Keyboard पर शब्दों का क्यों होता है उलटफेर, जानिए क्यों बनाया गया ऐसा डिजाइन

आजकल कीबोर्ड में जिस फॉर्मेट का उपयोग किया जाता है उसे QWERTY फॉर्मेट कहा जाता है। लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि कीबोर्ड पर अक्षर एक श्रृंखला में क्यों नहीं हैं। ऐसा क्यों होता है कि A के बाद S और Q के बाद W आता है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब.

Keyboard Foramt:

कीबोर्ड पर अक्षर ढूंढने में बहुत समय लगता है। ऐसे में लोगों को लगता है कि अगर ये बटन क्रम से यानी एबीसीडी के क्रम में होते तो टाइपिंग कितनी आसान होती. लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि कीबोर्ड पर अक्षर एक श्रृंखला में क्यों नहीं हैं। जानिए ऐसा क्यों होता है

कहां से आया ये फॉर्मेट

आजकल कीबोर्ड में जिस फॉर्मेट का उपयोग किया जाता है उसे QWERTY फॉर्मेट कहा जाता है। इस प्रारूप का उपयोग कई दशकों से किया जा रहा है। कीबोर्ड का डिज़ाइन टाइपराइटर के युग से आया है। मतलब ये फॉर्मेट कंप्यूटर के आने से पहले भी उपलब्ध था.

ABCDEF Format

टाइपराइटर का इन्वेंशन करने वाले Christopher Latham Sholes ने पहले ABCD फॉर्मेट पर ही कीबोर्ड बनाया. उस समय जब लोग टाइपराइटर पर बहुत तेजी से टाइप करते थे, तो लगातार एक ही अक्षरों को टाइप करने से टाइपराइटर की सुइयां आपस में उलझ जाती थीं. इसलिए टाइपिंग में दिक्कत होती थी.

बटनों का सीक्वेंस

टाइपिंग को सुविधाजनक और आसान बनाने के लिए अक्षरों को इस तरह व्यवस्थित किया गया कि बार-बार एक साथ आने वाले अक्षर दूर-दूर रहें। चूँकि 'TH' और 'SH' अक्सर एक साथ आते हैं, कई असफल प्रयोगों के बाद 1870 के दशक में QWERTY प्रारूप को चुना गया था।

बीच में Dvorak Model भी आया था

कीबोर्ड पर अक्षरों को व्यवस्थित करने के लिए ड्वोरक मॉडल भी पेश किया गया था। इस मॉडल का आविष्कार ऑगस्ट ड्वोरक ने किया था और इसका नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया था। यह मॉडल भी बहुत आसान नहीं था. इसलिए बाद में कीबोर्ड के लिए QWERTY फॉर्मेट को ही चुना गया।