हंगामे दार रही एसकेएम की समीक्षा मीटिंग, मोर्चा ने लिया कड़ा फैसला : पंजाब में चुनाव लड़ने वाले किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा से चार महीने के लिए बाहर
HR Breaking News (संदीप बिश्नोई) सयुंक्त किसान मोर्चा की कुंडली बॉर्डर पर आयोजित मीटिंग काफी हंगामेदार रही। एक दूसरे पर गंभीर आरोप तक लगाए गए। कई बार झगड़े की नौबत आई। आखिरकार 5 घंटे की मीटिंग के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब में चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं की यूनियन को चार महीने के लिए एसकेएम से बाहर कर दिया।
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चार महीने बाद फिर एक समीक्षा बैठक होगी। केंद्र सरकार के खिलाफ 31 जनवरी को पूरे देश में वादाखिलाफी दिवस मनाने की घोषणा की गई। जिसमें प्रधानमंत्री व भाजपा का पुतल दहन किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। खुद को लोहे की बेड़ियों में जकड़कर आए किसानों ने एसकेएम पर आंदोलन को बेचने का आरोप लगाया।
कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग 12 बजे शुरू हुई। एसकेएम के बड़े नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह, जोगेंद्र सिंह उग्राहं, राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, गुरनाम चडूनी, जगजीत सिंह डल्लेवाल, शिवकुमार कक्का, हनान मोला, युद्धबीर सिंह, मंजीत राय, जोगेंद्र नैन, अभिमन्यू कोहाड़, सुरेश कैथ मीटिंग में पहुंचे। मीटिंग की शुरूआत की हंगामे के साथ हुई।
पंजाब में चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं को बाहर करने के नारे लगने लगे। जिससे माहौल बिगड़ गया। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने किसानों को शांत कराया। करीब 5 घंटे तक कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद सर्वसम्मति से पंजाब में चुनाव लड़ने वाली पंजाब की 22 जत्थेबंदियों व हरियाणा की एक गुरनाम सिंह चडूनी की यूनियन को 4 महीने के लिए एसकेएम से बाहर कर दिया।
एसकेएम ने 31 जनवरी को वादाखिलाफी दिवस व 1 फरवरी से मिशन यूपी की शुरूआत करने का भी एलान किया। 23 व 24 जनवरी को मजदूरों की हड़ताल को एसकेएस ने समर्थन दिया।
एसकेएम पहले दिन से राजनीतिक था, टिकैत, हनान मौला चुनाव लड़ चुके हैं : चडूनी
किसान नेता गुरनाम सिंह चडूनी ने मीटिंग में कहा कि एसकेएम पहले दिन से राजनीतिक था। योगेंद्र यादव की अपनी राजनीतिक पार्टी है। राकेश टिकैत व हनान मौला चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में एसकेएम को गैर राजनीतिक कहना सही नही है। चडूनी ने कहा कि वे खुद चुनाव नही लड़ रहे हैं।
वे किसान नेताओं को चुनाव लड़ा रहे हैं। किसानों की आवाज पहुंचाने के लिए किसानों का राजनीति में आना जरुरी है। गुरनाम की इस बात का किसान नेता बलदेव सिरसा ने विरोध किया। बलदेव सिरसा ने कहा कि किसानों के नाम पर राजनीति बर्दाश्त नही की जाएगी। अच्छा होगा कि चुनाव लड़ने वाले संगठन खुद ही एसकेएम से बाहर हो जाएं।
मीटिंग के बाहर किसानों ने लगाया एसकेएम पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप
पंजाब व हरियाणा के कुछ ऐसे किसान हैं,जोकि अभी भी दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं। शनिवार को भी पंजाब के पटियाला निवासी सरदार सतनाम सिंह, सुखबीर बिचपड़ी, कुलदीप सिंह दोधर, मालीराम, राजेंद्र कोल्हा, प्रदीप धनखड़, जयवीर, मुख्यतार खान कुंडली खुद को लोहे की बेड़ियों में जकड़कर पहुंचे। उन्होंने एसकेएम के नेताओं पर देश के किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया।
पंजाब के 22 जत्थेबंदियों ने चुनाव के लिए किसानों हितों की बलि दी है। सतनाम सिंह ने कहा कि आंदोलन की समाप्ति भाजपा व किसान नेताओं की मिलीभगत से हुई है। किसान गुलामी की जिंदगी गुजार रहे हैं। लेकिन एसकेएम व सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया है।
एमएसपी को लेकर कोई कमेटी नही बनी, हरियाणा को छोड़कर कही केस वापस नही हुए
युद्धबीर सिंह ने कहा कि सरकार अपने वादे से मुकर रही है। एमएसपी पर कोई कमेटी नही बनाई है। हरियाणा को छोड़कर किसी भी प्रदेश सरकार ने केस वापस नही लिए हैं। शहीद किसानों के परिवार को मुआवजा तक नही दिया गया है। एसकेएम मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रही है।