Mustard Mandi Update सरसों की एमएसपी को भूलें किसान, तेल और पशु आहार इस बार भी मिलेंगे महंगे
HR Breaking News, बहादुरगढ़ ब्यूरो, सरसों के एमएसपी को तो इस बार भी किसान भूल ही जाएंगे। वजह यह है कि इस बार भी यह फसल ओपन मार्केट में हाथों-हाथ महंगे दामों पर बिक रही है। तेल की बढ़ती डिमांड के कारण ही सरसों के दाम भी एमएसपी के मुकाबले ज्यादा है।
ऐसे में मंडी में सरसों की आवक तो हो रही है, लेकिन उसके निजी खरीददार ज्यादा हैं। सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य में यानी एमएसपी तो ₹5050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, लेकिन पिछले साल की तरह इस बार भी सरसों की ओपन मार्केट में डिमांड ज्यादा है। इसी कारण रेट भी ज्यादा है। जाहिर है कि ऐसे में एमएसपी का किसे ध्यान होगा।
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एमएसपी को तो कोई पूछ ही नहीं रहा है। सरकारी एजेंसी की ओर से 21 मार्च से सरसों की खरीद की जानी है लेकिन सरकारी एजेंसी को तो इस बार भी बहादुरगढ़ में सरसों नहीं मिल पाएगी। वजह साफ है मार्केट रेट और एमएसपी में अंतर। वैसे तो सरकार की ओर से पिछले साल की अपेक्षा इस बार सरसों के एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की
, लेकिन सीजन में ही सरसों की फसल ऊंची बोली पर बिक रही है। बता दें कि पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति रही थी। बाजार में सरसों के तेल के रेट खूब बढ़ गए और जब तेल के दाम बढ़े तो सरसों अपने आप ही महंगी हो गई। इस बार भी खरीदारों की ओर से पहले ही सरसों की बुकिंग की जा रही है।
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सरसों महंगी बिक रही है तो तेल के दाम भी नीचे आने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि जब सीजन पर ही सरसों के दाम ज्यादा हैं तो जाहिर सी बात है कि सरसों से निकला तेल सस्ता कैसे होगा। ऐसे में गरीबों पर महंगे तेल की मार तो पड़ेगी ही। भले ही अब फसल के दाम ज्यादा मिलने से किसानों को फायदा हो रहा हो लेकिन ये दाम तो आखिरकार उन्हें ही चुकाने पड़ेंगे जिन्हें तेल की जरूरत है। महंगी सरसों के कारण इससे तैयार होने वाला पशु आहार भी महंगा हो गया है। उसका पशुपालकों पर बोझ पड़ रहा है।
