Gold Rate : सोने को लेकर रेड अलर्ट, आगे क्या रहेंगे दाम, एक्सपर्ट्स ने किया सचेत
Gold Rate : सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के बावजूद एक्सपर्ट ने निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उनका मानना है कि निवेशकों के पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 10% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यह चेतावनी उन्होंने दिवाली 2025 के निवेश पर चर्चा के दौरान दी है-
HR Breaking News, Digital Desk- (Gold Rate) सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के बावजूद वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार ने निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने एक पॉडकास्ट में कहा कि "सोना न कुछ पैदा करता है, न कुछ कमाता है।" उनका मानना है कि निवेशकों के पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 10% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यह चेतावनी उन्होंने दिवाली 2025 के निवेश पर चर्चा के दौरान दी है।
उन्होंने कहा कि सोने को नॉन-प्रोडक्टिव एसेट मानने की उनकी पुरानी सोच में थोड़ा बदलाव आया है। 2022 की शुरुआत में रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukrainian War) के बाद ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा, 'हां, कुछ बदला है। मेरी मूल सोच में नहीं। मैं हमेशा वही मानता रहा हूं जो वॉरेन बफे कहते थे। सोना कुछ भी पैदा नहीं करता, कुछ भी कमाता नहीं, बस पड़ा रहता है। यह इस उम्मीद पर बढ़ता है कि ज्यादा लोग इसे खरीदना चाहेंगे।' (Gold price)
तेजी के पीछे सबसे बड़ा ट्रिगर-
धीरेन्द्र कुमार के अनुसार, सोने की वर्तमान तेज़ी में खुदरा खरीदारों का हाथ नहीं है, बल्कि इसका कारण केंद्रीय बैंक हैं। मुख्य रूप से चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों के केंद्रीय बैंक अपनी सुरक्षा और जोखिम को कम करने के लिए बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं। इस मांग का असामान्य होना "डी-डॉलरकरण" की ओर इशारा करता है। रूसी केंद्रीय बैंक की संपत्ति फ्रीज़ होने की घटना सबसे बड़ा ट्रिगर थी, जिसने केंद्रीय बैंकों को सुरक्षा के लिए सोना खरीदने को प्रेरित किया। (today gold rates)
धीरेंद्र कुमार ने इसे खुदरा खरीदारी के ट्रेंड की बजाय केंद्रीय बैंकों की ओर से उठाया गया एक मॉनेटरी स्टेप बताया। उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि कोई गृहिणी बाजार जाकर गहने खरीद रही है। वह तो हमेशा से होता आया है। वह हमेशा रहेगा। लेकिन, उसकी मात्रा केंद्रीय बैंकों की ओर से की जा रही खरीद की तुलना में कुछ भी नहीं है। केंद्रीय बैंकों की ओर से उठाए गए इस मौद्रिक कदम से यह उछाल आया है।' उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह कब पलटेगा। (MCX Gold Price)
उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन कोई चीज जो मुद्रा के रूप में इतनी मुख्यधारा बन रही है और जिसे इतने सारे व्यक्ति भी रखते हैं - यह मुझे सोचने पर मजबूर करता है कि हां, खुद को जोखिम से बचाने के लिए इसे रखना चाहिए। लेकिन, सोने का मूल चरित्र नहीं बदलता। यह अभी भी कुछ भी पैदा नहीं करता। यह अभी भी पड़ा रहता है।'
क्या खरीदने के लिए यह सही समय है?
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह निवेशकों के लिए खरीदने का सही समय है तो धीरेंद्र कुमार ने संयम बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि किसी को थोड़ा सोना रखना चाहिए। लेकिन, यह सुनिश्चित करें कि यह थोड़ा ही हो। यह बहुत ज्यादा न हो। सुनिश्चित करें कि यह 5-10% से ज्यादा न हो।'
सीईओ ने स्वीकार किया कि सोने के बारे में उनकी पिछली शंकाओं की आलोचना हुई है। उन्होंने कहा, 'मुझे कभी-कभी हमारे कुछ यूजर्स से गुस्से वाले ईमेल मिलते हैं- आपकी वजह से हमने सोने में निवेश नहीं किया और सोने की कीमत इतनी बढ़ गई- इसके लिए मैं माफी चाहता हूं। लेकिन, मैं वैसे भी ज्योतिष के व्यवसाय में नहीं हूं। मैं सिर्फ तथ्यों को देख रहा हूं और यह तथ्य बदल गया है। इससे शैलियों में बदलाव आया है।'
एक्सपर्ट ने दी चेतावनी-
हालांकि, कुमार ने निवेशकों को झुंड व्यवहार से आगाह किया। उन्होंने कहा, 'जो चीज ऊपर जा रही है, वह सिर्फ इसलिए ऊपर जाती नहीं रहेगी क्योंकि औसत निकलेगा। ऐसे लोग होंगे जो मुनाफा बुक करना चाहेंगे। ऐसे केंद्रीय बैंकर होंगे जो मुनाफा बुक करेंगे। किसी चीज को खरीदने का सबसे बुरा समय तब होता है जब पूरी तरह से आम सहमति हो कि यह सब ऊपर ही जाता रहेगा। और ऐसा करना बहुत खतरनाक है। इसलिए सावधान रहें, सतर्क रहें। सोने में थोड़ा निवेश (invest) करें। लेकिन, इसके बहाव में न बहें।'
अपनी लंबी अवधि की सोच को दोहराते हुए धीरेंद्र कुमार ने कहा, 'इक्विटी मुख्य आधार बनी रहनी चाहिए। फिक्स्ड इनकम (fixed income) मुख्य आधार बनी रहनी चाहिए और निवेश के रूप में थोड़ा सोना होना चाहिए ताकि आप इसे निवेश कर सकें और जब भी आपको जरूरत हो या रीबैलेंसिंग करनी हो, इसे भुना सकें।'
यह चेतावनी इस साल सोने की कीमतों में आई भारी तेजी के बीच आई है। 99.9% शुद्धता वाला सोना शुक्रवार को रिकॉर्ड 1,34,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। 24-कैरेट सोने की कीमतों में पिछले एक साल में 62.65% की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय बैंकों (central bank) द्वारा सोने की खरीद में वृद्धि को डी-डॉलराइजेशन (De-dollarization) की रणनीति माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, कई देश विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने को एक सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं।
चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों ने अपनी सोने की होल्डिंग्स में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। यह ट्रेंड वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक बदलाव का संकेत देता है, जहां देश अपनी आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए डॉलर के अलावा वैकल्पिक संपत्तियों की ओर देख रहे हैं।
चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों द्वारा सोने की होल्डिंग्स में बड़ी वृद्धि वैश्विक वित्तीय बदलाव का संकेत है। ये देश अपनी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने जैसी वैकल्पिक संपत्तियों को तरजीह दे रहे हैं। यह कदम डॉलर-केंद्रित प्रणाली से हटकर भविष्य में बहु-ध्रुवीय आर्थिक व्यवस्था की ओर इशारा करता है।
