190 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 207 फीसदी है।