इस अभिनेत्रीने किया हिजाब का समर्थन, दस्तार का दिया उदाहरण तो भड़के मंजिन्दर सिरसा
कर्नाटक में स्कूली छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शुक्रवार को यह मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इस पर सियासी जगत से परे कला जगत से भी कई बयान आए, जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी।
इनमें कंगना रनौत, शबाना आजमी के साथ-साथ सोनम कपूर का नाम भी शामिल है। कंगना जहां हिजाब के खिलाफ बोलती नजर आईं, वहीं सोनम कपूर ने इसके पक्ष में बयान दिया, जबकि दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने भारत के 'धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक' पक्ष पर अपनी बात रखी।
हिजाब को लेकर छिड़े विवाद के बीच एक्ट्रेस सोनम कपूर ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट किया, जिसमें वह न सिर्फ हिजाब का समर्थन करती नजर आईं, बल्कि उन्होंने इसकी तुलना सिख समुदाय में पहने जाने वाले दस्तार से भी की, जिसके बाद बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा भड़क उठे और एक्ट्रेस पर दो समुदायों के बीच वैमन्य बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की अपनी मान्यताएं और उन्हें कायम रहने देना चाहिए, लेकिन इस तरह के संवेदनशील मामलों पर ऐसी टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जिससे तनाव और बढ़े।
'हिजाब और दस्तार की तुलना गलत'
सिरसा ने हिजाब और दस्तार की तुलना को गलत करार देते हुए कहा कि दस्तार लिबास नहीं है, बल्कि सिख समुदाय में यह उनके शरीर के एक अंग की तरह है। दोनों की तुलना गलत है। सोनम कपूर की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील मसलों पर इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए। इससे एक्ट्रेस के किसी खास पार्टी के इशारे पर काम करने जैसा प्रतीत होता है, जो इस मसले को हवा देकर लोगों की भावनाओं को भड़का रही है।
कंगना रनौत ने किया हिजाब का विरोध
सोनम कपूर के इस इंस्टाग्राम पोस्ट से पहले कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें अभिनेत्री ने लेखक आनंद रंगनाथन का एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था, 'साहस दिखाना है तो अफगानिस्तान में बुर्का न पहनकर दिखाओ। आजाद होना सीखो, खुद को पिंजरे में कैद करना नहीं।'
इसके बाद दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने कंगना रनौत की पोस्ट अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा था, 'अगर मैं गलत हूं तो मुझे करेक्ट करना, लेकिन अफगानिस्तान एक धार्मिक राज्य है और आखिरी बार जब मैंने चेक किया तो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य ही पाया।'
यहां गौर हो कि कर्नाटक में हिजाब पर बवाल की शुरुआत जनवरी मध्य से ही शुरू हो गई थी, जब उडुपी सहित राज्य के कई हिस्सों में स्कूल-कॉलेजों की छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें हिजाब में होने की वजह से कक्षाओं में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। इस पर विवाद उस वक्त और गहरा गया, जब 5 फरवरी को कर्नाटक सरकार ने स्कूल-कॉलेजों के लिए ड्रेस कोड को जरूरी बताया।
यह मामला शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां कर्नाटक सरकार के उस अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए इस पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई, जिसमें हाई कोर्ट ने राज्य में विवाद के बाद बंद किए गए स्कूल-कॉलेजों को खोलने के निर्देश सरकार देते हुए छात्रा-छात्राओं से कहा कि जब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता, वे हिजाब या धार्मिक पहचान वाले अन्य परिधानों पर दबाव न बनाएं। कर्नाटक हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी (सोमवार) की तारीख निर्धारित की है। स्टूडेंट्स ने इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए त्वरित सुनवाई की मांग की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि इस मामले में अभी अंतिम फैसला ही नहीं आया तो चुनौती कैसी? शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सभी के अधिकारों की रक्षा की जाएगी और मामले की सुनवाई 'उचित समय' पर होगी।