4 साल से नहीं मिला महंगाई भत्ता, केंद्रीय कर्मचारियों के बकाया DA पर आया बड़ा अपडेट
DA Hike Update - कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने 18 महीनों तक (3 छमाही) कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) रोक दिया था. इस दौरान न तो डीए बढ़ाया गया और न ही बाद में इसके बकाया का भुगतान किया गया. कर्मचारी संगठन लगातार 18 महीने के इस बकाया डीए की मांग कर रहे हैं... इस बीच इस पर एक नया अपडेट आया हैं-
HR Breaking News, Digital Desk- (DA Hike News) महंगाई भत्ता (DA) कर्मचारियों का अधिकार है. यह सरकारी कर्मचारियों को महंगाई की भरपाई के लिए दिया जाता है. इसका कैलकुलेशन सरकारी नियमों (government rules) के अनुसार होता है, जो इसे सरकार की कृपा के बजाय एक वैधानिक प्रावधान बनाता है. केंद्र और राज्य सरकार (state government) के लाखों कर्मचारियों को हर 6 महीने बाद इसका बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि यह उनकी सैलरी में एक महत्वपूर्ण वृद्धि लाता है. निजी क्षेत्र में, यह पूरी तरह से कंपनी की नीतियों पर निर्भर करता है.
लेकिन, सवा यह उठता है कि क्या सरकार इस महंगाई भत्ते को रोक भी सकती है या फिर यह कर्मचारियों का अधिकार होता है और सरकार के लिए इसका भुगतान करना जरूरी होता है. फिलहाल इस मुद्दे पर बहस सुप्रीम कोर्ट में जारी है.
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच महंगाई भत्ते (DA) को लेकर एक मामला चल रहा है. शीर्ष अदालत ने अभी तक इस पर फैसला नहीं सुनाया है. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि महंगाई भत्ता उनका अधिकार है, क्योंकि यह हर 6 महीने में महंगाई दर के अनुसार दिया जाता है. फिलहाल सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या डीए मिलना कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है? यह मामला अब अदालत के फैसले पर टिका है.
4 साल से बकाया है 18 महीने का डीए-
कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने 18 महीनों तक (3 छमाही) कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) रोक दिया था. इस दौरान न तो डीए बढ़ाया गया और न ही बाद में इसके बकाया का भुगतान किया गया. कर्मचारी संगठन लगातार 18 महीने के इस बकाया डीए की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है, जिससे लाखों कर्मचारियों को उनके बकाए का इंतजार है.
क्या कहता है डीए का नियम-
अखिल भारतीय सेवाओं (महंगाई भत्ता) नियम, 1972 साफ कहता है कि अगर किसी कर्मचारी की सेवा शर्तों में महंगाई भत्ता देने का प्रावधान शामिल है, तो सरकार को निश्चित रूप से इसका भुगतान करना होगा. हालांकि, सेवा की शर्तों में डीए के भुगतान की शर्तें भी शामिल होती हैं और इसका निपटारा इन्हीं शर्तों के अधीन किया जाना जरूरी होता है. इस बारे में कार्मिक मंत्रालय ने भी 2 जुलाई, 1997 को एक आदेश देशभर के राज्यों और लेखा महानियंत्रक को जारी किया था. इसमें साफ कहा गया था कि भारतीय सेवा नियम के अधीन आने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाना चाहिए. इस बारे में किसी भी विवाद पर फैसला लेने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को होगा.
डीए अधिकार या फिर कृपा-
महंगाई भत्ता कर्मचारियों का अधिकार है या फिर सरकार की कृपा. इस सवाल का जवाब स्पष्ट नहीं है, क्योंकि एक तरफ तो सरकार ने इसे सेवा नियमों के अधीन कर्मचारियों को भुगतान करना अनिवार्य किया है. डीए को सरकारी कर्मचारियों की सैलरी का हिस्सा माना जाता है. लिहाजा इसका भुगतान उन्हें आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए. लेकिन, इसी सेवा नियम में सरकार ने एक नियम भी जोड़ा है कि सरकार महंगाई भत्ते का भुगतान अपनी हालात के आधार पर कर सकती है. इससे जाहिर होता है कि कुछ हद तक महंगाई भत्ता पाना सरकार की कृपा पर भी निर्भर करता है.
कर्मचारियों को कब नहीं मिलता महंगाई भत्ता-
सर्विस रूल्स (service rules) की शर्तों में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जब किसी कर्मचारी को महंगाई भत्ता नहीं देने का अधिकार सरकार के पास होता है. इसमें साफ कहा गया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में महंगाई भत्ते को रोका जा सकता है.
अगर कोई कर्मचारी अनुशासन को तोड़ता है या फिर उसके खिलाफ कोई आपराधिक कृत्य साबित होता है तो सरकार उसका डीए भुगतान (DA payment) रोक सकती है.
सरकार पर अगर वित्तीय संकट आता है और वह महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) के भुगतान की स्थिति में नहीं होती तो भी इसे रोका या निलंबित किया जा सकता है.
आपातकाल की स्थिति में भी सरकार कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोक सकती है. जैसा कि उसने कोविड महामारी के दौरान किया था. अपने इसी विशेषाधिकार और सर्विस रूल्स के आधार पर सरकार ने आज तक 18 महीने के डीए का भुगतान नहीं किया.
क्या सरकार को चैलेंज कर सकते हैं कर्मचारी-
किसी गैर-आपातकालीन स्थिति या सेवा नियमों से इतर कारणों से सरकार द्वारा कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (DA) रोकने पर, कर्मचारी इसे चुनौती दे सकते हैं. वे श्रम कानूनों और सेवा नियमों के तहत अपने नियोक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
कर्मचारी अपनी शिकायत प्रशासनिक न्यायाधिकरण या श्रम न्यायालय में कर सकते हैं. यदि इन मंचों से राहत नहीं मिलती है, तो उनके पास अदालत जाने का विकल्प भी होता है. यह कदम कर्मचारियों को उनके अधिकारों की रक्षा करने और अनुचित कटौती के खिलाफ न्याय प्राप्त करने का अवसर देता है.
