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Delhi High Court ने कर दिया साफ, पत्नी को मिलेगी पारिवारिक पेंशन

Delhi High Court -  दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पारिवारिक पेंशन से सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता क्योंकि उनके बीच वैवाहिक विवाद (marital dispute) था.... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-

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Delhi High Court ने कर दिया साफ, पत्नी को मिलेगी पारिवारिक पेंशन

HR Breaking News, Digital Desk- (Delhi High Court) दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पारिवारिक पेंशन से सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता क्योंकि उनके बीच वैवाहिक विवाद (marital dispute) था. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक कानूनी रूप से तलाक नहीं हो जाता, तब तक पत्नी का पेंशन पर पूरा अधिकार बना रहता है.

यह मामला एक महिला से जुड़ा हुआ है, जिसके पति का निधन साल 2009 में हो गया था. महिला ने 4 साल बाद, 2013 में, पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया. लेकिन केंद्र सरकार ने उनका आवेदन खारिज कर दिया.

CAT के फैसले से असंतुष्ट महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया-

केंद्र सरकार (central government) ने तर्क दिया कि पति और पत्नी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था और मृतक ने अपनी आधिकारिक परिवार सूची में पत्नी का नाम शामिल नहीं किया था. केंद्र सरकार का कहना था कि महिला न तो पति की मृत्यु के समय उनके साथ रह रही थी, न ही समय पर आवेदन किया, इसलिए उसे पेंशन (pension) का अधिकार नहीं है.

महिला ने इस फैसले को चुनौती दी और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunal) पहुंची. CAT ने महिला को पारिवारिक पेंशन देने का आदेश तो दिया, लेकिन पेंशन 2013 से देने को कहा, यानी जिस साल उसने आवेदन किया. महिला इस फैसले से संतुष्ट नहीं हुई और दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को 2009 से पेंशन देने का आदेश दिया-

महिला की दलील थी कि वह अपने पति की कानूनी पत्नी थी, और उनके बीच विवाद का मतलब यह नहीं कि उसे पति की मृत्यु के बाद मिलने वाले हक से वंचित कर दिया जाए. उसने कहा कि पेंशन 2009 से ही मिलनी चाहिए, जब उसके पति की मौत हुई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के भरण-पोषण के अधिकार को बरकरार रखा है। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की बेंच ने फैसला सुनाया कि पति-पत्नी के बीच विवाद और भरण-पोषण की याचिका दायर करने के बावजूद, जब तक तलाक का आदेश नहीं होता, पति-पत्नी का रिश्ता खत्म नहीं माना जाएगा. कोर्ट (court) ने साफ किया कि कानूनी रूप से अलग होने तक पत्नी का अपने पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार बना रहता है. यह फैसला महिलाओं के हक में एक महत्वपूर्ण कदम है.

बकाया राशि 4 महीने के भीतर ब्याज सहित अदा-

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court decision) ने फैसला सुनाया है कि किसी महिला को देर से आवेदन करने के कारण पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने निर्देश दिया कि एक महिला को 2009 से पेंशन दी जाए और उसकी बकाया राशि, ब्याज सहित, चार महीने के भीतर अदा की जाए. 

हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ पारिवारिक विवाद (family dispute) और नाम दर्ज न होने जैसी बातें पत्नी के हक को खत्म नहीं कर सकतीं. विवाहिता होने के नाते उसे पारिवारिक पेंशन मिलनी ही चाहिए.