Kuldeep Bishnoi Next Step जिस पार्टी से तोड़ा था गठबंधन उसी में शामिल हो सकते है कुलदीप, मिल सकता है ये पद
 

हरियाणा से राज्यसभा (Rajya Sabha)  की दो सीटों के लिए हुए चुनाव में काग्रेंस (Congress) के खिलाफ क्रॉस वोटिग (cross voting)करने को लेकर विधायक कुलदीप बिश्नोई (MLA Kuldeep Bishnoi) को शनिवार को कांग्रेस हाईकमान (Congress high command) ने लेटर जारी करते हुए निष्काषित कर दिया।  जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में कुलदीप बिश्नोई (kuldeep bishnoi) द्वारा भाजपा ज्वाइन (kuldeep joined BJP) करने  और पार्टी में अहम जिम्मेदारी  मिलने को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। आइए नीचे खबर में जानते हैं कुलदीप बिश्नोई की अगली राजनीतिक तैयारी के बारे में
 
 

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क चंडीगढ़, काग्रेंस पार्टी द्वारा  राज्य सभा चुनाव (Rajya Sabha elections) में क्रॉस वोटिग करने को लेकर विधायक कुलदीप बिश्नोई को सस्पेंड (Kuldeep Bishnoi suspended) करने के बाद से ही सोशल मीडिया पर कुलदीप को लेकर चर्चाएं जोरों पर है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुलदीप बिश्नोई जल्द ही भाजपा ज्वाइन कर सकते है।

वहीं दूसरी ओर हरियाणा सीएम मनोहर लाल (Haryana CM Manohar Lal) द्वारा देर शाम जारी एक बयान में कुलदीप को पार्टी में आने को लेकर रास्ते खोल दिए है। वहीं अटकले यह भी लगाई जा रही है कि भाजपा में उन्हें बड़े पद की जिम्मेदारी मिल सकती है। सूत्रों की माने तो शनिवार को रात कुलदीप बिश्नोई की हाईकमान से  पद को लेकर काफी देर तक बात चली। वहीं राजनीतिक सलाहाकारों की मानें तो कुलदीप बिश्नोई को कैबिनेट में भी जगह मिल (Kuldeep Bishnoi also got a place in the cabinet) सकती है। 


कुलदीप ने 6 साल पहले, 28 अप्रैल 2016 को गांधी परिवार के नेतृत्व में आस्था जताते हुए अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां)पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था। कुलदीप के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने 2007 में कांग्रेस से अलग होने के बाद हजकां का गठन किया था। अब कांग्रेस ने 6 साल में ही कुलदीप से फिर किनारा कर लिया।

 

 

भजन लाल को सीएम न बनाने पर बनी हजकां

कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष भजन लाल के नेतृत्व में 67 सीटें जीती थी, परंतु उन्हें सीएम न बनाकर भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा को पार्टी हाईकमान ने ये जिम्मेदारी सौंप दी थी। कांग्रेस हाईकमान ने उनके बड़े बेटे चंद्र मोहन को डिप्टी सीएम का ऑफर दिया। साथ ही कुलदीप को केंद्र में मंत्री पद का ऑफर। भजन लाल इस पर नाराज नहीं थे, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां बनी कि भजनलाल के समर्थक विधायक उनका साथ छोड़कर धीरे-धीरे कांग्रेस आलाकमान के बैनर तले इकट्‌ठे हो गए। इसके बाद भजनलाल अपने बड़े बेटे चंद्र मोहन को डिप्टी सीएम बनाने पर राजी हो गए।

कांग्रेस सरकार में न तो भजन लाल संतुष्ट थे और न ही उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने वर्ष 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया। 3 जून 2011 में भजन लाल के देहांत हो जाने के बाद बिश्नोई ने पार्टी की कमान संभाली थी।

हुड्‌डा ने तोड़ लिए थे कुलदीप के 5 MLA

2009 में हजकां को 6 सीटें जीतीं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के नेतृत्व में लड़े इस चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला और उनके पास 40 विधायक थे। सरकार बनाने के लिए 46 विधायक चाहिए थे, लेकिन हजकां के 5 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। कुलदीप बिश्नोई ने सदस्यता रद्द करवाने के लिए हरियाणा विधानसभा में स्पीकर के पास याचिका दायर की, लेकिन स्पीकर ने यह मामला काफी समय तक लंबित रखा और बाद में खारिज कर दिया। इसके बाद कुलदीप पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में गए। कोर्ट ने अक्टूबर 2014 को पांचों विधायकों की सदस्यता दल बदल कानून के तहत रद्द कर दी।


पिछली बार BJP से गठबंधन नहीं आया रास

इसके बाद हजकां का भाजपा के साथ गठबंधन हुआ। मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा। भाजपा ने 7 सीटें जीती, एक कांग्रेस और 2 इनेलो के पास आई। हजकां अपने कोटे की हिसार और सिरसा लोकसभा सीटें हार गई। विधानसभा चुनाव में दोनों का 45-45 सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता लागू न होने पर गठबंधन टूट गया और चुनाव में 2 सीटें जीती। इसके बाद कुलदीप ने 2016 में कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया, परंतु अब कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस ने सस्पेंड कर दिया है। कुलदीप दोबारा से भाजपा में जा सकते हैं। क्योंकि सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि हम कुलदीप का स्वागत करेंगे। उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट दिया।


हुड्‌डा ने प्रदेशाध्यक्ष बनने में अटकाए रोड़े

9 अप्रैल 2021 में कुमारी सैलजा के इस्तीफा देने के बाद कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में थे। हुड्‌डा भी अपने बेटे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते थे, परंतु सांसद होने और खुद हुड्‌डा के नेता प्रतिपक्ष होना इसमें रोड़ा बना हुआ था। इसलिए कुलदीप बिश्नोई दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन एकाएक हुड्‌डा ने दलित नेता उदयभान का नाम हाईकमान के सामने रख दिया और 27 अप्रैल 2021 को अपनी बात मनवाने में कामयाब रहे। इससे कुलदीप नाराज हो गए और मौके की तलाश में थे। कुलदीप ने राज्यसभा चुनाव में अंतरात्मा की आवाज पर वोट की बात कहकर न केवल हाईकमान को अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया, बल्कि हुड्‌डा की भी चिंता बढ़ा दी थी। कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को हराकर बिश्नोई ने हुड्‌डा से अपने दिल का भड़ास निकाल ली।