allahabad high court में पहुंचा बड़ा मामला, 30 करोड़ रुपये का मामला, बेटे ने महिला को मां मानने से किया इनकार
Allahabad high court : फैमिली में प्रोपर्टी को लेकर कई वाद-विवाद होते हैं। जब यह विवाद ज्यदार बढ़ जाते हैं और इनका कोई हल नहीं निकलता है तो ये मामले हाई कोर्ट (Allahabad High Court) तक पहुंच जाते हैं। अब हाल ही में यूपी के इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक मामला सामने आया है, जिसमे बेटे ने महिला को मां मानने से इंकार कर दिया है। आइए खबर में जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से।
HR Breaking News : (Allahabad high court) कई बार कोर्ट में ऐसे पारिवारिक मामले सामने आते हैं, जो केस को हाई प्रोफाइल बना देते हैं। अब एक मामले में 30 करोड़ रुपये की प्रोपर्टी को लेकर बेटे और मां की एक जंग का मामला आया है। इस मामले में रिश्तों और दावों की जंग ने पूरे मामले को काफी बड़ बना दिया है और यह मामला इलाहाबाद हाई कार्ट (Allahabad High Court News) जा पहुंचा है।
जानिए क्या था पूरा मामला
मामले पर गौर करें तो यूपी के नोएडा (Noida News ) जिले में 30 करोड़ की संपत्ति पर अधिकार को लेकर एक परिवार का मामला अब कानूनी लड़ाई में बदल गया है। इस मामले में मृतक के बेटे और एक महिला के बीच का विवाद बढ़कर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है।
महिला ने दावा किया है कि वह मृतक की दूसरी पत्नी है, जबकि मृतक के बेटे ने उस महिला को अपनी मां मानने से मनाही कर दिया है। महिला का कहना है कि वह मृतक की दूसरी पत्नी हैं और इस हिसाब से उनकी संपत्ति (noida mother son property dispute) में वारिसाना हक उनका हैं।
महिला ने दी कोर्ट में याचिका
मृतक की महिला ने कोर्ट (allahabad high court news) में बताया कि मृतक की पहली पत्नी की पहले ही मौत हो गई थी। इसके बाद उसने साल 2011 में उस पति से शादी कर ली थी। उसने कोर्ट में याचिका दी है कि उसकी शादी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी, लेकिन शादी के तीन साल बाद ही उसके पति की भी मृत्यु हो गई और मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे का विवाद खड़ा हो गया है।
बेटे ने क्यों किया मां मानने से इंकार
वहीं, कोर्ट (mother son property dispute) में मृतक के बेटे ने उस महिला को अपनी मां मानने से साफ मनाही की है। मृतक के बेटे ने कोर्ट में कहा कि ये महिला उनकी मां नहीं बल्कि घर में काम करने वाली नौकरानी थी। मृतक की मौत के बाद जब संपत्ति पर अधिकार की बात आई तो महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस दौरान महिला ने सिविल कोर्ट (civil court) में वाद दाखिल कर स्वयं को मृतक की पत्नी घोषित करने की मांग की थी। हालांकि 17 सितंबर 2022 को सिविल कोर्ट ने मुकदमा खारिज कर दिया और वजह ये बताई कि विवाह की वैधता और वैवाहिक स्थिति का फैसला करने का अधिकार सिर्फ पारिवारिक न्यायालय को है।
मुकदमा खारिज करना क्यों गलत
इसके बाद महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court Orders) का दरवाजा खटखटाया और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की और कहा कि सिविल कोर्ट का तर्क क्षेत्राधिकार के लिहाज से सही था, लेकिन मुकदमा को पूरी तरीके से खारिज करना बिल्कूल गलत था। कोर्ट का कहना है कि वाद को खारिज नहीं, करने के बजाय महिला को यह ऑप्शन दिया जाना चाहिए था कि वह मामला सक्षम पारिवारिक न्यायालय में दाखिल कर सके।
हाईकोर्ट ने महिला की अपील को स्वीकार किया और आदेश (mother son property dispute) दिया कि यह मामला अब गौतमबुद्ध नगर पारिवारिक न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया जाए और वहां तय होगा कि महिला वास्तव में मृतक की पत्नी थीं या नहीं।
