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Income Tax : इनकम टैक्स की ओल्ड टैक्स रिजीम होगी खत्म, जानिये क्या है सरकार का मूड

Income Tax Update : हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से यूनियन बजट जारी किया गया। इसमें 12 लाख तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए न्यू टैक्स रिजीम के तहत दी जाने वाली तमाम कर छूट आदि का भी खूब जिक्र किया, लेकिन ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) को लेकर कुछ सामने नहीं आया। ऐसे में हर कोई अब इसी असमंजस में है कि क्या ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म कर दी जाएगी। इस पर खबर में जानिये क्या है सरकार का मूड-

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Income Tax : इनकम टैक्स की ओल्ड टैक्स रिजीम होगी खत्म, जानिये क्या है सरकार का मूड

HR Breaking News - (new tax regime) देश में कर व्यवस्था के तहत दो टैक्स रिजीम लागू हैं। इनमें नई व पुरानी टैक्स रिजीम शामिल हैं। नई टैक्स रिजीम को लेकर बजट में टैक्सपेयर्स के लिए कई छूट देते हुए नई व्यवस्थाओं व टैक्स स्लैब  (new tax slabs) की घोषणा की गई है, हालांकि ओल्ड टैक्स रिजीम पर कुछ भी सामने नहीं आया। 


ऐसे में टैक्सपेयर्स (latest update for taxpayers) की ओर से पुरानी टैक्स रिजीम खत्म होने को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। इस पर सरकार का पक्ष भी अप्रत्यक्ष रूप से सामने आ रहा है, आइये जानते हैं कि विशेषज्ञों व जानकारों का क्या कहना है इस बारे में।

न्यू टैक्स रिजीम पर ही ज्यादा जोर-

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बजट 2025-26 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री किया है। इससे लगता है कि सरकार का भी नई टैक्स रिजीम पर ही ज्यादा जोर है।


 इसके अलावा, पिछले बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये की गई थी। यह सभी छूट सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम के तहत हैं। पुरानी टैक्स व्यवस्था (new tax regime par update) का बजट में कोई जिक्र तक नहीं किया गया। राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये की छूट से पुरानी कर व्यवस्था समाप्त हो सकती है। 

सरकार इस बात पर भी कर रही फोकस -

राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडेय ने यह भी बताया है कि सरकार का फोकस नई तकनीकों का उपयोग करने पर है। ऐसा सरकार कर भी रही है- जैसे मशीन लर्निंग और डेटा एनालिसिस (data analysis in tax system), ताकि कर प्रणाली को ज्यादा प्रभावी और सटीक बनाया जा सके। 


उन्होंने कहा कि इस बदलाव का उद्देश्य लोगों को कर छूट की बजाय अपने वित्तीय निर्णयों में ज्यादा स्वतंत्रता देना है, ताकि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सही निवेश कर सकें। इस नई व्यवस्था से कर की वसूली बढ़ाने की योजना है।

नई टैक्स व्यवस्था को खुद अपना लेंगे लोग -

हर किसी के मन में अब एक ही सवाल है कि पुरानी कर व्यवस्था को धीरे-धीरे खत्म तो नहीं कर दिया जाएगा? इस पर राजस्व सचिव ने कहा कि पुराने कर नियमों के बारे में बजट में कोई विशेष जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि पुराने नियमों में छूट(tax discount), कर दरें और स्लैब अलग-अलग हैं। 


हालांकि, उनका मानना है कि आने वाले कुछ वर्षों में पुराने नियम स्वचालित रूप से समाप्त हो जाएंगे। 2025-26 तक झुकाव होने के कारण अपने आप अधिकांश लोग नई टैक्स व्यवस्था को अपना लेंगे, क्योंकि इसमें बड़ी छूट दी जा रही है। इस बदलाव से करदाता अपने फैसले में ज्यादा आसानी और लाभ महसूस करेंगे।

