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Railway - अब ट्रेनों को नहीं प्राइवेट कंपनियों को दी जाएंगी बोगियां, मिलेंगी हाई क्लास सुविधा

देश में प्राइवेट ट्रेनों के संचालन में निजी ऑपरेटर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में अब रेलवे निजी कंपनियों को अपनी एसी बोगियां किराए पर देगा और इनके एवज में एकमुश्त किराया वसूलेगा। 
 
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Railway - अब ट्रेनों को नहीं प्राइवेट कंपनियों को दी जाएंगी बोगियां, मिलेंगी हाई क्लास सुविधा 

HR Breaking News, Digital Desk- देश में प्राइवेट ट्रेनों के संचालन में निजी ऑपरेटर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में अब रेलवे निजी कंपनियों को अपनी एसी बोगियां किराए पर देगा और इनके एवज में एकमुश्त किराया वसूलेगा। जबकि निजी कंपनियां बोगियों में विश्वस्तरीय सुविधाएं तो देंगी लेकिन यात्रियों से लिया जाने वाला किराया खुद तय करेंगी।


भारत सरकार ने देश में 150 प्राइवेट ट्रेनों को चलाने का खाका तैयार किया था। रेल मंत्रालय इन ट्रेनों को देश के सौ रूटों पर चलाने की तैयारी में था, जिसमें 12 ट्रेनें लखनऊ से गुजरने वाले रूट पर आनी तय मानी जा रही थीं।

दो प्रमुख रेलखंडों दिल्ली से हावड़ा व दिल्ली से मुंबई रूट पर सर्वाधिक ट्रेनें चलनी थीं। मगर पिछली बार प्राइवेट ट्रेनों को लेकर कंपनियों ने रुचि नहीं दिखाई, जिसकी वजह से प्लान आगे नहीं बढ़ पाया।

रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कई शर्तें ऐसी थीं, जिसे पूरा कर पाना निजी कंपनियों के लिए मुश्किल हो रहा था। इसके अलावा रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर भी बात नहीं बन पाई। कुल 15 कंपनियों की ओर से 120 आवेदन मिले थे, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही कंपनियां बैकफुट पर आ गईं और ट्रेन को किराए पर चलाने के प्रोजेक्ट को झटका लग गया।

बोगियों का होगा कायाकल्प-


रेलवे की ओर से परंपरागत बोगियों की जगह एलएचबी लगाई गई हैं। लेकिन इस प्रोजेक्ट के परवान चढ़ने पर निजी कंपनियां एसी बोगियों का कायाकल्प करेंगी। सीटों सेे लेकर वेंटिलेशन, एयरकंडीशनिंग व खूबसूरती तथा बोगियों में मिलने वाले सेवा-सत्कार पर फोकस करेंगी। खानपान की सुविधाएं भी पैंट्री से इतर रहेगी।

रेलवे का मुनाफा, यात्रियों का नुकसान-


रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि पूरी ट्रेन किराए पर देने पर रेलवे को अधिक राजस्व प्राप्त होता। लेकिन एसी बोगियों को फुल टैरिफ रेट (एफटीआर) से ज्यादा किराया मिलने की उम्मीद है। ऐसे में रेलवे को मुनाफा तो होगा, लेकिन कुछ कम होगा। वहीं दूसरी ओर यात्रियों को सुविधाओं के एवज में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा।