family pension : हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन पर लिया बड़ा फैसला, दिए पेंशन का भुगतान करने के निर्देश

family pensionको लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि परिवार पेंशन के आवेदन को यथासंभव शीघ्रता से छह सप्ताह के भीतर संसाधित करें और तुरंत परिवार पेंशन की गणना, मंजूरी और वितरण उपरोक्त निर्धारित समय अवधि में करें। ताकि किसी को कोई परेशानी न हो।
 

HR Breaking News : कटक। हाईकोर्ट (high court) ने एक बार फिर से पेंशनर्स (pensioners) को बड़ी राहत दी है। दरअसल एक महत्वपूर्ण आदेश में हाई कोर्ट में सुनवाई करते हुए पारिवारिक पेंशन (family pension) पर बड़े निर्णय लिए हैं।

वहीं उच्च न्यायालय ने सरकार से कर्मचारियों के ट्रांसजेंडर बाल परिवार पेंशन का भुगतान (pension payment) करने के आदेश जारी किए हैं। जिसका फायदा पेंशनर्स को होगा।

 

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अविवाहित ट्रांसजेंडरको तुरंत पेंशन भुगतान के आदेाश


ओड़ीसा उच्च न्यायालय ने कानूनी प्रावधान के अनुसार मृत कर्मचारियों की अविवाहित ट्रांसजेंडर संतानों को पारिवारिक पेंशन का तत्काल भुगतान करने का आदेश जारी किया है। उनके पिता बालाजी कोंडागरी, रायगढ़ में ग्रामीण विकास विभाग में एक सरकारी कर्मचारी (government employees) थे। बालाजी की मृत्यु के बाद, पारिवारिक पेंशन स्वीकृत की गई और उनकी पत्नी बिंजामा को वितरित की गई।

 

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ओंकार देवदास ने पैरवी 


17 जुलाई, 2020 को बिंजामा की उम्र संबंधी बीमारियों के कारण मृत्यु हो गई। इसके बाद, कांतारो ने पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया। कांतारो अविवाहित है। हालांकि पिछले 29 जून को कांतारो के पक्ष में सक्षम प्राधिकारी द्वारा इसे मंजूरी दी गई थी। वहीँ ओडिशा के प्रधान महा लेखाकार (A & E), उनके पक्ष में पारिवारिक पेंशन के वितरण के लिए कोई ककांतारो ने एक याचिका दायर कर एक निर्धारित समय के भीतर अपने पक्ष में पारिवारिक पेंशन की मंजूरी के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ओंकार देवदास ने पैरवी की। अनुमति देते हुए, न्यायमूर्ति एके मोहपात्रा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को एक ट्रांसजेंडर के रूप में अपना लिंग चुनने का पूरा अधिकार है और उसने ओडिशा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1992 धारा 56 (1) के तहत पारिवारिक पेंशन के अनुदान के लिए अपना आवेदन जमा किया था।

प्रधान महालेखाकार को दिए निर्देश

वहीँ सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति महापात्रा ने प्रधान महालेखाकार (ए एंड ई), ओडिशा को निर्देश दिया कि वह कांतारो के परिवार पेंशन के आवेदन को यथासंभव शीघ्रता से छह सप्ताह के भीतर संसाधित करें और तुरंत परिवार पेंशन की गणना, मंजूरी और वितरण उपरोक्त निर्धारित समय अवधि में करें जैसा कि उसके लिए देय और स्वीकार्य है।

कोर्ट के नियम सभी पर बाध्यकारी हैं


इस तरह के अधिकार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता दी गई है और वैध किया गया है और शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून सभी पर बाध्यकारी है। इसलिए, याचिकाकर्ता द्वारा दायर वर्तमान रिट याचिका अनुमति देने योग्य है और इसके भुगतान की अनुमति दी गई है। ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रमाण पत्र के अनुसार कांतारो एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति है। दम नहीं उठा रहे हैं।