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Chanakya Niti: शादी करने से पहले इन बातों की आज ही बांध लें गांठ, वरना जीवन भर रहेगी परेशानी

Chanakya Niti Knowledge: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में जीवन से जुड़ी काफी बातों का जिक्र किया गया है। ऐसे में इंसान को शादी करने से पहले इन बातों की गांठ बांध लेने चाहिए। 
 
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HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, Chankaya Niti For Men and Woman: आचार्य चाणक्य (Chanakya) महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे. आचार्य चाणक्य ने राजनीति और कूटनीति में अपनी कुशलता से चंद्रगुप्त मौर्य जैसे साधारण बालक को मगध का सम्राट बना दिया था. आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में बहुत सी ऐसी बातें बताई हैं जिनका पालन करने वाला व्यक्ति जीवन में जरूर सफल होता है. चाणक्य नीति में ये भी बताया कि पति-पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए. चाणक्य नीति के अनुसार, कुछ ऐसी महिलाएं होती हैं जिनके पति बिना आग के ही जलते रहते हैं. आइए इसके बारे में जाते हैं.

ऐसे पति का शरीर बिना आग के जलता है

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति को दुष्टों के गांव में रहना पड़ जाए या कुलहीन लोगों की सेवा करनी पड़ जाए, जो खाने योग्य ना हो वो खाना पड़ जाए, अपशब्द और हमेशा गुस्सा करने वाली पत्नी मिल जाए, मूर्ख बेटा या विधवा पुत्री हो तो ऐसे व्यक्ति का शरीर बिना आग के ही जलता रहता है.

पत्नी, मित्र और नौकर कैसा नहीं होना चाहिए?
बता दें कि चाणक्य नीति में ये भी लिखा है कि पत्नी, मित्र और नौकर कैसा नहीं होना चाहिए. अगर आपकी पत्नी में ये गुण हैं तो आपके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती हैं. चाणक्य नीति के अनुसार, दुष्ट पत्नी, झूठे मित्र, धूर्त नौकर और सांप के साथ कभी नहीं रहना चाहिए. ये मृत्यु को गले लगाने जैसा है.

मुसीबत से कैसे निकलें बाहर?

किसी मुश्किल से कैसे निकला जाए इसके बारे में भी चाणक्य नीति में बताया गया है. चाणक्य नीति के मुताबिक, व्यक्ति को आने वाली मुसीबत के लिए धन जमा करना चाहिए. इसके अलावा धन-संपत्ति छोड़कर पत्नी की रक्षा करनी चाहिए और अगर आत्मा पर बात आ जाए तो धन और पत्नी दोनों को त्याग करके आत्मा की रक्षा करनी चाहिए.

चाणक्य नीति के अनुसार, बुद्धिमान व्यक्ति को कभी ऐसे देश में नहीं जाना चाहिए जहां रोजगार का कोई माध्यम नहीं हो, जहां लोगों को किसी चीज का डर ना हो, जहां लोगों को किसी बात की शर्म नहीं हो, जहां लोग बुद्धिमान नहीं हों और जहां लोगों की वृत्ति दान धर्म की नहीं हो.