Marriage Tradition: भारत के गांव में हजारों साल से चली आ रही है ये पंरपरा, शादी से पहले करना पड़ता है बच्चा पैदा
HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, लिव इन रिलेशन को लेकर जिसने लोग उतनी राय देखने सुनने को मिलती है. पश्चिमी देशों में आम बात है लेकिन भारत जैसे देश में इसका खूब विरोध होता रहा है. शादी के पहले किसी लड़की का मां बन जाना तो मानों पहाड़ टूट पड़ने जैसी बात हो जाती है. बावजूद इसके बहुत से जोड़े ऐसे हैं जो पार्टनर के साथ लिव इन में रहते ही हैं. पहले भारत में ये बात लुकाछिपी होती थी, लेकिन कई कपल अब इसे खुल कर स्वीकारते हैं. इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई भी खूब चली. जो लोग इसे पश्चिमी संस्कृति का दुष्प्रभाव मानते हैं. उन्हें ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में ये परंपरा तकरीबन 1000 साल पुरानी है.
बहुत से ऐसे जोड़े है जिन्होंने ने पति-पत्नी बनने के पहले पैरेंट बनना तहे दिल से स्वीकार किया. लेकिन लोग लिव-इन-रिलेशनशिप को भले ही मॉडर्न ज़माने का चलन मानते हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये परंपरा भारत के एक राज्य में हज़ारों साल पुरानी है. वहां शादी से पहले बच्चा पैदा न करने पर शादी टूट जाती है. आइए जानते है ऐसी अनोखी परंपरा के बारे में.
शादी से पहले बच्चा नहीं तो शादी नहीं
भारत देश में शादी से पहले महिला का मां बन जाना पाप माना जाता रहा है. उसी भारत के कुछ गांव में ऐसी परंपरा है जहां शादी होती ही इस शर्त पर है कि पहले बच्चा पैदा करना होगा. भारत का राज्य राजस्थान जहां के दो जिले सिरोही और पाली में गरासिया जनजाति में शादी को लेकर एक अनोखी परंपरा रही है. जो हजारों साल पुरानी है. परंपरा यह है कि शादी से पहले बच्चे को जन्म देना होगा, क्योंकि उस समाज में इसे शुभ माना जाता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अगर कोई जोड़ा बच्चा पैदा नहीं कर पाता है तो उनकी शादी टल भी जाती है.
मनपसंद पार्टनर चुनकर बढ़ाते हैं परिवार फिर करते हैं शादी
मान्यता के अनुसार लड़के लड़कियों के मिलन के लिए खास दो दिनों का मेला आयोजित किया जाता है जिसमें लड़के लड़कियां अपनी पसंद का पार्टनर चुन सकते हैं. जब और जीस युवक युवती को अपनी पसंद का पार्टनर मिल जाता है तो वो दोनों रजामंदी से एक दूसरे के साथ रहने लग रह सकते हैं और ऐसे में वो अपना परिवार भी शुरू कर सकते हैं जिसके लिए उन्हें कोई मनाही नहीं है और जब वो अपना परिवार शुरू कर पाने में सक्षम हो जाते हैं तो इसे वहां जश्न के तौर पर मनाया जाता है क्योंकि इसके बाद ही होता है शुभ विवाह.
