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Indian Railway : इस ट्रेन में यात्री अब कर सकेंगे सो कर यात्रा, रेलवे लॉन्च करने वाला है ये ज़बरदस्त ट्रेन

कंबे सफर के लिए ट्रेन से बेहतर ऑप्शन और कोई नहीं पर लम्बे सफर को केवल  बैठ कर पूरा करना काफी मुश्किल है और आज कल ट्रेनों में जो बर्थ दिए जाते हैं वो इतने ज्यादा कम्फर्टेबल नहीं होते के उनके ऊपर अच्छे से सोया जा सके तो रेलवे इसी दिक्कत को दूर करने के लिए लांच करने जा रही है स्पेशल ट्रेने जिसमे आप बैठ कर नहीं बल्कि अच्छे से सो कर पूरा कर पायेंगे सफर।  आइये जानते हैं पूरी डिटेल।  

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HR Breaking News, New Delhi : वंदे भारत एक्सप्रेस में अभी तक बैठ कर यात्रा होती है। क्योंकि इस ट्रेन में सिर्फ चेयर कार वाले डिब्बे हैं, स्लीपर के नहीं। अब इसमें सो कर भी यात्रा हो सकेगी। रेल मंत्रालय  इस ट्रेन के लिए स्लीपर कोच  की व्यवस्था कर रहा है। इसके लिए इस ट्रेन का स्लीपर रैक तैयार किया जा रहा है। इन रैक को कौन कंपनी बनाएगी, कहां बनाएगी, कब होगी सप्लाई.. आइए जानते हैं विस्तार से

रेलवे बोर्ड के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वंदे भारत ट्रेन या ट्रेन-18 के 300 रैक का आर्डर देने पर तेजी से काम चल रहा है। इनमें से 200 रैक चेयर कार वाले होंगे जबकि 100 रैक स्लीपर कोच वाले। आपको पता ही होगा कि वंदे भारत ट्रेन में 16 डिब्बे होते हैं। इस ट्रेन में अलग से कोई इंजन नहीं लगाना होता क्योंकि यह रैक सेल्फ प्रोपेल्ड है। वंदे भारत ट्रेन अधिकतम 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है। लेकिन, रेल मंत्रालय ने इसे अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने का परमिशन दिया है।

15, 22 और 29 नवंबर हैं महत्वपूर्ण तारीख
वंदे भारत के नए ट्रेन के निर्माण के लिए नवंबर महीने की कुछ तारीख बेहद महत्वपूर्ण हैं। रेलवे के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि रेलवे की तरफ से जो 200 वंदे भारत चेयर कार रैक का कांट्रेक्ट अवार्ड होगा, उसकी संभावित तारीख 15 नवंबर हो सकती है। इसी तरह स्लीपर वेरिएंट के जो 100 रैक बनाए जाएंगे उसके लिए दो कांट्रेक्ट अवार्ड हो सकता है। ये कांट्रेक्ट अगले 22 और 29 नवंबर को दिए जा सकते हैं। रेल मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि नए तरह के वंदे भारत के हर ट्रेन या रैक की कीमत लगभग 113 करोड़ रुपये  होगी।

सात मैन्यूफैक्चरर्स के बीच बंटेगा आर्डर!
रेल अधिकारी बताते हैं कि वंदे भारत ट्रेन सेट का मैन्यूफैक्चरिंग आर्डर सात मैन्यूफेक्चरर्स के बीच बांटा जा सकता है। ये मैन्यूफैक्चरर्स इसे बनाने के लिए प्री-क्वालिफाइड घोषित किए गए हैं। इनमें जो कंपनियां शामिल हैं, उनके नाम अलस्टॉम, सीमेंस, टीटागढ़ वैगन्स, क्रॉम्पटन एंड ग्रीव्स, मेधा सर्वो ड्राइव्स और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) हैं। इनमें से भेल एकमात्र ऐसी कंपनी है जो कि सरकारी है।

पहली बार पूरी ट्रेन बनाने का कांट्रेक्ट
भारतीय रेल पहले भी बाहर के मैन्यूफैक्चरर्स से ट्रेन के डिब्बे, माल डिब्बे और इंजन आदि बनवाता रहा है। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि पूरी की पूरी ट्रेन ही बाहर से बनवाई जाएगी। हालांकि, इन कंपनियों को वंदे भारत ट्रेन की तकनीक का ब्ल्यू प्रिंट अवश्य उपलब्ध कराया जाएगा। इन कंपनियों से 400 वंदे भारत ट्रेन सेट तो खरीदे ही जाएंगे। आपको भी याद होगा कि इस साल के बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसा बात का उल्लेख किया था।

कहां बनेंगे ये ट्रेन सेट?
इसी महीने रेलवे की तरफ से जो वंदे भारत ट्रेन सेट बनाने का कांट्रेक्ट अवार्ड होने वाला है, उसे चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, लातूर स्थित मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री सहित रेलवे के कई प्रोडक्शन यूनिट में बनाया जाएगा। इससे पहले भारतीय रेलवे (IR) ने अपने प्रोडक्शन यूनिट, कारखानों और डिपो को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने का फैसला ले लिया है। इन कारखानों में प्रोडक्शन लाइन बनाने के लिए प्राइवेट मैन्यूफैक्चरर्स को कुछ स्ट्रक्चर बनाना होगा। बताया जाता है कि सरकार इसकी प्रतिपूर्ति करेगी। साथ ही कुछ और भी सहूलियत भी दी जाएगी।

पहले साल बनेगी 18 स्लीपर वंदे भारत
वंदे भारत के टेंडर डॉक्यूमेंट में बताया जा चुका है कि पहले साल 18 स्लीपर वंदे भारत ट्रेन सेट बनाया जाएगा। इसके बाद दूसरे साल में 24 स्लीपर ट्रेन सेट जबकि तीसरे साल 30 ट्रेन सेट की मैन्यूफैक्चरिंग और सप्लाई होगी। इसी तरह हर साल वंदे भारत के स्लीपर वेरिएंट के कम से कम 30 ट्रेन सेट बनेंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे को अगले साल 15 अगस्त तक 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने का टारगेट दिया है। अभी तक इसमें से महज चार ट्रेन ही चल पाए हैं। इसलिए रेल मंत्री भी इस प्रोजेक्ट को प्रायोरिटी से पूरा करना चाहते हैं।