अफैयर: पति के शादी के एक साल तक पत्नी को नहीं किया टच, मामला जानकार हिल उठेंगे आप
HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि परिवार में लड़की के पैदा होते ही उसे शादी का सही मतलब सिखा दिया जाता है। मुझे भी बचपन से यही सिखाया गया था कि शादी एक पवित्र बंधन है, जिसे हर कीमत पर संजोकर रखना चाहिए। शायद ऐसा इसलिए भी क्योंकि मेरे माता-पिता और भाई बहनों की मैरिड लाइफ बहुत ज्यादा खुशहाल थी। यही एक वजह भी है कि मैं इस तथ्य पर विश्वास करने लगी थी कि जिससे भी मेरी शादी होगी, उसके साथ मैं कदम से कदम मिलाकर चलूंगी। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। समय के साथ मुझे समझ आया कि कैसे हम दूसरों की खुशियों की परवाह करते हुए खुद की खुशी को दांव पर लगा देते हैं।
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दरअसल, जब मेरी शादी हुई थी, तो उस समय मैं केवल 26 साल की थी। अपनी शादी को लेकर मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड थी। ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे यकीन था कि मेरे माता-पिता की तरह मेरा वैवाहिक जीवन भी काफी अच्छा होगा। उन्होंने मेरे लिए एकदम सही इंसान चुना होगा, जो मुझे हमेशा खुश रखेगा। लेकिन मैं नहीं जानती थी कि मेरी किस्मत में कुछ और ही लिखा था।
शादी की वो पहली रात
शादी से पहले मैं अपने होने वाले पति से एक से दो बार ही मिली थी। वह काफी शर्मीला और शिष्ट था। उसे देखकर मुझे यही लगा कि वह मेरे लिए एकदम परफेक्ट है। मैं अपने फैसले से काफी ज्यादा संतुष्ट थी। मेरे पिता ने भी मेरी शादी बहुत अच्छे से की थी। लेकिन शादी की पहली रात मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी जिंदगी को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया।
सभी जानते हैं कि शादी की रात कितने मायने रखती है। इस अनुभव को यादगार बनाने के लिए मैंने खुद को तैयार कर रखा था। मेरे पति अंदर आए बैठे और मुश्किल से कुछ मिनट ही मुझसे बात की। उन्होंने यह कहकर बात खत्म कर दी कि वह थक गए हैं। मैंने भी यही सोचा कि शादी की रस्मों के कारण थकान हो गई होगी। इसलिए मैंने भी इस बात पर ज्यादा रिएक्ट नहीं किया।
एक सप्ताह तक छुआ नहीं
मेरी शादी को एक सप्ताह बीत चुका था और मेरे पति ने मुझे अब तक छुआ तक नहीं था। मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था, लेकिन मैं अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहती थी। ऐसा क्योंकि मैं भी बहुत शर्मीले स्वभाव की हूं। वैसे तो वह बहुत सभ्य व्यक्ति था। लेकिन एक चीज जो मुझे बार-बार परेशान कर रही थी वो यह कि उसे मेरे साथ फिजिकल होने में कोई दिलचस्पी क्यों नहीं थी। यही नहीं, जैसे-जैसे समय बीतता गया उनके साथ रहकर मुझे ऐसा लगने लगा था वह मेरे पति बनने के बजाए दोस्त बना रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
महीने बीतते गए वैस ही मुझे हर रोज एक नई चीज का अनुभव होने लगा। लेकिन अब भी हमारे बीच न्यू कपल वाली फीलिंग नहीं थी। ऐसा लग रहा था कि शादी करना और इसे बनाए रखना उनकी मजबूरी बन गई थी। मैंने कभी उनसे शिकायत नहीं की। ऐसा इसलिए क्योंकि वह बेहद नेक दिल और दयालु इंसान था। मुझे उनके साथ किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन इसके बाद भी मुझे लगता था कि मेरी शादी में कुछ कमी थी।
झगड़े में सच आया सामने
हमारी शादी को एक साल बीत गया और हमारे बीच छोटी सी बात को लेकर झगड़ा हो गया। जो वास्तव में गंभीर लड़ाई में बदल गया। मेरे मन में गुस्सा था, तो मैंने कह दिया कि मैं एक पति के लिए तरस रही हूं, जो मुझे कभी नहीं मिला। जैसे ही मैंने ये शब्द बोले मेरे पति एकदम से चुप हो गए और बिस्तर के किनारे पर जाकर बैठ गए। मैंने जब उन्हें रोता हुआ देखा, तो मैं चुप हो गई। मैं दंग रह गई। ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने आज तक उन्हें मेरे सामने कभी इतना कमजोर होते नहीं देखा था।
मैंने उन्हें परेशान देख दिलासा दिया, तभी उन्होंने मुझसे माफी मांगी और कहा कि उनका इरादा मुझे चोट पहुंचाने का बिल्कुल भी नहीं था। लेकिन उन्हें महिलाएं पसंद नहीं है। मैं कांपते हुए अपनी जगह पर खड़ी हो गई। उन्होंने कबूल किया कि वह समलैंगिक है। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी। मैंने फिर पूछा कि आप समलैंगिक हैं, तो उसने मेरी तरफ देखा और कुछ नहीं कहा।
दिखावा थी मेरी शादी
मैं यही सोच रही थी कि मेरी शादी बस एक दिखावा थी। मैं बिस्तर पर चुपचाप लेट गई और हकीकत से भागने के लिए सोने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैं अच्छे से जानती थी कि यह सपना नहीं है। मेरे पति पुरुषों को पसंद करते हैं। मुझे यह बात हर हालत में स्वीकारनी थी, लेकिन इस दौरान मेरी अपनी खुशी का क्या। मैंने अपनी खुशी की परवाह न किए बगैर उनके साथ जीवन भर शादी का ढोंग रचाने का फैसला किया।
हालांकि, मुझे धोखा देने के लिए उन्होंने मुझसे माफी मांगी। उन्होंने कहा वह सब कुछ मुझे बताना चाहते थे, लेकिन उन्हें लगा कि वैवाहिक जीवन में व्यस्त होने के बाद शायद वह बदल जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमने फैसला किया कि अब ऐसा नहीं चल सकता। हमें किसी न किसी निष्कर्ष पर तो पहुंचना ही था। ऐसे में हमने तलाक की अर्जी दायर की, जिसकी वजह से हमारे परिवार के बीच संबंध खराब हो गए। लेकिन मेरे और मेरे पति के बीच दोस्त के रूप में रिश्ता बहुत मजबूत हो गया है।
मैंने उनका सपोर्ट किया
मैंने उन्हें समझा और उनकी भावना की कद्र की। वह चाहते थे कि मुझे ऐसा व्यक्ति मिले, जिसके साथ मैं हमेशा खुश रहूं। हमारा यह कदम उन बंधनों से मुक्त करने के लिए जरूरी था, जो हमें दुखी और अधूरा शादी में जोड़े रखना चाहते थे। लेकिन मुझे खुशी है कि हमने समाज की परवाह नहीं की बल्कि अपनी खुशी के बारे में सोचा। सच कहूं तो आज मैं बेहद खुश हूं।