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Chanakya Niti जिंदगी में हमेशा इन बातों को रखे ध्यान, बीमारी आसपास भी नहीं फटकेगी

Chanakya Niti कहते है जिंदगी में अगर इंसान स्वस्थ्य रहें तो समझें उसे जिंदगी का हर सुख मिल गया। ऐसे ही स्वस्थ्य रहने को लेकर आचार्य चाणक्य द्वारा कुछ बातों का जिक्र किया गया है जिन्हें हमें हमेशा याद रखना चाहिए ऐसा करने से बीमारी हमारे पास कभी नहीं फटकेगी
 
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HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, नीतिशास्‍त्र में आचार्य चाणक्‍य ने जीवन को सुखमय बनाने के कई राज बताए हैं. आचार्य कहते हैं कि जीवन को तकलीफों से मुक्‍त रखने के लिए निरोगी काया का होना जरूरी है, जो व्यक्ति खुद को बीमारियों से मुक्त और स्वस्थ रखता है वह हर कार्य में सफलता अर्जित कर जीवन को सुखमय बनाता है. वहीं इसके उलट जो लोग अपने स्‍वस्‍थ्‍य का ध्‍यान नहीं रखते और हर समय बीमार रहते हैं,

वे सब कुछ पाकर भी जीवन भर कंगाल ही रहते हैं. ऐसे लोग जीवन में कोई भी कार्य करें, लेकिन सफल नहीं हो पाते हैं. इसलिए व्‍यक्ति को अपने स्‍वास्‍थ्‍य पर सबसे अधिक ध्‍यान देना चाहिए. आचार्य चाणक्य ने स्‍वस्‍थ्‍य शरीर पाने के लिए तीन उपाय बताए हैं. आचार्य के अनुसार इन उपायों का अनुसरण कर कोई भी व्‍यक्ति अपने शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य बना सकता है.


अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम् भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन ग्रहण करने के करीब आधा घंटे बाद पिया गया पानी शरीर को बल प्रदान करता है. भोजन के बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना अमृत के समान है. लेकिन भोजन के तुरंत बाद पानी पीना विष के समान है. इससे बचना चाहिए. 


राग बढत है शाकते, पय से बढत शरीर घृत खाये बीरज बढे, मांस मांस गम्भीर

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि शाक खाने से रोग बढ़ते हैं. दूध पीने से शरीर बलवान होता है. घी खाने से वीर्य बढ़ता है और मांस खाने से शरीर में मांस बढ़ता है.

 

गुरच औषधि सुखन में भोजन कहो प्रमान चक्षु इंद्रिय सब अंश में, शिर प्रधान भी जान

आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है कि औषधियों में गुरच यानी गिलोय सर्वोपरि है. सब सुखों में भोजन परम सुख है यानी किसी भी प्रकार का सुख हो, लेकिन सबसे ज्यादा आनंद भोजन करने में ही आता है. शरीर में आंखें प्रधान है और सभी अंगों में मस्तिष्क प्रधान है.