8th Pay Commission : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ा अपडेट, महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी में मर्ज होने से इतनी बढ़ेगी सैलरी
8th Pay Commission : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर. दरअसल केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है... अब सवाल ये है कि आखिर फिटमेंट फैक्टर और DA मर्जर से कर्मचारियों की सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी और कर्मचारियों को कितना फायदा होगा-

HR Breaking News, Digital Desk- (8th Pay Commission) हाल में केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी. इसके बाद, केंद्रीय कर्मचारियों का डीए (DA) अब उनकी बेसिक सैलरी के 53 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है. सरकार हर छह महीने में डीए को रिवाइज करती है, जिससे हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) और ट्रैविल अलाउंस (Travel Allowance) जैसे अन्य भत्तों में भी बढ़ोतरी होती है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक सहायता मिलती है.
हालांकि, पिछले 7 सालों में इस बार भत्ते में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है. इससे पहले सरकार ने जुलाई 2024 में भत्ते में बढ़ोतरी की थी. उस समय कर्मचारियों का DA 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 53 फीसदी पहुंच गया था. वहीं, पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो जुलाई 2018 से सरकार ने हर बार कम से कम 3 से 4 फीसदी की बढ़ोतरी की थी.
भत्ता बढ़ने से कर्मचारियों और पेंशनर्श को कितना फायदा?
भत्ते में वृद्धि से कर्मचारियों और पेंशनहोल्डर्स के वेतन में सुधार हुआ है. उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है, तो 2 प्रतिशत वृद्धि से उनकी सैलरी में हर महीने 360 रुपये का इजाफा होगा, यानी सालाना 4,320 रुपये. दूसरी ओर, अगर किसी रिटायर कर्मचारी को 9,000 रुपये की बेसिक पेंशन मिलती है, तो उन्हें हर महीने 180 रुपये की बढ़ोतरी मिलेगी, जिससे सालाना फायदा 2,160 रुपये होगा.
आठवें वेतन आयोग की घोषणा के बाद पहली बार बढ़ा DA-
सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग के ऐलान के बाद यह पहला मौका है, जब कर्मचारियों के DA में बढ़ोतरी हुई है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार (central government) इस साल जनवरी में 8 वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी, जो 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा.
बता दें कि किसी भी कर्माचारी के लिए सैलरी के साथ मिलने वाला DA बहुत अहम होता है, क्योंकि यह किसी उसकी ग्रॉस सैलरी पर पड़ने वाले महंगाई के प्रभाव को कम करने में मदद करता है.
क्या अगले साल से DA को बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा?
उल्लेखनीय है कि 5वें वेतन आयोग ने डीए 50 प्रतिशत से ज्यादा होने पर उसे बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया था. हालांकि, इसे बाद में बंद कर दिया गया था, लेकिन 6वें वेतन आयोग ने भी महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मिलाने की सिफारिश की थी और 7वें वेतन आयोग में भी इस पर विचार किया गया था.
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या 8वें वेतन आयोग के आने के बाद DA को फिर सैलरी के साथ मर्ज कर दिया जाएगा. फिलहाल इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. दूसरी ओर नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी समेत कई कर्मचारी संगठन डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की मांग कर रहे हैं.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Minister of State for Finance Pankaj Choudhary) ने राज्यसभा में कहा है कि सरकार अभी महंगाई भत्ते (DA) को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की कोई योजना नहीं बना रही है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th pay commisison latest update) की रिपोर्ट के तैयार होने से पहले, केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी (basic salary) में 50 प्रतिशत DA का मर्जर नहीं होगा. यह बयान केंद्रीय कर्मचारियों के लिए राहत की उम्मीदों को कम करने वाला है.
फिटमेंट फैक्टर और DA मर्जर से कितनी बढ़ेगी सैलरी?
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर केंद्र सरकार डीए को बेसिक सैलरी (basic salary) में मर्ज कर देती है और कर्मचारियों को 8वां वेतन आयोग लागू होने पर कितना फायदा होगा.बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों (central employees) के लिए महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय की जाती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 8वां वेतन आयोग 2.28 से 2.86 के बीच फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश कर सकता है, जिससे कि कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में काफी इजाफा हो सकता है.
क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर एक महत्वपूर्ण फॉर्मूला है, जिसका उपयोग सरकार वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों की सैलरी निर्धारण में किया जाता है. 8वें वेतन आयोग में इस फैक्टर को बढ़ाकर 2.86 करने की उम्मीद है. यदि यह बढ़ोतरी होती है और किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है, तो नए फिटमेंट फैक्टर के अनुसार उसकी सैलरी लगभग 1,43,000 रुपये तक पहुंच सकती है. इससे कर्मचारियों को अधिक आर्थिक सुरक्षा मिलने की संभावना है.