Framing Machinery : छोटे किसानों को फ्री में मिलेंगे ट्रैक्टर और मशीन
HR Breaking News (ब्यूरो) खेती-किसानी में आधुनिक मशीनों के उपयोग से किसानों का मुनाफा बढ़ा है। किसानों की पहुंच इन आधुनिक कृषि (modern agriculture)मशीनों तक हो, उसके लिए बिहार सरकार पूरा प्रयास कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार कई सब्सिडी योजना भी चला रही है। किन्तु, सरकार के इतने प्रयासों के बाद भी ये आधुनिक कृषि मशीनें किसानों की पहुंच से दूर है। क्योंकि राज्य में बहुत बड़े पैमाने पर किसान लघु या सीमांत है, जो आर्थिक रूप से उतने सक्षम नहीं है कि इन आधुनिक व महंगे कृषि यंत्रों को खरीद सकें। इस स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने किसानों की मदद के लिए एक अहम कदम उठाया हैं। ये आधुनिक कृषि मशीनें किसानों की पहुंच तक हो सकें। इसके लिए बिहार सरकार किसानों के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने जा रही है। इस मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किसान आधुनिक कृषि मशीनों को किराए पर लेने के लिए कर सकेंगे। इस मोबाइल ऐप की मदद से किसान खेती-बाड़ी करने के लिए कृषि यंत्रों को घर बैठे ऑनलाइन बुकिंग कर किराए पर मंगवा सकेंगे और खेती-बाड़ी में खेत की जुताई से लेकर बुवाई तक होने वाले मुश्किल काम कम समय और कम लागत में कर सकेंगे। साथ ही खेती-बाड़ी में अपना मुनाफा बढ़ा सकेंगे। तो आइए ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट के माध्यम से मोबाइल ऐप लॉन्च को लेकर बिहार सरकार की तैयारी के बारे में जानते हैं।
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439 करोड़ रुपये का फंड किया जारी
बिहार के किसान अब ओला-उबर की तर्ज पर ट्रैक्टर, रीपर, हैप्पी सीडर, लैंड लेवलर समेत अन्य सभी आधुनिक कृषि उपकरणों की ऑनलाइन बुकिंग कर उन्हें किराये पर सीधे अपने खेत तक मंगा सकेंगे। इसके लिए सरकार ने अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है। इस मोबाइल ऐप निर्माण की प्रक्रिया आखिरी चरण में है। सरकार द्वारा इस मोबाइल ऐप को 15 जुलाई तक लॉन्च करने की संभावना है। राज्य के छोटे और सीमांत किसानों की सुविधा के लिए बिहार का सहकारिता विभाग यह पहल करने जा रहा है। मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना के तहत शुरूआत में इस सिस्टम को पहले चरण में 2927 पैक्सों में कृषि संयंत्र बैंक बनाए जा रहे हैं। इसके लिए बिहार सरकार ने 439 करोड़ रुपये का फंड जारी हुआ है। अब तक 1803 पैक्सों में यंत्र बैंक बनकर तैयार हो गए हैं। अभी यह काम ऑफलाइन माध्यम से हो रहा है। मगर जल्द ही चुनिंदा पैक्सों में संयंत्र बैंक बनाकर इन्हें विशेष मोबाइल ऐप से जोड़ा जाएगा।
ट्रैक्टर, रीपर, हैप्पी सीडर, लैंड लेवलर समेत अन्य सभी आधुनिक कृषि उपकरणों की बुकिंग कर सकेंगे
बिहार सहकारिता विभाग की सचिव संदना प्रेयशी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अगले सप्ताह 2997 पैक्सों में इस सेवा की शुरूआत होगी। इस ऐप के जरिए कोई भी किसान अपने संबंधित पैक्स में मौजूद कृषि संयंत्र बैंक से ट्रैक्टर, रीपर, हैप्पी सीडर, लैंड लेव समेत अन्य सभी आधुनिक कृषि उपकरणों की बुकिंग कर उन्हें किराए पर मंगा सकेगा। किसानों को ये उपकरण बेहद किफायती दर से किराये पर उनके दरवाजे तक पहुंचाया जाएगा। 3000 पैक्सों में शुरूआती प्रदर्शन देखने के बाद दूसरे चरण में बाकी बचे पैक्स में इसकी शुरूआत की जाएगी।
पहले चरण में प्रत्येक पैक्स में 300 किसानों का लक्ष्य
बिहार सहकारिता सचिव संदना प्रेयशी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सहकारिता विभाग इस योजना का संचालन कर रहा है। इसके दूसरे चरण में राज्य के सभी पैक्सों को जोड़ा जाएगा। इस योजना से सूबे के छोटे और मध्यमवर्गीय किसानों को फायदा होगा। क्योंकि पैसे की कमी के चलते वे महंगे कृषि उपकरण नहीं खरीद पाते हैं। इसका लाभ वे किसान भी ले सकेंगे जिनके पास अपनी खेती जमीन नहीं है। उन्होंने बताया कि इस सेवा के तहत शामिल किए जाने वाले कृषि यंत्रों की पहले ही मैपिंग कर ली गई है ताकि मांग पर मशीनें आसानी से उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि जो किसान पैक्स के सदस्य नहीं हैं, ऐसे किसान भी इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। क्योंकि इस सेवा का उद्देश्य किसानों को कृषि यंत्र आसानी से उपलब्ध कराना है। इसके लिए पहले चरण में प्रत्येक पैक्स में 300 किसानों को शामिल करना का हमारा लक्ष्य है।
बुकिंग के बाद किसान को मिलेगा स्लॉट, ऐसे तय होगा किराया
सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चुनिंदा पैक्सों में 15 जुलाई से मोबाइल ऐप के जरिए कृषि उपकरणों की बुकिंग शुरू हो जाएगी। बुकिंग करने के बाद किसान को एक टाइम स्लॉट दिया जाएगा, जिसमें वे किराये पर कृषि उपकरण का इस्तेमाल कर सकेंगे। कृषि यंत्र बैंक में मौजूद भी यंत्रों का किराया तय करने के लिए प्रमंडल स्तर पर समिति बनी हुई है। इसमें संबंधित पैक्स के अध्यक्ष, संयुक्त निबंधक, सहकारिता पदाधिकारी, क्षेत्र के दो किसान और अन्य सदस्य होंगे। यह समिति उपकरणों का किराया तय करेगी। जो किराया निर्धारित होगा, वही किसानों से लिया जाएगा। पैक्स उससे ज्यादा किराया नहीं वसूल सकेगा।
मोबाइल ऐप लॉन्च की विस्तृत जानकारी यहां से प्राप्त करें
बिहार सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पैक्स ग्राम पंचायत स्तर पर काम करने वाली सहकारी समितियां हैं, जो किसानों को लोन मुहैया कराती है। इसके अलावा यह रबी और खरीफ मौसम में कटाइ्र के बाद फसलों की खरीद में भी मदद करती है। बिहार में पैक्स के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज की सरकारी खरीद होती है। अधिकारियों का कहना है कि इस मोबाइल ऐप सेवा का लाभ लेने में मदद करने के लिए एक कॉल सेंटर होगा। कॉल सेंटर में संपर्क करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा। यहां पर किसान कृषि उपकराणों को किराए पर लेने संबंधी सभी जानकारी और मशीनों की उपलब्धा के बारें में जानने के साथ ही शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे।
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