Property Knowledge : क्या 12 साल तक एक मकान में रहने के बाद किरायेदार बन जाएगा मालिक, जान लें कानून
Rights of tenant : आज के समय में प्रॉपर्टी के रेट काफी ज्यादा बढ़ गए है। ऐसे में लोगों के लिए खुद का घर बनाने का सपना-सपना ही रह जाता है। ऐसे में अक्सर लोग इस बात को जानते हैं कि अगर आप किसी भी प्रॉपर्टी में लगातार 12 साल तक रहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में आप उस प्रॉपर्टी (property rights in india) में कानूनी रूप से मालिक होने का दावा कर सकते हैं। हांलाकि इसके लिए कुछ शर्त भी होती है। आइए विस्तार से जानते हैं प्रॉपर्टी से जुड़े कानून के बारे में।

HR Breaking News - (property ownership disputes)। आए दिन कोर्ट में प्रॉपर्टी के विवाद समने आते रहते हैं। ऐसे में कई बार ये भी मामले देखे जाते हैं जिसमें प्रॉपर्टी पर रहने वाला किरायेदार इस प्रॉपर्टी पर खुद के मालिकाना हक (ownership of property) का दावा कर देता है लेकिन क्या आप इससे जुड़े कानून के बारे में जानते हैं। अक्सर देखा जाता है कि जब लोग किसी प्रॉपर्टी में लगातार ही 15 साल तक रहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में वो उस प्रॉपर्टी (property news) पर खुद के मालिक होने का दावा कर देते हैं। लेकिन अधिकतर लोग इसके पीछे के कानून को नहीं जानते हैं।
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प्रतिकूल कब्जे के तहत कर सकता है कैस
अगर कोई किराएदार किसी संपत्ति में लगातार 12 साल तक रहता है तो ऐसे में वो उस संपत्ति पर मालिक होने का दावा कर सकता है। इसे प्रॉपर्टी पर प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession) भी कहा जाता है। लेकिन आपको बता दें कि ये इतना ज्यादा आसान नहीं होता है। इसके लिए कुछ नियम व शर्तों को बनाया गया है। इसके नियम और शर्तों को जानने से पहले आपको इस बारें में पता होना चाहिए कि प्रतिकूल कब्जा यानी ऐड्वर्स पजेशन (Adverse Possession rule) क्या होता है।
जानिये क्या होता है ऐड्वर्स पजेशन
अगर कोई भी किरायेदार किसी संपत्ति में लगातार 12 साल तक रता है तो ऐसे में किरायेदार उस संपत्ति पर ऐड्वर्स पजेशन का दावा कर सकता है। ऐड्वर्स पजेशन का मतलब होता है कि किरायेदार ने प्रॉपर्टी पर 12 साल तक बिना किसी विवाद या आपत्ति के प्रॉपर्टी (property legal rights) का फायदा लिया है तो इस परिस्थिति में वो उस प्रॉपर्टी का मालिक बनने का दावा कर सकता है।
इन स्थिति में ही मिलेगा हक
जब किराएदार प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के लिए कोर्ट में कैस फाइल करता है तो ऐसे में वो Adverse Possession (Adverse Possession) के तहत कोर्ट में मुकदमा दर्ज करता है। इसमें उसको ये साबित करना होता है कि जिस शख्स से उसने प्रॉपर्टी पोजेशन लिया था वह उस प्रॉपर्टी का ही असली मालिक था।
इसी के साथ किराएदार को यह भी साबित करना होता है कि 12 साल (12 year property rule) तक वो बिना किसी आपत्ति या फिर विवाद के मालिक ने उसके पास प्रॉपर्टी का पोजेशन रखा था। इस परिस्थिति में वो प्रॉपर्टी के मालिक बन सकता है।
बिना सबूत के नहीं होगा दावा
अगर किरायेदार प्रॉपर्टी का मालिक बनने जा रहा है तो किराएदार (kiraydar ke adhikar) को सबूत के तौर पर टैक्स, पानी-बिजली का बिल और गवाहों के एफिडेविट भी कोर्ट में जाकर जमा कराना होगा। अगर किरायेदार के पास सबूत जमा नहीं होते हैं तो ऐसी परिस्थिति में किरायेदार उस प्रॉपर्टी के मालिक (owner rights) होने का दावा नहीं कर सकता है।
मकान मालिक प्रॉपर्टी किराये पर देने से पहले दे ध्यान
जब भी मकान मालिक कोई प्रॉपर्टी को किराए पर देने के बारे में विचार करता है तो अक्सर उनके मन में ये डर बैठा रहता है कि किराएदार उस संपत्ति पर कब्जा या मालिकाना हक (Ownership rights) का दावा न कर दें। ऐसी स्थिति से बचने के लिए प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले उनको कुछ नियमों और कागजी कार्रवाई को पूरा कर लेना चाहिए।
इन दस्तावेजों को बनवाना है जरूरी
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अगर आप अपनी कोई प्रॉपर्टी किराये पर देने के बारे में सोच रहे हैं तो इसके लिए आपको प्रॉपर्टी किराये पर देने से पहने रेंट एग्रीमेंट या लीज डीड को जरूर से ही बनवा लेना चाहिए। रेंट एग्रीमेंट (rental agreement india) ज्यादातर 11 महीने के लिए ही बनाया जाता है। ऐसे में इसे 11 महीने बाद रिन्यू कराना काफी ही ज्यादा जरूरी है।
कुछ लोग कागजी कार्रवाई और एंग्रीमेंट का खर्च को बचाने के लिए इसे रिन्यू नहीं करा सकते हैं। जिसकी वजह से उन्हें लंबे समय में काफी नुकसान हो सकता है। रेंट एग्रीमेंट और लीज डीड (Lease Deed) में किराया, अवधि आदि जानकारी लिखी होती है।