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Haryana News हरियाणा में किसानों को नकली बीज देने वाले रैकेट का खुलासा, किए अहम खुलासे

Haryana Seed Scam हरियाणा में नकली बीजों के बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है।राज्‍य में नकली बीजों के ये धंधेबाज बस कागजों में बीज तैयार कर रहे थे। हरियाणा सरकार ने इस गोरखधंधे का पदाफार्श किया है।
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Haryana Seed Scam: हरियाणा में एक और बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। राज्‍य में नकली बीजों के बड़े घोटालेबाज बेनकाब किया है। मनोहरलाल सरकार ने राज्‍य में  समय से चल रहे नकली और फर्जी बीज उत्पादन के धंधे का पर्दाफाश किया है और इस पर नकेल लगाने के लिए कदम उठाया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा उत्तम बीज पोर्टल पर बीज उत्पादकों द्वारा अनिवार्य पंजीकरण की व्यवस्था लागू करने से हजारों फर्जी बीज उत्पादक बेनकाब हो गए।

 

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उत्तम बीज पोर्टल पर पंजीकरण कराने में विफल 81 हजार एकड़ जमीन के कथित मालिक बीज की पैदावार करने के लिए सामने नहीं आए। ये लोग अभी तक फर्जी रूप से कागजों में बीज उत्पादन कर रहे थे और मार्केट से नकली बीज लाकर सरकार को बेच देते थे। इन धंधेबाज लोगों के उजागर होने से प्रदेश सरकार को जहां 560 करोड़ रुपये की बचत हुई है, वहीं किसानों को वास्तविक लोगों द्वारा खेत में तैयार किया गया बीज मिलने की गारंटी मिल गई है।


कागजों में तैयार हो रहा था 15 से 16 लाख क्विंटल बीज

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले साल 30 अक्टूबर को उत्तम बीज पोर्टल लांच किया था। तब सभी सरकारी, गैर सरकारी एवं निजी क्षेत्र की बीज उत्पादन संस्थाओं से अपने बीज उत्पादकों का पंजीकरण इस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से करने के आदेश जारी किए गए थे। रबी 2021-22 सीजन के लिए उत्तम बीज पोर्टल पर हजारों लोगों ने बीज उत्पादन हेतु अपना पंजीकरण नहीं कराया है।
उत्तम बीज पोर्टल पर बीज उत्पादकों के अनिवार्य पंजीकरण की व्यवस्था से बेनकाब हुए घोटालेबाज

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इससे बीजों के उत्पादन कार्यक्रम में भारी गिरावट आई है। काफी बीज उत्पादक ऐसे हैं, जिन्होंने इस बार न तो अपना पंजीकरण कराया और न ही बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया। रबी सीजन 2021-22 में हरियाणा में मात्र 1.44 लाख एकड़ जमीन में बीज उत्पादन कार्यक्रम लिए गए, जबकि पिछले साल रबी सीजन 2020-21 में 2.25 लाख एकड़ में बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया गया था।
पिछले रबी सीजन की अपेक्षा इस बार 81 हजार एकड़ में बीज उत्पादन का कार्यक्रम नहीं लिया गया

पिछले साल की तुलना में इस साल 81 हजार एकड़ कम बीज उत्पादन कार्यक्रम होने से लगभग 15 से 16 लाख क्विंटल बीज उत्पादन कम हुआ है। यदि उत्तम बीज पोर्टल पर पंजीकरण की व्यवस्था लागू नहीं होती तो ये लोग बाजार से बीज खरीदकर बीज विकास निगम को देते और यह नकली बीज किसानों के पास पहुंचता। यह बीज खरीदने में सरकार को 560 करोड़ रूपये का अतिरिक्त व्यय करना पड़ता, जो कि अब बचत के रूप में सामने आया है। प्रति क्विंटल 3500 रूपये के हिसाब से इस बीज की खरीद होती है। ऐसा रबी और खरीफ दोनों सीजन में होता है।


लंबे समय से कागजों में पैदा किए जा रहे थे बीज, सरकार के साथ किसानों को भी दे रहे थे धोखा

हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक एवं करनाल के मंडलायुक्त संजीव वर्मा ने इस लीकेज को रोकने का श्रेय मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दिया है। उन्होंने बताया कि यदि मुख्यमंत्री अपनी सूझबूझ से तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पोर्टल की शुरुआत न करते तो पिछले चालीस सालों की तरह आगे भी बीज विकास निगम में इसी तरह भ्रष्टाचार होता रहता और किसानों को नकली बीज मिलता रहता।
उनका कहना है कि अब किसानों को खेताें में तैयार हुआ असली बीज ही मिलेगा। इससे उनका उत्पादन और आय दोनों बढ़ेंगे, जबकि सरकार के राजस्व की भी बचत होगी। संजीव वर्मा के अनुसार अकेले रबी सीजन की बचत 560 करोड़ है। खरीफ सीजन में भी इतनी ही बचत होने का अनुमान है।

स्टेट विजिलेंस ब्यूरो कर रहा बीज घोटाले की जांच

बीज उत्पादन कार्यक्रमों में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले दिनों एक जांच कमेटी का गठन किया था। जांच कमेटी ने अपनी जांच में पाया था कि कुछ बीज उत्पादकों द्वारा अपने एवं अपने रिश्तेदारों के नाम से बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया जाता है। बीज विकास निगम के डायरेक्टर स्तर के एक अधिकारी ने पिछले साल 400 एकड़ जमीन में बीज उत्पादन का कार्यक्रम लिया था, लेकिन उत्तम बीज पोर्टल के लागू होने के बाद उसने मात्र नौ एकड़ जमीन में बीज उत्पादन का कार्यक्रम लिया है।

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खुलासा हुआ कि ऐसे बीज उत्पादकों के पास स्वयं की जोत योग्य भूमि या तो होती नहीं या फिर बहुत कम होती है। इसके बावजूद उन्होंने बड़े रकबे में बीज उत्पादन कार्यक्रम लिए, जिससे बीज विकास निगम के जरिए सरकार को राजस्व की भारी हानि हुई। संजीव वर्मा के अनुसार जांच में बीज विकास निगम के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत पाए जाने पर कई कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने पूरे गड़बड़झाले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी है, जो अभी जारी है।