liquor in steel glass : स्टील के गिलास में शराब पीने से क्या होता है, पीने वाले तो जरूर जान लें ये बात
HR Breaking News (ब्यूरो)। हर जगह शराब को सबसे ज्यादा शीशे के गिलास में परोसा जाता है। देखा जाए तो पीने के शौकीनाें को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पैमाना किस चीज का बना है। आपने भी लोगों को शीशे के चमचमाते गिलास से लेकर प्लास्टिक गिलास और मिट्ठी के कुल्हड़ों तक में इसका आनंद उठाते देखा होगा। हालांकि आज के समय में स्टील के गिलास में शराब परोसा जाना और पीना जरा 'डाउनमार्केट' माना जाता है। आखिर इसके पीछे क्या वजह है कि बहुत सारे लोग स्टील के गिलास में शराब पीने को सही नहीं मानते। क्या सेहत के नजरिए से भी ये ठीक नहीं है? आइए, जानते हैं क्या है इसकी सच्चाई...
स्टील के गिलास में शराब पीने से सेहत पर क्या असर
जानकारों को मानना है कि स्टील के गिलास में शराब (wine in steel glass) पीने का सेहत के नजरिए से कोई नुकसान नहीं है। शराब बनाने की पूरी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरण तक स्टेनलेस स्टील के होते हैं। फर्मेंटिंग टैंक से लेकर फिल्टरिंग उपकरण तक सब स्टील के बने होते हैं। इस बात के सबूत भी नहीं मिले कि स्टील के गिलास में शराब डालने से उसका केमिकल नेचर या फ्लेवर प्रभावित होता हो। यानी स्टील के गिलास में शराब बिलकुल सेफ है। बाजार में तो कुछ स्टायलिश बीयर मग भी आते हैं, जो स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं. और तो और, कॉकटेल्स बनाने के शेकर्स और दूसरे मिक्सिंग उपकरण भी स्टेनलेस स्टील के ही बने होते हैं।
तो स्टील गिलास से क्या है नुकसान
जानकारों के अनुसार, शराब पीने के एहसास को बेहतर बनाता है उसे पूरी शिद्दत से महसूस कर पाना। खाने-पीने के स्वाद के एहसास की सबसे बड़ी ताकत है हमारी आंखें. बाकी शराब की महक, उसका स्वाद, उसका स्पर्श आदि महसूस करने के लिए हमारी दूसरी ज्ञानेंद्रियां मदद करती हैं। कान का इस्तेमाल तब होता है, जब हम पैमाने टकराते हैं और इसकी खनक कानों तक पहुंचती है। ऐसे में स्टील के गिलास का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि पीते वक्त शराब को देख पाना ही मुमकिन नहीं हो पाता। पीने से पहले आंखों से शराब को देखने का मनोवैज्ञानिक असर बहुत बड़ा होता है, जिसका संबंध सीधे उसके स्वाद से होता है।
स्टील के गिलास इसी एहसास को बेहद सीमित कर देते हैं। ये कुछ वैसा ही है, मानो आंखों पर पट्टी बांधकर कोई स्वादिष्ट चीज खाना। वहीं स्टेनलेस स्टील के गिलास में धातु की महक भी आ सकती है, जो शराब के फ्लेवर के एहसास में बाधा बन सकती है। कांच के गिलास गंधहीन होते हैं, इसलिए ये नुकसान नहीं होता.
ये तो स्टाइल का भी मामला !
हमारे देश में अधिकतर लोगों को शराब में पानी, सोडा, जूस, कोल्ड ड्रिंक आदि मिलाने की आदत होती है। शीशे के गिलास में ये सुविधा है कि पीने वाले को डाली गई शराब और उसमें मिलाए जाने वाले दूसरे तरल की मात्रा का पूरा एहसास रहता है। वहीं, शराब बेचने वाली कंपनियों ने भी इसकी मार्केटिंग कुछ तरह की है कि पीने के साथ-साथ पीने का तरीका भी बेहद अहम हो चला है। विज्ञापनों ने खूबसूरत ग्लासेज में महंगी शराब (expensive wine in glasses) पीने को इतना स्वीकार्य बना दिया है कि स्टील के गिलास उस एहसास को कमतर करते हुए लगते हैं। रूपहले पर्दे पर किसी रईस किरदार को स्टील के गिलास में शराब पीते आपने शायद ही कभी देखा हो। इसलिए कांच के गिलास में शराब पीने के पीछे एक स्टाइल का मामला भी है।
एक ही तरह की क्यों होती है बीयर की बोतल
आपने देखा होगा कि बीयर की हर बोतल में एक चीज कॉमन है वो है शेप और कलर। क्या आपको पता है हर बीयर की बोतल ऊपर से पतली क्यों होती है... वैसे तो बीयर दूसरी डिजाइन वाली बोतलों में भी हैं, परंतु अधिकतर बीयर की बोतल लॉन्ग नेक में ही मिलती है।
इसमें बोतल नीचे से थोड़ी चौड़ी होती है और ऊपर एक पाइप की तरह होती है। इस तरह की डिजाइन को नॉर्थ अमेरिकन लॉन्गनेक डिजाइन बोला जाता है। अब ये इंडस्ट्री स्टैंडर्ड बोतल मानी जाती है और अक्सर इसी का इस्तेमाल होता है। इसे स्टैंडर्ड लॉन्गनेक बोतल भी कहते हैं।
ये हैं तीन कारण
इस डिजाइन के पीछे जो कारण हैं उनमें से एक तो ऐसा होने से जब कोई बोतल से बीयर पीता है तो उसे पकड़ने में आसानी होती है। इस तरह की बीयर की बोतल को आसानी से होल्ड किया जा सकता है। साथ ही ये भी माना जाता है कि इससे शरीर और बीयर के बीच ट्रांसफर होने वाली गर्मी भी कम होती है। इस कारण बीयर ज्यादा देर तक ठंडी रहती है। वहीं इसके अलावा कई लोग इसे लागत से जोड़कर भी देखते हैं। इसे बनाने का खर्च भी कम आता है।