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My Story: कुंवारी लड़के ने माता पिता को करते देख लिया ये काम, शादी को लेकर बदल गई सोच

शादी को लेकर हर इंसान को इंतजार रहता है ऐसे में आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे है जहां एक कुंवारी लड़की ने बचपन में अपने माता पिता को रात को ये काम करते दिख लिया है। जिस वजह से लड़की की शादी को लेकर सोच बिल्कुल बदल गई।
 
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HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि शादी करना हर लड़की की जिंदगी का सबसे बड़ा सपना होता है। वह न केवल अपनी शादी को लेकर बहुत से सपने सजाती है बल्कि अपने जीवनसाथी से उसे बहुत सारी उम्‍मीदें भी होती हैं। हालांकि, शादी को लेकर मेरी सोच हमेशा ही धुंधली रही। मुझे नहीं पता था कि एक खुशहाल शादी का हिस्सा बनने के बाद कैसा लगता है। मैं नहीं जानती थी कि एक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी कैसी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे यही लगता था कि एक आदर्श शादी वही होती है, जिसमें कपल के बीच कभी भी लड़ाई-झगड़े नहीं होते।


कहने को तो मैं बहुत प्‍यार करने वाली फैमिली में पली बढ़ी हूं, लेकिन मेरे माता-पिता अपनी शादी में कभी भी खुश नहीं रहे। वह हमेशा एक-दूसरे से लड़ते रहते थे। उन्होंने अपना ज्यादातर गुस्‍सा मुझ पर निकाला है। शायद इसका एक कारण यह भी था कि क्योंकि मेरे पिता का व्‍यवहार बहुत खराब था। वहीं मेरी मां को भी नहीं पता था कि कब एक-दूसरे को थोड़ी जगह देनी है। वह मुश्किल से ही कभी एक घंटे साथ बिताते थे। उनके झगड़ों के दौरान मैं हर वक्त फंसा हुआ महसूस करती थी। यही एक वजह भी है कि मुझे शादी के नाम से डर लगता था। 


मैं प्यार में पड़ गई

मैं अक्सर यह सोचती रहती थी कि अगर मेरी शादी किसी ऐसे व्‍यक्ति के साथ हो जाए, जिससे मुझे हर रोज लड़ना पड़े, तो क्‍या मैं जिंदा रह पाऊंगी। मेरा मानना था कि मैं केवल एक ऐसे व्‍यक्ति से शादी करूंगी, जिसका गुस्‍सा खराब न हो। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं अपने माता-पिता के रिश्‍ते को फिर से नहीं जीना चाहती थी। मैं शादी वाली कश्मकश में फंसी ही हुई थी कि इस बीच मैं एक शख्‍स से मिली, जो देखने में काफी ज्यादा आकर्षक था।

हमने मैसेज-कॉल्‍स पर बात करना शुरू किया। जल्‍द ही मैं उनके साथ कॅज्युअल डेट़स पर जाने लगी। पहली बार मुझे ऐसा लगा जैसे सब कुछ अच्‍छा होने वाला है। मैं बहुत खुश थी। जैसे-जैसे महीने बीतते गए मुझे अहसास हुआ कि मुझे उससे प्‍यार हो गया है।
आदर्श शादी की परिभाषा बदल गई


कुछ दिनों की डेटिंग के बाद हम दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली। हम एक अच्छे कपल थे। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह मेरे पैरेंट़स लड़ते थे, उसने कभी मुझसे बहस तक नहीं की थी। कुल मिलाकर एक पति के रूप में वह एकदम फिट था। लेकिन एक बार हमारी लड़ाई हुई और मेरे लिए आदर्श शादी की परिभाषा बदल गई।

मैं समझ गई कि झगड़ा भी शादी का हिस्‍सा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शादी खुशहाल नहीं है। मेरी शादी ने उस धारणा को पूरी तरह से पूरा किया। मेरे साथी से पति बने उस शख्‍स ने कभी भी मेरे साथ बुरा व्यवहार नहीं किया था।

जब हम लड़े तो हमने एक-दूसरे को सोचने के लिए स्‍पेस दी। हम लड़े लेकिन स्वस्थ तरीके से फिर भी रिश्ते में बने रहे। हम कभी नहीं लड़ते थे, क्योंकि हम दोनों इमोशनली मैच्‍योर थे और एक-दूसरे की लिमिट अच्छी तरह जानते थे।


मैं अपनी शादी से खुश हूं
वास्‍तव में, मेरे माता-पिता के झगड़ों ने मुझे बहुत प्रभावित किया था, जिसकी वजह से मुझे यकीन हो गया था कि शादी के बाद शायद ही कोई इंसान खुश रहता होगा। लेकिन अब मैं कह सकती हूं कि मैं अपनी शादी से बहुत खुश हूं। मेरी शादी खुशहाल है। मेरे पति मेरे मार्गदर्शक हैं, जो मुझे बहुत सौभाग्य से मिले हैं।