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Indian Railways सीनीयर सिटिजंस को रेलवे किराए में दे सकता है छूट, लेकिन...........

Senior Citizen Concession ताजा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रेलवे बोर्ड (Railway Board) की ओर से वरिष्ठ नागरिक रियासत के लिए आयु में बदलाव को लेकर और इसे केवल 70 साल से ऊपर के लोगों के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा है। वहीं दूसरी ओर रेलवे (Railway) की ओर से दूसरे प्रावधान पर विचार किया जा रहा है जिसमें रिययतों को केवल गैर एसी यात्रा तक सीमित करने की सोच रहा है।
 
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HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, Railway concessions for Senior Citizens: कोरोना महामारी के बाद से ही बंद पड़ी ट्रेन टिकटों में सीनियर सिटिजंस को मिलने वाली छूट एक बार फिर से शुरू की की जा सकती है. दरअसल, वरिष्ठ नागरिकों समेत अन्य के टिकटों पर दी जाने वाली छूट को बंद किए जाने को लेकर सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद अब एक बार फिर से छूट की शुरुआत की जा सकती है.    

 


सूत्रों ने न्यूज एजेंसी 'पीटीआई' को बताया कि रेलवे वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतों की बहाली पर विचार कर रहा है, लेकिन केवल जनरल और स्लीपर क्लास के लिए ही. वहीं, किराए में छूट के लिए उम्र मानदंड को बढ़ाकर 70 साल किया जा सकता है, जबकि पहले यह महिलाओं के लिए 58 और पुरुषों के लिए 60 वर्ष थी. एक सूत्र ने कहा, "हम समझते हैं कि ये रियायतें बुजुर्गों की मदद करती हैं और हमने कभी नहीं कहा कि हम इसे पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं. हम इसकी समीक्षा  कर रहे हैं और इस पर फैसला लेंगे.' 

 


सूत्रों ने संकेत दिया कि रेलवे बोर्ड वरिष्ठ नागरिक रियायत के लिए आयु मानदंड में बदलाव करने और इसे केवल 70 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा है. वहीं, एक और प्रावधान जिस पर रेलवे विचार कर रहा है, वह है रियायतों को केवल गैर-एसी यात्रा तक सीमित करना. 


एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी से कहा, "तर्क यह है कि अगर हम इसे स्लीपर और जनरल कोच तक सीमित रखते हैं, तो हम 70 प्रतिशत यात्रियों को कवर करते हैं. ये कुछ विकल्प हैं जिन पर हम विचार कर रहे हैं. हालांकि, अब तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है.'' 
वहीं, एक अन्य विकल्प पर रेलवे विचार कर रहा है कि सभी ट्रेनों में 'प्रीमियम तत्काल' योजना शुरू की जाए. इससे अधिक राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी, जो रियायतों के बोझ को दूर कर सकता है. यह योजना फिलहाल करीब 80 ट्रेनों में लागू है. 


बता दें कि प्रीमियम तत्काल योजना रेलवे द्वारा शुरू की गई एक कोटा योजना है, जिसके तहत कुछ सीटें आरक्षित होती हैं और आखिरी समय में यात्री अधिक किराया खर्च करके इसे बुक करवा सकते हैं. इससे यात्रियों को टिकट मिलने की सुविधा मिलती है प्रीमियम तत्काल किराए में मूल ट्रेन किराया और अतिरिक्त तत्काल फीस शामिल हैं. 


बता दें कि पिछले दो दशकों में, रेलवे रियायतें काफी चर्चित विषय रहा है. कई समितियों ने उन्हें वापस लेने की सिफारिश की है. जुलाई, 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया था. विभिन्न प्रकार के यात्रियों को दी जाने वाली 50 से अधिक प्रकार की रियायतों के कारण राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर पर हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का भारी बोझ पड़ता है. वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायत इसके द्वारा दी गई कुल छूट का लगभग 80 प्रतिशत है.  


उधर, पिछले हफ्ते, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था कि रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है. उन्होंने कहा था, अब भी किराए की लागत का 50 प्रतिशत खर्च सरकार उठाती है. बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत से 2019-20 में 1667 करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ा. इससे पहले, 2018-19 में 1636 करोड़ रु का खर्च उठाना पड़ा था. रेल मंत्री ने लोकसभा में कहा था कि बुजुर्गों और खिलाड़ियों को रेल किराए में मिलने वाली छूट अब नहीं मिलेगी.