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Haryana News बेटी बचाओ पेटी पढ़ाओ अभियान कैसे करेगा काम, डिपो में बंद खड़ी पिंक बसें

Haryana News सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का रफ्तार देने के लिए और स्कूल-कालेज में पढ़ने के लिए जानें वाली छात्राओं की सुविधा के लिए पिंक बसें चलाई थी। कोरोना काल में कालेज बंद होने के कारण उन बसों को बंद दिया गया था।
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पिंक बस

Hisar News सरकार ने बेटियों की सुविधा के लिए निशुल्क सफर करने को स्पेशल पिंक मिनी बसें दी थी। मगर व्यवस्थाओं के अभाव में बेटियों तक इन बसों का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। हिसार में यह बसें छह रूटों पर चलाई गई थी। एक से डेढ़ साल तक यह बसें बंद खड़ी है। यह बसें धूल फांक रही है। अब स्कूल, कालेज खुल गए हैं, छात्राएं भी आवागमन करने लगी है। लेकिन बंद पड़ी बसों का नतीजा बेटियों काे भुगतना पड़ता है।

 

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लड़कियों को निजी बसों में किराए के रुपये चुकाने पड़ते है। यहीं नहीं निजी बस कर्मी लड़कियों से झगड़ा भी करते है। जब तक बसों का बूथ से चलने का समय नहीं होता है, तब तक उनको बस में चढ़ने नहीं दिया जाता। कई बार बेटियों रोडवेज विभाग से पिंक बसें चलाने की मांग कर चुकी है। मगर उनकी एक न सुनी जा रही। 


सरकारी व्यवस्थाओं के अभाव में नहीं पहुंच पा रहा लाभ

हिसार डिपो में छह और हांसी डिपो में तीन पिंक मिनी बसें है। रोडवेज विभाग की व्यवस्थाएं इतनी लचर हो चुकी है कि इनकी कोई सुध नहीं की जा रही। दो से तीन बसें ऐसी है, जिनकी हालत खराब हो चुकी है। इसके चलते बेटियों को निजी बसों में सफर करना पड़ता है।

इन छह रूटों पर चली थीं

बालसमंद, भूना, तोशाम, उकलाना, आदमपुर, सिवानी आदि।

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यह बोली छात्राएं

उकलाना से पूजा, अमरीता, शीला, अंजना व किरण ने बताया कि महिलाओं के लिए चलाई स्पेशल बसें पिछले साल ही नहीं आ रही है। वह सभी रोजाना निजी बसों में जाने को मजबूर है। रोजाना 200 से ज्यादा छात्राएं गांव से हिसार कालेज में पढ़ने आती है। उन्होंने डिपो में शिकायत दी थी, पर अब तक नहीं चली।


भूना से पुष्पा व सुमन ने बताया कि उनके रूट पर कोई स्पेशल बस नहीं आती है। पहले आती थी। अब उनको निजी बसों में आना पड़ता है। किराया भी लगता है।


तोशाम से राहुल, डीएन कालेज की छात्रा सपना ने बताया कि वह हर रोज प्राइवेट बस से आते है। सभी लड़कियां निजी बसों में ही आती है। पहले उनके लिए स्पेशल बसें लगी थी, जो अब नहीं आ रही।