Indian culture : दूधो नहाओ, पूतो फलो, महिलाओं को इसलिए दिया जाता है ये आशीर्वाद, आप भी जानिए
HR Breaking News, New Delhi : हिंदू धर्म में पैर छूना एक विशेष परंपरा है और बड़े-बुजुर्गों के पैर छूना सम्मान का प्रतीक भी माना जाता है. अपने से बड़ों के पैर छूकर हम उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं और बड़े भी खुश होकर ढेरों आशीर्वाद देते हैं. खासतौर से महिलाओं को बहुत ही भिन्न-भिन्न प्रकार के आशीर्वाद मिलते हैं. नई-नवेली दुल्हन जब ससुराल आती है तो पैर छूने पर हर कोई उसे सदा सुहागन रहो, सौभाग्यवती भव: और दूधो नहाओ पूतो फलो जैसे आशीर्वाद देते हैं. इनमें से अधिकतर आशीर्वाद का मतलब समझ में आता है लेकिन ‘दूधो नहाओ, पूतो फलो का मतलब हर किसी को समझ नहीं आता. जबकि इस आशीर्वाद के पीछे बहुत ही गहरा अर्थ छिपा हुआ है. आइए जानते हैं इस आशीर्वाद का मतलब.
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दूधो नहाओ, पूतो फलो आशीर्वाद
यह आशीर्वाद आमतौर पर शादी के बाद ससुराल आने वाली नई-नवेली दुल्हन को दिया जाता है. इसके माध्यम से महिलाएं उस दुल्हन से कई अपेक्षाएं प्रकट करती हैं. इस आशीर्वाद का मतलब है कि भविष्य में दूध से नहाना और पुत्र का सुख भोगना. साधारण शब्दों में कहें तो इस आशीर्वाद का अर्थ है कि आपके घर में कभी धन-सम्पत्ति और सुख-समृद्धि के कमी न हो और संतान सुख की प्राप्ति हो. बिना धन के दूध से स्नान करना संभव नहीं है और बिना संतान के जीवन अधूरा है. महिलाओं को घर की लक्ष्मी कहा जाता है और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह अपने घर को अच्छे सें संभाले.
यही वजह है कि घर के बड़े-बुजुर्ग हमेशा नई दुल्हन या घर की बहु को यह आशीर्वाद देते हैं. इस आशीर्वादा के साथ ही भगवान से यह प्रार्थना भी करते हैं कि जल्द ही जल्द बहु को मां बनने का सुख प्राप्त हो ताकि घर में मौजूद बुजुर्गों को बच्चों के साथ समय बिताने का मौका मिल सके. कहीं न कहीं इस आशीर्वाद के पीछे हमारे बुजुर्ग हमारे लिए भगवान से सुख और समृद्धि की कामना करते हैं.
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आशीर्वाद का महत्व
हिंदू धर्म में पैर छूने की परंपरा है और इसके माध्यम से लोग आशीर्वाद देते भी हैं और आशीर्वाद लेते भी हैं. जब बड़ों के पैर छूए जाते हैं तो वह अपने बच्चों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद बहुत मान्य रखता है उनका आशीर्वाद पाकर हम खुद को धन्य समझते हैं. संस्कृत के मुताबिक आशीर्वाद का अर्थ है, मंगलकारी बातें, सद्भावना अभिव्यक्ति, प्रार्थना और कल्याणकारी इच्छा. किसी बड़े के पैर छूने व नमस्कार करने पर वह छोटों को आशीर्वाद अवश्य देते हैं.