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Chanakya Niti: इंसान को अंदर से तोड़ देती है ये बातें, हो जाता है बिल्कुल खोखला

आचार्य चाणक्य के अनुसार इंसान की जिंदगी में कुछ बातें ऐसी होती है जो इंसान को अंदर से बिल्कुल से तोड़ देती है। इन बातों के कारण इंसान अंदर से बिल्कुल खोखला हो जाता है। आइए जानते है किन बातों से इंसान हो जाता है खोखला
 
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Chanakya Niti: इंसान को अंदर से तोड़ देती है ये बातें, हो जाता है बिल्कुल खोखला

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, आचार्य चाणक्य को राजनीति, अर्थशास्त्र, धर्म, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र जैसे कई विषयों की गहन जानकारी थी. चाणक्य ने कई ऐसे शास्त्रों की रचना की है जो आज भी मानव के लिए उपयोगी है, उन्होंने अपनी नीतियों में कई ऐसे उपाय बताए हैं जिनकी मदद से व्‍यक्ति अपना लक्ष्‍य प्राप्‍त कर सकता है.

साथ ही परेशानियों और बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है. आचार्य चाणक्य ने आम पारिवारिक जीवन के बारे में जानकारी देते हुए ऐसी चीजों के बारे में बताया हैं जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर मार देती हैं. तो आइए जानते हैं कौन सी वो परिस्थितियां हैं जो मनुष्य को अंदर से तोड़कर रख देती हैं


1. पुत्री को विधवा देखना
बेटी के लिए वर की तलाश कर उसका विवाह करना पिता का सबसे खूबसूरत ख्वाब होता है. बेटी का विवाह करके पिता अत्यंत सुख का अनुभव करता है, लेकिन यदि बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता के लिए ये जीवन का सबसे बड़ा दुख होता है.चाणक्य नीति के अनुसार, ये दुख माता-पिता को तोड़कर रख देता है और वे जीवनभर इस दुख से निकल नहीं पाते. 


2. शक्की और झगड़ालू जीवनसाथी

कहा जाता है कि जब दो लोगों की शादी होती है तो वो अपनी सुन्दर दुनिया बसाते हैं, लेकिन अगर शादी में स्त्री हो या पुरुष किसी का स्वभाव अच्छा नहीं है. वो झगड़ालू प्रवृत्ति का है, तो उसके जीवनसाथी की ज़िंदगी नर्क के सामान बन जाती है. इस दुख से बाहर निकल पाना स्त्री या पुरुष दोनों के लिए मुश्किल होता है.

3. शराबी व्यक्ति

शराबी व्यक्ति किसी का सगा नहीं होता, ऐसा व्यक्ति ना ही अपने माँ बाप की सेवा करता है और न ही अपने परिवार का ध्यान रख पाता है.यदि कोई व्यक्ति शराबी है और काम धाम नहीं करता तो उसकी पत्नी और बच्चों का जीवन नर्क के समान हो जाता है. बाद में परिस्थितियां भले ही सही हो जाएं, लेकिन वो दुख व्यक्ति को जीवन भर सताता रहता है.

4. निकम्मा पुत्र

पुत्र, पिता की बुढ़ापे की लाठी होता है, लेकिन यदि पुत्र मूर्ख और निकम्मा हो तो वो जीवन भर माता-पिता पर बोझ के समान बन जाता है. चाणक्य नीति के अनुसार, ऐसे पुत्र जिनकी बुढ़ापे में भी माता पिता को चिंता करनी पड़े, उसका धरती पर होना अभिशाप की तरह है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. एचआर ब्रेकिंग न्यूज इसकी पृष्टी नहीं करता है)