Haryana news:डबल किराया भरकर यूक्रेन से सुरक्षित लौटीं दो बेटियां, परिवार ने किया स्वागत, खिलाई मिठाई
बेटियों ने कहा कि जब तक वे वहां थी, तब तक हालात सामान्य रहे। अब स्थिति ज्यादा तनावपूर्ण हुई है। परिवार की चिंता और वहां के हालात के कारण दोगुना किराया देकर वे अपने देश लौटी हैं लेकिन मलाल है कि हमारे कुछ साथी वहां रह गए हैं।
सेक्टर-13 निवासी भव्या जैन और हाउसिंग बोर्ड निवासी शिवानी खुराना करनाल पहुंची हैं। दोनों यूक्रेन की डेनिप्रो सिटी में रहती थी और डेनिप्रो मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। जबकि इनकी सहपाठी दयाल सिंह कॉलोनी की अकांक्षा ग्रोवर करनाल नहीं आ पाईं।
भव्या जैन ने बताया कि मंगलवार को वे हॉस्टल से निकली थी, बस से किव गए। किव से शारजा फ्लाइट से गए। यहां एयरपोर्ट पर 15 घंटे का होल्ड था। इसके बाद शारजा से दिल्ली बुधवार देर शाम को पहुंचे। यहां वे रात को अपनी बहन दिव्या के घर रहीं और गुरुवार को करनाल लौटी हैं।
जो वहां रह गए सरकार उन्हें जल्द वापस लाए
हाउसिंग बोर्ड निवासी शिवानी बुधवार देर रात करनाल आ गई थी। उन्होंने बताया कि जब वे वहां से चले थे उस समय माहौल ठीक था, अब स्थिति तनावपूर्ण हुई है।
जब हमारी फ्लाइट टेकऑफ हुई तो हालात बिगड़ने शुरू हो गए थे। अब सभी फ्लाइट भी रद्द कर दी गई हैं। परिवार के साथ अब वह खुश हैं। जो साथी वहां रह गए हैं, वह उनके संपर्क में हैं और उन्हें वापस लाने के लिए भारत सरकार से मांग की है।
माहौल सामान्य रहा लेकिन युद्ध की चर्चाएं होने लगी थी
भव्या के अनुसार 10 दिन पहले हॉस्टल में वॉर को लेकर बातें होने लगी थी। टीवी पर भी आ रहा था। इसके अलावा कुछ विद्यार्थियों के अभिभावकों ने भी फोन पर जानकारी दी।
उस समय वहां के लोगों का व्यवहार भी सामान्य ही था। ऐसा कुछ नहीं लग रहा था कि कहीं युद्ध की स्थिति है। प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों का व्हाट्सएप ग्रुप भी बना है।
इस ग्रुप में अंबेसी के नोटिस और मैसेज भी शेयर करते थे। कक्षा में 16 विद्यार्थी हैं, जबकि बैच में एक हजार से ज्यादा विद्यार्थी हैं। सभी अलग-अलग देश से हैं। अंबेसी के निर्देश पर ही वापस आने की योजना बनाई। इससे पहले हम सामान्य तरीके से ही रह रहे थे।
जून में परीक्षाओं के बाद घर आने की थी योजना
दिसंबर 2021 में ही भव्या ने यूक्रेन जाकर दाखिला लिया था। जून माह में उनकी परीक्षाएं थी। 20 दिन पहले उन्होंने योजना बनाई थी कि परीक्षाओं के बाद घर आएंगी लेकिन युद्ध के कारण अभी आना पड़ा।
भव्या ने बताया कि चार मार्च तक ऑफलाइन कक्षाएं चलनी थी। वापस जाने के लिए जब अंबेसी ने कहा तो अब ऑनलाइन कक्षाएं लग रही हैं।
भव्या की मां अंजू जैन और पिता वीरेश जैन पिछले 10 दिन से बेटी को लेकर चिंतित थे। भव्या ने बताया कि दोनों रोजाना कॉल करके यही कहते थे कि जल्द वापस आ जाओ। जब तक आने का कन्फर्म नहीं होता तब तक कमरे पर ही रहें और खाने की व्यवस्था कर लें।
