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Affair : रईस मालकिन ने ड्राइवर के साथ बनाए संबंध, बताई वजह

Affair :  कभी-कभी साथी की बेरूखी, व्यक्ति में ऐसा बदलाव ले आती है कि वो सही-गलत जानते हुए भी भावनाओं के आवेश में आ जाता है। वो कुछ ऐसा कर जाता है जो उसकी शादी के लिए मुसीबत बन जाता है। फिर उसे ठीक कर पाना भी बेहद मुश्किल हो जाता है। आइए जानते है एक ऐसी ही कहानी।
 
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Affair : रईस मालकिन ने ड्राइवर के साथ बनाए संबंध, बताई वजह

HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)।  आपको प्यार बिल्कुल अनपेक्षित जगहों पर मिल सकता है' लोगों की कही इस बात में सच्चाई तो है ही। आप भले ही ऐसी परिस्थितियों से घिरे हुए हों, जो आपको खुशियों को पाने से रोके, लेकिन किसी के प्यार में डूब जाना बहुत ही साफ और सौम्य एहसास होता है। ये आपको इतना प्रोत्साहित करता है कि आप जिससे प्यार करते हैं, उसके लिए कुछ भी कर जाने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन क्या इसकी कीमत शादी जैसे पवित्र बंधन से चुकाना सही है? ये एक बड़ा सवाल है।


मेरा नाम नेहा है।  मेरे पिता ने 4 साल पहले मेरी शादी गौरव से करवाई थी। ये एक अरेंज्ड मैरिज थी और इससे पहले मेरी गौरव से बहुत कम बात हुई थी। वो एक अच्छा और शर्मिला इंसान लगा, इस वजह से मैंने उससे किसी चीज को लेकर ज्यादा पूछताछ भी नहीं की। मैं उसके लिए एक परफेक्ट वाइफ बनना चाहती थी परंतु सुहागरात के दिन जब मैं बिस्तर पर बैठी थी और उसका इंतजार करते हुए ये सोच रही थी कि अब आखिरकार हमें आपस में बात करने का और एक-दूसरे को समझने का मौका मिला है, तब मुझे सिर्फ निराशा हाथ लगी। वो कमरे में आया और थोड़ा मुस्कुराया। हमारे बीच एक दो बातें हुईं और फिर हम सो गए। उस समय मुझे लगा कि ये सब शादी की थकान के कारण हो सकता है। 

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जारी रही बेरुखी 


परंतु ये सब जारी रहा। गौरव हमेशा खुद में सिमटा हुआ सा रहा। हम भले ही नव-विवाहित थे, लेकिन फिर भी वो मेरे लिए बहुत कम समय निकालता था। मैंने दूसरे कपल्स को हनीमून पर जाते हुए देखा है, लेकिन मैं और गौरव इसकी जगह दूसरे शहर में शिफ्ट हुए ताकि उसे काम पर जाने में आसानी हो। यहां पर हमारे पास एक बड़ा विला था और उसमें कुछ नौकर। वे सब बहुत प्यारे और नम्र थे। 


उन्होंने कभी भी मुझे घर से दूर होने का एहसास नहीं होने दिया पर गौरव के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता। मैं उसके प्यार के लिए तड़प रही थी, क्योंकि वो कभी इसे जाहिर ही नहीं करता था। वो हमेशा रूखा, सख्त और नाराज सा लगता था। अपनी पत्नी तक से वह भावनाएं जाहिर नहीं कर पाता था। उसके सहारे के बगैर मेरे लिए इस नई जिंदगी और शहर में अडजस्ट होना मुश्किल हो गया।

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पहली बार जब मैं ड्राइवर से मिली


ऐसे में कई महीने बीत गए, लेकिन गौरव नहीं बदला। इसकी जगह वो मेरी पसंद और व्यक्तित्व की आलोचना करने लगा। हर बात पर मुझे टोका टोकी करने लगा। ये सब मेरे लिए बहुत ही निराशाभरा होने लगा था। उसने तो मेरे एक्सेंट तक को घटिया बताया। इसके बाद उसने मुझे सख्ती के साथ ग्रूमिंग क्लासेस लेने को कहा ताकि मैं सोसायटी में अच्छे से ढलना सीख सकूं और ज्यादा आकर्षक लगूं। 
ये सब मेरे लिए बेइज्जती की तरह था, लेकिन अगर ये मुझे पति के करीब ला सकता था, तो मैं ऐसा करने को भी तैयार थी। उसने मेरे लिए सप्ताह में 3 बार जाने के लिए क्लासेस अरेंज कीं। और तब पहली बार मेरी मुलाकात हमारे ड्राइवर अविनाश से हुई।


मैं उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहती थी


वो मुझे हर सप्ताह क्लास छोड़ने और लेने आता था। वो काफी विनम्र और दयालु स्वभाव का था। उसकी स्किन डार्क और बॉडी अच्छी थी। वो 26-27 की उम्र के आसपास होगा और उसका व्यवहार काफी मिलनसार था। शुरुआत से ही उसने मुझे कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। क्लास जाने के दौरान हम कई चीजों पर बात करते थे, जो मेरे लिए दिन का सबसे अच्छा अनुभव होता था। 
मैं इंतजार करने लगी थी कि कब मैं उसके साथ क्लास जाया करूंगी। वो मुझे इतना सहज महसूस करवाता था कि मैं उसके सामने हंसने से भी नहीं शर्माती थी। एक दिन मैंने सफेद सलवार-कमीज पहनी और मुझे देखते ही वह खुश हो गया और कहा 'मैडम, आज आप सूरज की तरह चमक रही हो।' 

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मैं ये सुनकर हंस दी और कार में बैठ गई। अंदर ही अंदर मैं बहुत खुश थी। आखिरकार कोई तो था जो मेरी तारीफ कर रहा था। मेरे पति ने नहीं बल्कि ड्राइवर ने मुझे ये एहसास करवाया कि मैं खूबसूरत हूं। और इसी दिन मुझे उससे प्यार हो गया।


हमारे बीच रिश्ते भी बने


मैं उसके साथ अकेले रहने के बहाने ढूंढने लगी। मैंने उसे एक दिन चाय पर बुलाया। उस दिन मैंने बाकी नौकरों की छुट्‌टी कर दी थी। हम दोनों के बीच काफी बाचीत हुई। वो मेरी खूबसुरती की तारीफ किए जा रहा था। इसी दौरान उसने भी प्यार का इजहार किया और हम दोनों एक दूसरे के गले लग गए। उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। उसने मुझे वहीं सोफे पर लेटाया और रोमांस करना शुरू कर दिया। मेरे लिए ये खुशी वाले पल थे और हम दोनों ने संबंध बनाए। 

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मैं उसकी छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देने लगी, जैसे वह जब बोलता है, तो कैसे उसकी आंखों में कोमलता आ जाती है और हंसते समय आंखों के पास लकीरें बनती हैं। हर बीतते पल के साथ मैं उससे और प्यार करती जा रही थी।


उसने जैसे मेरे अस्तित्व पर मुहर लगाई और यही मुझे सबसे ज्यादा खुशी दी। मैं ये सोचकर दुखी हो जाती थी कि मेरा पति मुझे ये अनुभव नहीं दे पाया। वह हमेशा काम में ही व्यस्त रहता है। मैं कभी-कभी सोचती हूं कि अगर उसे हमारे बारे में पता चलेगा तो क्या होगा ।