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Chanakya ka gyaan : इसकी आदत पुरुष को कर देती है बर्बाद, चाह कर भी नहीं कर पाता इसे इग्नोर

अपनी मंज़िल तक पहुंचने के लिए पुरुष को लक्ष्य तय करना पड़ता है और उस लक्ष्य पर बिना भटके पहुंचना होता है पर ये कुछ ऐसी चीजें होती है जो पुरुष को पल भर में बर्बाद कर सकती है 

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इसकी आदत बर्बाद कर सकती है आपका जीवन

HR Breaking News, New Delhi : आचार्य चाणक्य की नीतियां हर कदम पर हमें प्रेरणा देती हैं. एक सुखी और अच्छा जीवन जीने का सलीका बताती है. जिस व्यक्ति ने चाणक्य के अनुसार नीतिशास्त्र में बताई गई बातों पर गौर किया है उसका जीवन आर्थिक, शारीरिक और मानसिक स्तर पर सफल रहा है. चाणक्य के पास तरक्की, दांपत्य जीवन, धन से संबंधित समस्या आदि का बेजोड़ समाधान है. इंसान के गुण उसे कुशल बनाते हैं. समाज में मान सम्मान दिलाते हैं. सफलता पाने का मार्ग दिखलाते हैं लेकिन व्यक्ति की एक गलत आदत उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर देती हैं. चाणक्य ने भी एक ऐसा अवगुण का जिक्र किया है जो इंसान सौ अच्छे गुणों पर भी भारी है.


अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्।

जनो दहति संसर्गाद् वनं संगविवर्जनात।।

चाणक्य नीति के 13वें अध्याय के 15वें श्लोक में इस अवगुण का जिक्र किया है. चाणक्य ने बताया है कि जिसका मन स्थिर नहीं वो इंसान कभी खुखी नहीं रह सकता है. कोई कितना ही धनवान क्यों न हो इस एक अवगुण के कारण व्यक्ति का जीवन परेशानियों से घिरा रहता है.
जिस इंसान का दिमाग नियंत्रण में नहीं रहता उसका कामकाज में भी मन नहीं लगता. चाणक्य ने श्लोक में बताया है कि मन को कंट्रोल न करने वाला व्यक्ति को न तो लोगों के बीच में सुख मिलता है और न ही वन में. इसलिए कहते हैं मन के जीते जीत है, मन के हारे हार


चंचल चित्त वाला व्यक्ति चाहे कितनी मेहनत कर लें, सफलता पाने के लिए उसे संघर्ष करना ही पड़ेगा. मन के भटकने से व्यक्ति काम के प्रति एकाग्रता नहीं रख पाता. ऐसे में काम बिगड़ जाते हैं या फिर पूरे नहीं हो पाते. चित्त की चंचलता हर स्थिति में दुख ही देती है इसलिए जिसने इस पर नियंत्रण करना सीख लिया वो कुछ भी हासिल कर सकता है
जिनका चित्त उनके वश में नहीं रहता वो इंसान तमाम सुख पाने के बाद भी दूसरों की तरक्की से जलता है. दूसरों की खुशियां इनसे बर्दाश्त नहीं होती.
मन पर कंट्रोल नहीं होने पर व्यक्ति अकेले में भी दुखी रहता है. अगर वो खुद को दूसरों से दूर भी रखें तब भी परेशान रहते हैं क्योंकि अकेलापन इन्हें जीने नहीं देता.