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property documents : प्रोपर्टी खरीदने से पहले जरूर चेक कर लें ये 10 डॉक्यूमेंट, नहीं रहेगा कोर्ट-कचहरी का चक्कर

property important documents :प्रोपर्टी खरीदना कोई आम बात नहीं है, इसे खरीदने में पूरे जीवन में कमाई गई पूंजी का एक बड़ा हिस्सा निवेश करना पड़ता है। इसलिए आपको इससे जुड़ी तमाम जानकारी तो होनी ही चाहिए, साथ ही सारे कागजात की जांच करनी चाहिए वरना आपकी सारी कमाई पर पानी भी फिर सकता है और कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काटने पड़ सकते हैं। प्रोपर्टी  खरीदते समय आप किसी भी तरह की धोखाधड़ी से भी बचे रहें, इसके लिए आज आपको बताने जा रहे हैं ऐसे 10 डॉक्यूमेंट (Property Documents) जिनकी जांच-पड़ताल करके आप सही प्रोपर्टी खरीद सकेंगे और भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा ।  

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property documents : प्रोपर्टी खरीदने से पहले जरूर चेक कर लें ये 10 डॉक्यूमेंट, नहीं रहेगा कोर्ट-कचहरी का चक्कर

HR Breaking News - (ब्यूरो)। प्रॉपर्टी खरीदना एक बड़ा फैसला होता है, लेकिन बिना सही दस्तावेजों की जांच किए यह जोखिम भरा और नुकसानदायक भी हो सकता है। जल्दबाजी में की गई किसी भी प्रोपर्टी की खरीदारी बाद में कानूनी उलझनों का कारण बन सकती है, जिससे समय और पैसे दोनों का नुकसान होता है।

कोर्ट-कचहरी (Property Knowldege) के चक्कर से बचने के लिए जरूरी है कि आप प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ही सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सही तरीके से जांच करें, ताकि भविष्य में किसी भी कानूनी समस्या से बचा जा सके।

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प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जरूर जांचें आवश्यक डॉक्यूमेंट्स

 

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले यह बहुत जरूरी है कि आप सभी आवश्यक जानकारी हासिल करें, ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बच सकें। इसमें कई महत्वपूर्ण (property ke jruri document) पहलू होते हैं, जैसे संपत्ति का स्थान, विक्रेता के बारे में जानकारी, दस्तावेजों की सही स्थिति, और संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद है या नहीं। इन सबका ध्यान रखना आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए आप कानूनी सलाह भी ले सकते हैं।

 

दस्तावेजों की जांच और RERA रजिस्ट्रेशन -

 

दस्तावेजों की जांच करते समय आपको खास ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, जिस प्रोजेक्ट में आप घर खरीद रहे हैं, वह RERA (Real Estate Regulatory Authority) में पंजीकृत होना चाहिए। RERA एक कानूनी प्रावधान है, जिसे भारतीय संसद ने पारित किया है, और इसका उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में खरीदारों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचाना है।

 

1. पहले ही कर लें विक्रेता की संपत्ति और स्वामित्व की पुष्टि -

किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है कि विक्रेता के पास उस संपत्ति का वैध स्वामित्व (ownership of the property) है और उसके शीर्षक (टाइटल) में किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं है।

2. चैनल डाक्यूमेंट्स की जांच-पड़ताल है जरूरी - 

कोई भी प्रोपर्टी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि संपत्ति के मालिक के बीच हुई सभी लेन-देन की जानकारी स्पष्ट हो। इसमें यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को संपत्ति (Channel Documents) कब और कैसे बेची थी, और इस प्रक्रिया में सभी संबंधित दस्तावेज़ उपलब्ध होने चाहिए। इससे आप भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचे रहेंगे।

3. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट : यह सर्टिफिकेट (encumbrance certificate) इस बात को दर्शाता है कि संपत्ति पर कोई मौजूदा लोन, कर बकाया या अन्य कानूनी बंधन तो नहीं हैं। यह प्रमाणपत्र लेने से आप कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।

4. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट की आवश्यकता : जब आप कोई नई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो किसी भी सूरत में बिल्डर से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेना न भूलें। यह दस्तावेज (occupancy certificate) यह दर्शाता है कि बिल्डिंग में सभी जरूरी सुरक्षा और कानूनी मानकों को पूरा किया गया है। यदि यह नहीं दिया जाता, तो खरीदार के पास बिल्डर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके बाद आपके लिए भारी परेशानी खड़ी हो सकती है।

5. पॉजेशन लेटर: यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे डिवेलपर खरीददार को प्रदान करता है और इसमें प्रॉपर्टी पर कब्जे की तारीख का उल्लेख होता है। इसे होम लोन के लिए आवेदन करते समय बैंक में जमा करना जरूरी होता है, हालांकि, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट(possession letter ki importance) के बिना यह पर्याप्त नहीं होता।

6. मॉर्गेज (गिरवी रखना): जब किसी व्यक्ति को मकान खरीदने के लिए लोन यानी ऋण(home loan kaise le) की आवश्यकता होती है, तो वह प्रॉपर्टी को गिरवी रख सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि ऋण की राशि समय पर चुकाई जाएगी और प्रॉपर्टी को ऋण की सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

7. टैक्स भुगतान की स्थिति की जांच : संपत्ति पर पिछले टैक्स भुगतान का स्टेटस चेक(Status check of previous tax payment) करना महत्वपूर्ण है। यदि विक्रेता ने संपत्ति पर टैक्स (how to check tax on property)नहीं चुकाया है, तो उस पर बकाया जुर्माना या शुल्क लग सकता है, जो अंत में खरीदार के लिए समस्या पैदा कर सकता है। यह आपको चुकाना पड़ गया तो प्रोपर्टी आपको काफी महंगी पड़ सकती है।

8. यूटिलिटी बिल्स की जांच: प्रॉपर्टी खरीदते समय (property letw samay kin bato ka dhyan rkhe)यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी यूटिलिटी बिल्स(utility bills verification) जैसे बिजली, पानी और गैस के बिल समय पर चुकाए गए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि प्रॉपर्टी पर किसी प्रकार का बकाया बिल नहीं है।

9. कार पार्किंग की पुष्टि: किसी प्रॉपर्टी के साथ आवंटित कार पार्किंग (verify car parking place)की पुष्टि करना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए यह सुनिश्चित करें कि विक्रेता के पास पार्किंग स्पेस से संबंधित सभी जरूरी दस्तावेज़ हैं और यह सुनिश्चित करें कि पार्किंग का सही तरीके से आवंटन किया गया है। साथ ही गली व रास्ता भी देख लेना चाहिए कि कैसा है और कितना है।

10. रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से एनओसी: यह सुनिश्चित करें कि विक्रेता ने रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से संपत्ति के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) (Non - Objection Certificate) प्राप्त किया है। यह प्रमाणपत्र यह दर्शाता है कि संपत्ति पर कोई कानूनी या प्रशासनिक समस्या नहीं है।

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11. RERA रजिस्ट्रेशन: प्रॉपर्टी खरीदते समय यह जांचना बेहद आवश्यक है कि वह प्रोजेक्ट RERA (Real Estate Regulatory Authority) के तहत पंजीकृत है या नहीं। रेरा के तहत रजिस्ट्री से यह सुनिश्चित होता है कि प्रोजेक्ट में कोई कानूनी मुद्दे नहीं हैं और यह पूरी तरह से नियामक मानकों के अनुरूप है।

12. भूमि का रूपांतरण: यदि संपत्ति कृषि भूमि से गैर-कृषि भूमि (change of land use kya hai) में बदली जा रही है, तो यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस परिवर्तन के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त की गई है। इसके अलावा, मास्टर प्लान के तहत भूमि का उपयोग भी जांचना(verify land on master plan) चाहिए, ताकि किसी प्रकार की कानूनी परेशानी से बचा जा सके।