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Chanakya Niti पत्नी से दूरी सहित ये 6 चीजें इंसान को अंदर से कर देती है राख

आचार्य चाणक्य द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार कुछ चीजे ऐसी होती है जोकि व्यक्ति को अंदर ही अंदर राख कर देती है। जिसमें पत्नी वियोग भी शामिल है। आइए जानते है आचार्य चाणक्य द्वारा इस सूची में किन चीजों को किया गया है शामिल
 
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HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को श्रेष्ठ विद्वानों में से एक माना जाता है। आचार्य चाणक्य को धर्म, राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र आदि तमाम विषयों की गहन जानकारी थी। चाणक्य द्वारा कई शास्त्रों की रचना भी की गई जो आज भी मानव के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने अपनी नीतियों में काफी कुछ लिखा है। उनके द्वारा बताई गई हर एक नीति मनुष्य को जीवन में लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित करती हैं। यदि  इन बातों पर गौर किया जाए, तो व्यक्ति कई तरह की परेशानियों से बचा रह सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में ऐसी चीजों के बारे में बताया हैं जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर मार देती हैं। आइए जानते हैं। 


कान्तावियोगः स्वजनापमानं ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।

दारिद्र्यभावाद्विमुखं च मित्रं विनाग्निना पञ्च दहन्ति कायम् ॥

 

पत्नी का वियोग, अपने ही लोगों से बे-इज्जत होना, बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा की सेवा करना, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा करना आदि अंदर से मर जाने के बराबर है - आचार्य चाणक्य

 

आचार्य चाणक्य के इस कथन के अनुसार, पत्नी के वियोग में व्यक्ति दुनियादारी की हर एक चीज को भूल जाता है। एक सुशील पत्नी, पति के साथ-साथ पूरे घर-परिवार का ध्यान रखती हैं। लेकिन अगर पत्नी क्रोधी प्रवृत्ति की हैं तो घर में कभी भी शांति नहीं रह सकती। ऐसे में पति अंदर ही अंदर जलता रहता है।


इसी तरह जब घर पर ही व्यक्ति की इजज्त नहीं होती हैं तो उसके अंदर बहुत अधिक ग्लानि भरी होती हैं। जिसके कारण वह धीरे-धीरे मरे हुए व्यक्ति के समान हो जाता है।

चाणक्य जी कहते हैं कि बचा हुआ कर्ज भी व्यक्ति को अंदर से मार देता है। वह उश कर्ज को चुकाने के लिए जहां एक ओर जी-तोड़ मेहनत करता है। वहीं दूसरी ओर उसे इस बात का हमेशा डर रहता हैं कि कहीं साहूकार आकर सभी के सामने पैसे न मांग लें। इसी तरह दुष्ट राजा की सेवा करना और गरीबी और दरिद्रता पर जीना हर किसी को अंदर से जलाकर रख देता है। 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।