पुरानी टैक्स व्यवस्था में लाभ कम-

राजस्व सचिव ने बताया कि अगर किसी को 12 लाख रुपये की आय पर छूट चाहिए तो वह पुरानी व्यवस्था में क्यों रहेगा। पुरानी टैक्स व्यवस्था में लाभ कम है। संभावना है कि फायदों को देखते हुए सभी लोग नई प्रणाली (New Income tax Slabs) को अपनाएंगे और पुरानी व्यवस्था जल्द खत्म हो जाएगी। 


इसमें लोगों की रुचि ही नहीं रहेगी। दूसरा यह है कि नई व्यवस्था को डिफॉल्ट माना गया है, जिसका मतलब है कि अगर किसी ने पुरानी व्यवस्था को नहीं चुना तो वह स्वचालित रूप से नई व्यवस्था में आ जाएगा। वित्त मंत्री ने पहली फरवरी को अपने बजट में व्यक्तिगत आयकर सीमा (tax limit increase) को बढ़ाने का ऐलान किया था, जो करदाताओं के लिए एक बड़ा लाभ है।

अधिक आयकर छूट है बड़ा बदलाव -

नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है, जिससे अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कर नहीं लगेगा, पहले यह सीमा 7 लाख रुपये (old tax regime) थी और अब इसे बढ़ा दिया गया है। यह बढ़ोतरी ऐतिहासिक है तथा अपने आप में यह बड़ा बदलाव भी है। 


सरकार का मानना है कि लोग अब भी बचत और निवेश करते रहेंगे, भले ही कर नीति में बदलाव हुआ हो। साथ ही, उन्होंने कहा कि लोग अब अपने वित्तीय फैसले समझदारी से लेते हैं, फिर चाहे वह निवेश की बात हो या खर्च और बचत की।

कानूनी रूप से क्या होगा संशोधन-

आयकर अधिनियम पर एक सवाल के जवाब में राजस्व सचिव ने बताया कि सरकार एक नया कानून लेकर आ रही है जो सरल और छोटा होगा, जिससे लोग इसे आसानी से समझ सकेंगे। पुराने और अप्रचलित नियमों (Old Income tax rule) को इसमें से हटा दिया गया है और अब सभी चीजों को एक जगह रखा गया है। इससे कानूनी समस्याएं कम होंगी। 


वित्त मंत्री ने 2025-26 के बजट को पेश करने के दौरान बताया था कि नया आयकर विधेयक (new income tax bill) जल्दी संसद में पेश किया जाएगा, जो 1961 के पुराने कानून की जगह लेगा। इस कदम से कर प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाया जाएगा। 

कर व्यवस्था में सुधार की नई तकनीक -

कर व्यवस्था में सुधार के तहत आधार बढ़ाने के लिए तकनीकी उपायों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेष रूप से, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI use in Income tax) और डेटा विश्लेषण का सहारा लिया जा रहा है। 


इसके साथ ही, राजस्व सचिव ने बताया कि आमतौर पर आयकर से राजस्व में 20 प्रतिशत (tax increase in revenue form) तक वृद्धि होती है, लेकिन इस साल 14 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। यह निर्णय कर छूट से होने वाली एक लाख करोड़ रुपये की कमी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

आर्थिक वृद्धि और राजस्व प्रभाव -

आर्थिक वृद्धि दर में कमी से सरकार के राजस्व पर प्रभाव पड़ सकता है। पहले उम्मीद थी कि वृद्धि दर 10.4 से 10.5 प्रतिशत तक रहेगी, लेकिन अब इसे 10.1 प्रतिशत रखा गया है। पिछली तिमाही में यह 9.7 प्रतिशत का अनुमान था। यदि आर्थिक वृद्धि में कमी आती है, तो सरकार की आय (governtment income tax rule) पर असर पड़ेगा। 


रेटिंग एजेंसी ने भी धीमी वृद्धि के कारण आय में गिरावट का अंदेशा जताया है। वित्त वर्ष 2024-25 में कर प्राप्तियां 25.57 लाख करोड़ रुपये की रही हैं और अगले वर्ष में 28.37 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है। ऐसे में फिलहाल इस पर स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि आर्थिक वृद्धि दर में कमी होने से सरकार के खजाने पर कितना प्रभाव पड़ेगा।