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Haryana News किसान न हो परेशान, गर्मियों में लहसुन को थ्रिप्स कीट से बचाने के लिए विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

गर्मियों में लहसुन में थ्रिप्स कीट का खतरा बढ़ जाता है। हरियाणा में करीब 45 हजार हैक्टेयर में लहसून की बुआई की गई है। जिसमें करनाल कुरुक्षेत्र अंबाला पानीपत कुरुक्षेत्र चरखी दादरी जींद कैथल आदि जिले शामिल हैं।
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हरियाणा ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में भी लहसून की फसल में थ्रिप्स कीट का प्रकोप देखने को मिला है। अचानक हो रहे मौसम में बदलाव, दिन में तापमान के बढ़ने से थ्रिप्स के रोग में काफी इजाफा हुआ है। इसको लेकर एनएचआरडीएफ यानि राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान क्षेत्रीय केंद्र सलारू ने किसानों को एडवाइजरी जारी की है। जिसमें किसानों को इसकी रोकथाम के लिए उचित प्रबंधन की सलाह दी है। किसानों को सलाह दी गई है कि वह अपनी मर्जी से फसल में दवाईयों का छिड़काव ना करें।


संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र या फिर जारी कि गए हेल्पलाइन नंबर से पूछताछ करने के बाद ही दवाईयों का स्प्रे करें। हालांकि केंद्र की ओर से थ्रिप्स को रोकने के लिए फिप्रोनील 1.0 मिलीलीटर, मैन्कोजेब 2 ग्राम, 0:52:34 (मल्टी-के) 10 ग्राम सिलिकान बेस्ड स्टीकर को मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। यह फार्मुला प्रयोग करके किसान भाई अपनी लहसुन की फसल को थ्रिप्स कीट से बचा सकते है और लहसुन की फसल में होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।


प्रदेश में 45 हजार हैक्टेयर में लहसून 

एनएचआरडीएफ के मुताबिक हरियाणा में करीब 45 हजार हैक्टेयर में लहसून की बुआई की गई है। जिसमें करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, पानीपत, कुरुक्षेत्र, चरखी दादरी, जींद, कैथल आदि जिले शामिल हैं। डा. आरबी सिंह ने बताया कि जब अधिकम तापमान 20 डिग्री से ऊपर चला जाता है तो थ्रिप्स तेजी से फैलता है। नियंत्रण ना होता तो 15 से 60 प्रतिशत तक असर उत्पादन पर पड़ सकता है।


हेल्पलाइन नंबर जारी, इन नंबरों पर किसान कर सकते हैं संपर्क

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान क्षेत्रीय केंद्र सलारू की ओर से थ्रिप्स की रोकथाम के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। कीट विज्ञान से जुड़े तकनीकी अधिकारी मनोज कुमार पाठक के मोबाइल नंबर 7827946602, केंद्र के सहायक निदेशक डा. आरबी सिंह से मोबाइल नंबर 7827946606 पर किसी भी कार्यदिवस व कार्यालय समय में फोन कर सकते हैं।


जानिये क्या है थ्रिप्स कीट

लहसुन की फसल में थ्रिप्स कीट लगते हैं। जो काफी सूक्ष्म होते हैं। सामान्यत: नग्न आंखों से नहीं दिखाई देते। नर व मादा दोनों ही तरह के कीट नुकसान पहुंचाते हैं। नर कीट हल्के भूरे या काले रंग व मादा हल्के पीले रंग की होती है। यह पौधों के नाजुक हिस्से पर प्रहार करता है। इससे पौधा विकास नहीं कर पाता है। ये कीट पत्तियों को खरोंच और छेदकर कर उसका सारा रस चूस जाते हैं। इस वजह से पत्तियां मुड़ जाती हैं। पौधे सूखकर गिरने लगते हैं। लहसुन की गांठें छोटी रह जाती हैं। 


यह है थ्रिप्स का प्रकोप बढ़ने के मुख्य कारण

- बुआई के समय खेत में नमी रहने से थ्रिप्स का खतरा बढ़ता है।

- खेत में कच्चा गोबर का खाद डालने से भी थ्रिप्स का मच्छर पनपता है।

- मौसम में एकाएक परिवर्तन होने से थ्रिप्स के बढ़ने की आशंका अधिक होती है।

 

थ्रिप्स के प्रकोप से यह परेशानी

- लहसुन की फसल के पत्ते पीले पड़कर सूख रहे हैं।
 थ्रिप्स के कारण बढ़वार प्रभावित हो रही है।

- थ्रिप्स से पत्ते और जड़ नष्ट हो रही है।

- कीटनाशक तथा दवाइयों में अधिक खर्च हो रहा है।

तापमान बढ़ने से खतरा बढ़ा

एनएचआरडीएफ करनाल के सहायक निदेशक डा. आरबी सिंह ने बताया कि जैसे-जैसे दिन का तापमान बढ़ रहा है तापमान बढ़ने के कारण लहसुन की फसल में थ्रिप्स नामक कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। चूंकि अब मौसम बदलाव की ओर जा रहा है, इसलिए जरूरी हो जाता है कि इसका प्रबंधन जल्द से जल्द करें। केंद्र की ओर से किसानों को एडवाइजरी जारी की गई है। हेल्पलाइन नंबर भी दिए गए हैं। थ्रिप्स से संबंधित जानकारी के लिए नंबरों पर किसान भाई फोन कर सकते हैं।