धनतेरस के दिन से ही दिवाली का जश्न शुरू हो जाता है. धनतेरस का त्योहार आज यानी 29 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. धनतेरस के दिन पूजा के दौरान इसकी कथा पढ़ना शुभ माना जाता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं धनतेरस की कथा.
पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था. इसके बाद समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि के हाथ में कलश था, इसलिए धनतेरस के दिन सोना, चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है.
इस कथा का भागवत पुराण में उल्लेख मिलता हैकथा के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर वामन अवतार ने असुराज बलि से दान में तीनों लोक मांगे थे और देवताओं को उनकी खोई हुई संपत्ति और स्वर्ग प्रदान किया था इसी वजह से हर साल दिवाली से पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है
एक बार यमराज ने यमदूतों से सवाल किया कि तुम न जाने कितने मनुष्यों के प्राण लेते हो. क्या तुम्हें कभी मनुष्यों के प्राण लेने में किसी पर दया नहीं आती है. यमदूतों ने कहा कि नहीं महाराज, हम सिर्फ आपके दिए हुए निर्देषों का पालन करते हैं.
एक दिन हंस नाम का राजा शिकार के लिए निकला और जंगल के रास्ते में भटक गया। घूमते-घूमते राजा दूसरे राजा की सीमा पर पहुँच गया। हेमा नाम का एक शासक था और वह अपने पड़ोसी राजा का बहुत सम्मान करता था। उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया।
इसके बाद यमदूतों ने यमराज से पूछा कि हे महाराज! क्या को ऐसा कोई उपाय है, जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके? तब यमराज ने कहा कि धनतेरस के दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने और दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.