home page

Court Decision - सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों की मनमानी पर जारी किए सख्त ऑर्डर

अगर कोई भी अस्‍पताल बिल का भुगतान न होने की वजह से मरीज का शव परिजनों को सौंपने से इनकार करता है तो अस्‍पताल प्रबंधन और डॉक्‍टरों के खिलाफ तत्‍काल मामला दर्ज किया जाएगा. दरअसल ये सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला आया है। 

 | 

HR Breaking News, Digital Desk- देश में अक्‍सर ही प्राइवेट अस्‍पतालों (Private Hospitals) में वसूले जाने वाले चार्ज और बिल को लेकर हंगामे की खबरें सामने आती रहती हैं. कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं जब निजी अस्‍पताल बिना बकाया पैसा चुकाए परिजनों को मरीज का शव देने से इनकार कर देते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर तबके के तहत या अन्‍य किसी मदद के द्वारा निजी अस्‍पतालों में महंगा इलाज कराने वाले मरीजों के परिजनों को यह खासतौर पर झेलना पड़ता है.

हालांकि बहुत ही कम लोगों को यह जानकारी है कि देश का कोई भी निजी अस्‍पताल पूरा बकाया बिल भरे जाने की शर्त पर डेड बॉडी (Dead Body) देने से इनकार नहीं कर सकता है. ऐसा करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

इस बारे में सोशल ज्‍यूरिस्‍ट अशोक अग्रवाल बताते हैं कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अस्‍पतालों को लेकर दिल्‍ली सरकार, डीडीए और सोशल ज्‍यूरिस्‍ट की ओर से डाली गई एसएलपी पर एक सख्‍त आदेश जारी किया है. यूनियन ऑफ इंडिया बनाम मूलचंद खैरातीराम ट्रस्‍ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अरुण मिश्रा ने पैरा 70 में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है, ‘बड़े दुर्भाग्‍य की बात है कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं.

जब कुछ निजी अस्‍पतालों ने बिल का पूरा पैसा न दिए जाने तक डेड बॉडी को सिक्‍योरिटी के तौर पर रख लिया है, यह पूरी तर‍ह गैरकानूनी और आपराधिक कार्य है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से आगे कहा गया कि अगर भविष्‍य में ऐसा कोई भी मामला पुलिस के पास आता है तो पुलिस को कहा जाता है कि वह उस अस्‍पताल के प्रबंधन और वहां काम कर रहे डॉक्‍टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे.’

अशोक अग्रवाल कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस एतिहासिक फैसले के बाद हर पुलिसकर्मी का कर्तव्‍य बन जाता है कि अगर कोई भी अस्‍पताल बिल का भुगतान न होने की वजह से मरीज का शव परिजनों को सौंपने से इनकार करता है तो अस्‍पताल प्रबंधन और डॉक्‍टरों के खिलाफ तत्‍काल मामला दर्ज करे.