Supreme Court Decision : करोड़ों सरकारी कर्मचारियों को तगड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया सुप्रीम फैसला
Supreme Court Decision on Job : सरकारी नौकरी, भारत में लगभग हर युवा का सपना होता है। सरकारी नौकरी के लिए युवा कड़ी मेहनत करते हैं। टेस्ट, साक्षातकार क्लीयर करते हैं। फिर जाकर कहीं नौकरी मिलती है। एक-एक पद के लिए हजारों लोग फार्म भरते हैं। इसी सरकारी नौकरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से इसी कड़ी मेहनत से पाई गई सरकारी नौकरी के विषय में बड़ा फैसला दिया है। इससे सरकारी कर्मचारियों को तगड़ा झटका भी लगा है।
Hr Breaking News (Supreme Court Decision on promotion) : देश में करोड़ों युवाओं का पहला सपना सरकारी नौकरी होता है। सरकारी नौकरी मिलने के बाद फिर वह विभाग में कड़ी मेहनत करते हुए अपने प्रमोशन की सोचता है। नौकरी में प्रमोशन के विषय पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision ) का एक मामले में बड़ा फैसला आया है। इस फैसले से कर्मचारियों को काफी तगड़ा झटका लगा है। कर्मचारियों के लिए प्रमोशन बहुत मायने रखता है।
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सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है या नहीं
कर्मचारियों को सरकारी नौकरी में प्रमोशन की हमेशा उम्मीद रहती है। बहुत से सर्विस से संबंधित रुल्स के तहत कर्मचारियों को प्रमोशन (Supreme Court on govt job promotion) मिलता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठा कि क्या सरकारी नौकरी में कर्मचारियों को प्रमोशन का अधिकार है? इस सवाल का जवाब सीजेआई (CJI) की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बहुत क्लीयर शब्दों में दिया है। इस फैसले से करोड़ों कर्मचारियों को प्रमोशन के बारे में अधिकार को लेकर क्लीयर हो जाएगा।
प्रमोशन संवैधानिक अधिकार नहीं
सरकारी नौकरी लेते समय युवा ये भी सोचते हैं कि किसी भी पद पर मिले, बस नौकरी मिल जाए। फिर आगे प्रमोट होकर नौकरी में तरक्की कर लेंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision in job promotion) ने इसमें बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने एक मामले में कहा है कि सरकारी नौकरी में प्रमोशन का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। संविधान में इसके बारे में कोई क्राइटेरिया नहीं लिखा है। लिहाजा, कर्मचारी भी प्रमोशन के लिए कोई दावा पेश नहीं कर सकते।
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कौन बना सकता है नियम
सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कहते हुए यह भी स्पष्ट किया कि प्रमोशन (govt job promotion criteria) को लेकर कार्यपालिका नियम बना सकती है। कार्यपालिका यानी सरकार। इससे स्पष्ट होता है कि राज्य और केंद्र सरकार सरकारी नौकरी में कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर नियम कानून बना सकती है।
जज से जुड़ा था मामला
दरअसल, सर्वोच्च अदालत में गुजरात राज्य के जिला जज के चयन से संबंधित एक मामले में कोर्ट में निपटान किया है। इसी दौरान सरकारी नौकरी में प्रमोशन (Supreme Court Decision on promotion) को लेकर ये बड़ा फैसला दिया है। यह फैसला लाखों करोड़ों कर्मचारियों पर भी लागू होता है।
नहीं जताया जा सकता अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में क्लीयर किया कि हमारे संविधान में प्रमोशन (constition on promotion) को लेकर कुछ नहीं लिखा गया है। विधायिका और कार्यपालिका इसपर नियम कानून बना सकती है। पोस्ट को ध्यान में रखते हुए इसको लेकर नियम बना सकते हैं। इसके लिए सरकार पूरी तरह से स्वतंत्र है। वहीं कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी किसी प्रमोशन के लिए दावा नहीं कर सकता है। इसको लेकर किसी क्राइटेरिये का संविधान में उल्लेख नहीं है।
ये हैं Supreme Court के अहम फैसले
सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने साफ किया कि नौकरी में प्रमोशन का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। हालांकि इसको लेकर विधायिका या फिर कार्यपालिका नियम बना सकती है। सीनियॉरिटी और मेरिट को लेकर भी इसमें जिक्र किया गया। वहीं, साफ किया गया कि संविधान में प्रमोशन का कोई क्राइटेरिया लिखा नहीं है। जबकि, सरकार नियम बनाने के लिए स्वतंत्र है।
सरकार करेगी तय, किस से क्या कराना है
सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले (supreme court verdict) से ये स्पष्ट हो गया है कि सरकार अपने हिसाब से नौकरी व नौकरी में प्रमोशन को लेकर कानून बना सकती है। इसको लेकर सरकार देखेगी कि किस से क्या काम करवाना है। किसको प्रमोशन (govt job rules) किस क्राइटेरिया से देनी है। इसकी समीक्षा न्यायपालिका नहीं करेगी।
समानता के अधिकार की होगी रक्षा
वहीं, अदालत में प्रमोशन के लिए बनाए गए नियमों (govt job promotion rules) की तो समीक्षा नहीं होगी, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 16 की रक्षा जरूर होगी। इसमें समानता के अधिकार पर जरूर कोर्ट विचार कर सकता है। नियम सबके लिए बराबर होने चाहिए। समानता के अधिकार का उल्लंघन न होना सुनिश्चित करना होगा।
दो तरीकों से होगा प्रमोशन (Government employee promotion criteria)
प्रमोशन के दो क्राइटिरया है। पहला सीनियॉरिटी कम मेरिट तो दूसरा मेरिट कम सीनियॉरिटी। सीनियॉरिटी से प्रमोशन इसलिए होता है क्योंकि, संबंधित कर्मचारी के पास अनुभव ज्यादा है। वहीं, मेरिट का क्राइटेरिया ये होता है कि किसी टेस्ट या काम के आधार पर मेरिट रखने वाले को प्रमोशन (Decision on promotion) दिया जाए।