चाणक्य नीति: पति आज ही छोड़ दे ये बुरी आदतें, नहीं तो मान सम्मान नहीं करेगी पत्नी
HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, चाणक्य नीति के अनुसार जीवन हर व्यक्ति सफलता पाने के लिए परिश्रम करता है. सफलता कठोर परिश्रम से ही प्राप्त होती है. परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है. इस बात को जो जितनी जल्दी समझ लेता है, उसकी सफलता पाने की संभावना उतनी ही प्रबल हो जाती है. बुरी आदतें सफलता में बाधक हैं. इनसे दूर रहना चाहिए. बुरी आदतों के कारण शत्रु को वार करने का अवसर प्राप्त होता है. . आचार्य कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री होने के साथ एक महान शिक्षक भी थे. अपने जीवन में उन्होंने तमाम शिष्यों के भविष्य को उज्जवल किया. आचार्य ने हर किसी को कुछ आदतों को त्यागने की बात कही है, वर्ना व्यक्ति का मान-सम्मान में कमी आना तय है.इसलिए चाणक्य की इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए
बुराई करना
कुछ लोगों की बुराई करने की आदत होती है. वे कभी किसी के अंदर खूबियों को देख ही नहीं पाते. हमेशा दूसरों की बुराई करते हैं. ऐसे लोग हमेशा दूसरों की नजर में अपने मान-सम्मान को कम करते हैं. इस आदत को फौरन छोड़ देना चाहिए और ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए
झूठ बोलना
जीवन में अगर मान-सम्मान कमाना है तो हमेशा सत्य बोलिए और सत्य का ही साथ दीजिए. ऐसे लोगों पर दूसरे लोगों का भरोसा बढ़ता है और उनसे न्याय की उम्मीद की जाती है. लेकिन कुछ लोग बात बात पर झूठ बोलते है. ऐसे लोग सिर्फ अपना काम निकालने से मतलब रखते हैं और अपने स्वार्थ के लिए ही झूठ बोलते हैं. ऐसे लोगों को कभी कोई सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता. याद रखिए यदि जीवन में लोगों से प्यार और सम्मान चाहिए तो धर्म के मार्ग पर चलिए क्योंकि कोई झूठ कभी लंबे समय तक नहीं टिकता. आखिरकार विजय सत्य की ही होती है
बढ़ा-चढ़ाकर बोलना
कुछ लोगों को हर जगह अपनी जय जयकार सुनने की आदत होती है, इसलिए वे खुद को बहुत योग्य, समझदार और बुद्धिमान साबित करने के लिए बढ़ा चढ़ाकर बातें करते हैं. लेकिन जब तक कोई आपको नहीं जानता, तब तक ही वो आपकी बातों पर यकीन करता है. जिस दिन वो आपको जान जाएगा, आप सही भी बोलेंगे, तो भी आप पर यकीन नहीं करेगा. इसलिए कभी भी बातों को बढ़ा चढ़ाकर मत बोलिए. ऐसे लोग दूसरों की नजर में अपने मान-सम्मान को खो देते हैं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)