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Repo Rate Cut : फिर से सस्ता हो जाएगा लोन, EMI होगी कम, इतनी रेपो रेट कम करेगा RBI

Repo Rate Cut : हाल ही में आई एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि, इस साल के अंत तक ब्याज दर में एक और कटौती हो सकती है। यह अनुमान जीएसटी (GST) सुधारों और नियामक ढील के साथ मिलकर कर्ज की मांग को बढ़ा सकता है... इस रिपोर्ट से जुड़ी पूरी डिटेल जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

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Repo Rate Cut : फिर से सस्ता हो जाएगा लोन, EMI होगी कम, इतनी रेपो रेट कम करेगा RBI

HR Breaking News, Digital Desk- गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के अंत तक ब्याज दर में एक और कटौती हो सकती है। यह अनुमान जीएसटी सुधारों और नियामक ढील के साथ मिलकर कर्ज की मांग को बढ़ा सकता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत जल्द ही अपनी मौद्रिक सख्ती (monetary tightening) को समाप्त कर सकता है। अगर नीतिगत दरें (policy rates) कम होती हैं, तो इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा, क्योंकि इससे उनके लोन की ईएमआई (EMI) घट जाएगी।

गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि उसे साल के अंत से पहले नीतिगत दर यानी रेपो रेट (repo rate) में एक और कटौती की उम्मीद है। उसने यह भी बताया कि हाल ही में जीएसटी को सरल बनाना इस बात का संकेत है कि फिसकल कंसोलिडेशन (Fiscal Consolidation) का चरम दौर बीत चुका है। फर्म का मानना है कि यह घरेलू नियामक ढील के साथ मिलकर क्रेडिट की मांग में धीरे-धीरे सुधार लाएगा।

प‍िछली बैठक में नहीं हुआ था बदलाव-

गोल्डमैन सैक्स ने यह भी नोट किया कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की ओर से हाल ही में उठाए गए नीतिगत कदमों से क्रेडिट की सप्‍लाई की स्थिति आसान होनी चाहिए। हालांकि, कर्ज देने की मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी कि समग्र आर्थिक मांग कितनी मजबूत होती है।

आरबीआई (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कॉमिटी (Monetary Policy Committee) ने अपनी हालिया समीक्षा में सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था।

भारत के इकोनॉम‍िक आउटलुक पर दबाव-

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, बाहरी कारक भारत के आर्थिक दृष्टिकोण पर दबाव डाल रहे हैं। इसमें अमेरिका में एच-1बी वीजा के लिए बढ़ी हुई आव्रजन लागत शामिल है, जिससे भारतीय आईटी सेवाओं पर असर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा लगाया गया 50% का उच्च टैरिफ भी ऋण (Credit) की मांग को कम कर सकता है। व्यापक आर्थिक अनिश्चितता भी इस स्थिति को और प्रभावित कर सकती है। 

हालांकि, अनुकूल मॉनसून और जीएसटी दरों (GST rates) में कटौती की मदद से केंद्रीय बैंक (central bank) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपने विकास के अनुमान को ऊपर की ओर संशोधित किया है।

आरबीआई (RBI) के नीतिगत बयान के अनुसार, वर्तमान मैक्रोइकोनॉमिक (व्यापक आर्थिक) परिस्थितियां भविष्य में ब्याज दरों में और कमी करने की गुंजाइश बनाती हैं। हालांकि, प्रमुख दरें अभी स्थिर हैं, पर यह संकेत है कि 25 आधार अंकों (0.25%) की एक और दर कटौती संभव है।