
आप शराब पीते हों या नहीं, आपने पटियाला पैग के बारे में तो जरूर सुना होगा। अगर आप यह नहीं जानते तो आपने इसे गानों में जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे पटियाला पैग क्यों कहा जाता है? तो आज हम आपको बता रहे हैं कि इसका नाम पटियाला पैग कैसे पड़ा और इसकी खासियत क्या है
'पटियाला पेग' 1920 में पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह की देन है। ब्रिटिश इलेवन के खिलाफ क्रिकेट मैच में महाराजा ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। इसी मैच की पार्टी में 'पटियाला पेग' का जन्म हुआ. भारत में क्रिकेट खेल की शुरुआत महाराजा राजिंदर सिंह की वजह से हुई थी।
महाराजा राजिंदर सिंह को इस खेल में गहरी रुचि थी। इसलिए वह दुनिया के मशहूर क्रिकेट खिलाड़ियों को पटियाला बुलाते थे ताकि लोगों को प्रशिक्षित कर क्रिकेट की नई तकनीकों से लैस किया जा सके। उनके बाद महाराजा भूपिंदर सिंह ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया।
वर्ष 1920 में अंबाला छावनी में डगलस एकादश के विरूद्ध खेलते हुए महाराजा ने 242 रनों की लंबी पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 16 छक्के और 14 चौके लगाए। उस मैदान पर ही दोनों टीमों के लिए लजीज रात्रि-भोज की व्यवस्था की गई थी।
कहा जाता है कि महाराजा अपनी इतनी बड़ी पारी से इतने खुश हुए कि उन्होंने खुद गिलासों में व्हिस्की डालकर पार्टी की शुरुआत की. गिलास में शराब की मात्रा लगभग दोगुनी थी. जब कर्नल डगलस को चियर्स कहने के लिए एक गिलास दिया गया तो उन्होंने उत्सुकतावश महाराजा से उस पैग के बारे में पूछा।
महाराजा हंसते हुए बोले, ‘आप पटियाला में हैं मेरे मेहमान, टोस्ट के साथ 'पटियाला पैग' से कम कुछ भी नहीं चलेगा।’ फिर दोनों ने हंसते हुए शोरगुल के बीच एक ही घूंट में अपना गिलास खाली कर दिया। शाही मेहमान को पटियाला पैग अनिवार्य रूप से परोसे जाने की परंपरा शुरू हुई।