
बाइक का माइलेज इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कौन सा टायर इस्तेमाल कर रहे हैं, दरअसल टायर का प्रकार भी बाइक के माइलेज को बढ़ा या घटा सकता है।
अगर हम ट्यूब टायरों की बात करें तो ये आम तौर पर सस्ते होते हैं क्योंकि इनकी निर्माण प्रक्रिया सरल होती है और ट्यूब को बदलना और मरम्मत करना भी आसान होता है।
ट्यूबलेस टायर: इस टायर में ट्यूब की ज़रूरत नहीं होती. टायर और रिम के बीच हवा का सील बनाने के लिए विशेष प्रकार की रबर की सीलिंग होती है। ट्यूब वाले टायर: इनमें इनर ट्यूब होती है जो टायर के अंदर हवा को संलग्न करती है. यह ट्यूब रबर टायर के अंदर हवा को बनाए रखने का काम करती है.
ट्यूबलेस टायर: ये टायर पंक्चर के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं क्योंकि हवा का रिसाव कम होता है. छोटे पंक्चर स्वतः सील हो सकते हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति में कम समस्या होती है. ट्यूब वाले टायर: पंक्चर के मामले में, हवा ट्यूब के बाहर निकल जाती है.
ट्यूबलेस टायरों में हवा का रिसाव कम होता है और ये पंक्चर के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं। इससे आपको कम बार हवा भरनी पड़ती है और टायर की लाइफ बढ़ जाती है. ट्यूबलेस टायरों में रोलिंग प्रतिरोध कम होता है, जिससे बाइक की ईंधन दक्षता में सुधार हो सकता है।
ट्यूबलेस टायर आमतौर पर हल्के होते हैं क्योंकि इनमें ट्यूब की आवश्यकता नहीं होती. इससे बाईक की कुल वजन कम होता है, जो माइलेज को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. ट्यूबलेस टायर ट्यूब वाले टायरों की तुलना में ज्यादा महंगे, टिकाऊ और आसानी से रिपेयर होने वाले होते हैं.